Laxmi Agarwal Autobiography | लक्ष्मी अग्रवाल का जीवन परिचय : एक सोशल वर्कर, एसिड अटैक सरवाइव

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कौन कहता है कि , सिर्फ खूबसूरत लोग ही दुनिया में पसंद किए जाते हैं. आज हम आपको एक ऐसी हस्ती से रूबरू करवाने वाले हैं, जो एसिड अटैक सर्वाइवर हैं. और उन्होंने एसिड अटैक से जुड़ी घटनाओं का खुलकर विरोध किया है. और आम लोगों के सामने अपनी आपबीती एवं विचारों को प्रस्तुत करने में समर्थ रही हैं.

जी हां, आज हम आपको लक्ष्मी अग्रवाल के जीवन परिचय से वाकिफ कराने वाले हैं. आपको हो सकता है, कि इस लेख के माध्यम से एवं श्री लक्ष्मी अग्रवाल जी के जीवन परिचय से कुछ मोटिवेशन मिले. यदि आप नारी शक्ति का संपूर्ण रूप से समर्थन करते हैं, तो यह लेख आपको जरूर पढ़ना चाहिए.

लक्ष्मी अग्रवाल की जीवनी Laxmi Agarwal Biography

पूरा नाम (Full Name) लक्ष्मी अग्रवाल
जन्म दिन(Birth Date) 1 जून 1990
जन्म स्थान (Birth Place) नई दिल्ली, भारत
पेशा (Profession) सामाजिक कार्यकर्ता एवं सेलिब्रटी
लोकप्रियता  (Popularity) एसिड अटैक सर्वाइवल
राष्ट्रीयता (Nationality) भारतीय
उम्र (Age) 29 वर्ष
गृहनगर (Hometown) नई दिल्ली, भारत
धर्म (Religion) हिन्दू
जाति (Caste) वैश्य
वैवाहिक स्थिति (Marital Status) अविवाहित
बॉयफ्रेंड ( Boyfriend) अलोक दीक्षित
बेटी ( Daughter ) पीहू
राशि (Zodiac Sign) मिथुन

लक्ष्मी अग्रवाल का प्रारंभिक जीवन –

लक्ष्मी अग्रवाल दिल्ली की रहने वाली थी, माध्यम वर्ग से ताल्लुक रखने वाली लक्ष्मी बहुत ही सुन्दर भी और खुशमिजाज भी . इनका जन 1990 में 1 जून को हुआ . महज 15 वर्ष की थी जब उन पर एसिड अटैक हुआ .

उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था, कि उनको इस विषम परिस्थिति से गुजरना पड़ेगा. कुछ मनचलों ने दिनदहाड़े उनके ऊपर एसिड अटैक किया. जिस से उनको बहुत ही बुरी तरीके से नुकसान पहुंचा.

इसके बाद उनको बहुत ही कठिन परिस्थितियों से गुजरना पड़ा. परंतु इस सशक्त महिला ने अपने जीवन में हार नहीं मानी और आगे बढ़ने का निश्चय किया. अपनी परिस्थिति से उभरने के लिए उन्होंने खुद को सरवाइव करना सिखाया. आज यह महिला स्टॉप एसिड सेल और एक टीवी होस्ट के साथ-साथ एक भारतीय प्रचारक के रूप में दुनिया के सामने कार्य कर रही हैं.

लक्ष्मी अग्रवाल पर कब और कैसे हुआ था, एसिड अटैक –

लक्ष्मी अग्रवाल जी के साथ 2005 में एसिड अटैक की घटना घटित हुई थी. वे कक्षा सातवीं में पढ़ती थी. इस छोटी सी उम्र में ही एक 32 वर्षीय व्यक्ति नईम खान उर्फ़ गुड्डा ने उनको शादी के लिए प्रपोज किया, परंतु लक्ष्मी ने उस व्यक्ति द्वारा दिए गए प्रपोजल को अस्वीकार कर दिया.

22 फरवरी 2005 को जब लक्ष्मी करीब 11:00 बजे दिल्ली के एक खान बाजार मार्केट से वापस लौट रही थी, तो उस युवक ने अपने छोटे भाई की गर्लफ्रेंड के साथ मिलकर इस घटना को अंजाम देने का सोचा.

उसी दौरान उसके छोटे भाई की गर्लफ्रेंड ने लक्ष्मी को धक्का दिया, यह बयान खुद लक्ष्मी द्वारा दिया हुआ है. धक्का खाते ही लक्ष्मी अचानक से सड़क पर गिर गई और उस समय गुड्डा ने मौका पाते ही इनके शरीर पर एसिड अटैक कर दिया..

लक्ष्मी  ने अपने एक बयान में बताया कि उस दौरान लक्ष्मी  ने अपनी आंखों को ढक लिया था, इसलिए उनकी आंखों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंच सका. लक्ष्मी ने बताया कि जिस दौरान उनके शरीर पर तेजाब पड़ा उस समय उनको थोड़ा सा ठंडक महसूस हुई, परंतु कुछ सेकंड बाद ही उनको महसूस हुआ कि उनके शरीर में बहुत तेज जलन हो रही है.

उन्होंने बताया कि , कुछ क्षणों में ही उनके चेहरे और कान के हिस्सों के मांस पिघल कर जमीन पर गिरने लगे और उनकी हड्डियों में भी जलन होने लगी. उन्होंने बताया कि 2 माह से अधिक उन्होंने इस दुखदायक परिस्थिति के साथ जूझते हुए राम मनोहर लोहिया अस्पताल में बिताया.

एसिड अटैक घटना के बाद जुड़ी हुई कुछ बातें –

लक्ष्मी अग्रवाल बताती हैं, कि जब उनकी आंखों को डॉक्टर सिल रहे थे तब वह होश में थी. परंतु उनको यह नहीं समझ में आ रहा था , कि आखिर में उनके साथ यह क्या हो रहा है ? वह बताती हैं कि करीब 2 महीने से भी अधिक बाद जब वह घर लौटी तो घर के सभी आईने हटा दिए गए थे. लक्ष्मी जी ने कहा, कि कैसे भी करके उन्होंने अपने चेहरे को आईने में देख लिया.

अपने चेहरे को आईने में देखते ही वह खुद बहुत डर गई और इतना ही नहीं उनको बहुत ही दुख हुआ. वह बताती हैं, कि उन्होंने उसी वक्त ठान लिया कि उनके जिंदगी का अब कोई मकसद नहीं रह गया है. अपने आपको अब खत्म कर लेना चाहिए, ऐसा उन्होंने अपने मन में निश्चय कर लिया था.

वे बताती हैं, कि अपने माता-पिता के बारे में सोच कर उन्होंने आत्महत्या का विचार नहीं किया परंतु उन्होंने कहा, कि जीवन जीना इस परिस्थिति में इतना आसान उस वक्त नहीं था.

वे बताती हैं, कि जब मैं कहीं बाहर या फिर घर के छत पर ही टहलने निकलती थी, तो लोग उनके चेहरे को देखकर अपने मुंह को फिर लेते थे, दयनी नजर से देख आगे बढ़ जाते थे.

यहां तक , कि कई लोगों ने उनको यह तक सलाह दे दी कि, अपने चेहरे को ढक कर रखा करो नहीं तो आजू- बाजू के बच्चे तुम्हारे चेहरे को देखकर डर जाएंगे. उन्होंने कहा, कि इस दुनिया में उन्हें एक बार नहीं अनेकों बार अपमान का सामना करना पड़ा था. “और वे आज बताती हैं , कि मैं उन सभी लोगों का अत्यधिक शुक्रिया अदा करना चाहती हूं जिन्होंने मुझे अपमानित किया”. वह बताती हैं, कि लोगों द्वारा अपमानित होने एवं उनको घृणा से देखे जाने से ही उनके अंदर एक ऐसी ज़िद जागृत हुई, कि अब तो कुछ इस दुनिया को उनको करके ही दिखाना है.

अपना नाम खुद के दम पर लोगों को याद दिलाना है. इस निर्दई दुनिया में सम्मान से जीने का अधिकार हर किसी को है और इसी को सोचकर उन्होंने खुद को खत्म करने का इरादा छोड़ दिया और आगे अपने जीवन में प्रगति पाने के लिए बढ़ चली गई .

वह कहती हैं, कि मैं उस सबसे एक बार जरूर मिलना पसंद करूंगी . जिसने मेरे शरीर को तो झुलसा पसंद दिया , परंतु मेरे सपने एवं जीवन में उजाले का दीप जला दिया.

लक्ष्मी अग्रवाल के करियर की शुरुआत –

लक्ष्मी ने स्टॉप एसिड अटैक अभियान को शुरू किया .उनकी मेहनत और उनके द्वारा शुरू किए गए स्टॉप एसिड अभियान से दुनिया भर के लोग जागृत होने लगे और इस तरीके के हमले से बचे हुए लोगों के लिए यह अभियान एक आवाज बन गई.

इस अभियान के शुरू होने का इतना गहरा असर हुआ कि एसिड सेल पर अंकुश लग गई और इतना ही नहीं एसिड अटैक सर्वाइवर लोगों को सरकार ने पुरस्कृत भी किया था. लक्ष्मी जी ने जून 2014 में न्यूज़ एक्सप्रेस के एक टेलीविजन शो में “उड़ान” सीरियल की मेजबानी भी करते हुए नजर आई थी.

भूख हड़ताल एवं स्टॉप एसिड सेल के लिए याचिका –

2014 में लक्ष्मी अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट में एसिड सेल की बिक्री में नए नियमों को लागू करने की मांग शुरू कर दी थी. इस याचिका के तहत उन्होंने यह कहा कि 18 वर्ष से कम उम्र का व्यक्ति एसिड नहीं खरीद सकता एवं खरीदने हेतु ग्राहक को किसी भी प्रकार का पहचान प्रमाण पत्र दुकानदार को देना आवश्यक होना चाहिए.

लक्ष्मी अग्रवाल और एसिड अटैक से पीड़ित अन्य लोगों ने मिलकर एसिड अटैक पीड़ितों के पुनर्वास के लिए भी भूख हड़ताल जैसी योजनाओं में एकजुट होकर एक साथ खड़े रहे.

लक्ष्मी अग्रवाल और आलोक दीक्षित की प्रेम कहानी –

जब लक्ष्मी जी अपने विषम परिस्थिति और बुरे दिनों से लड़ाई लड़ रही थी तो इस बीच उनकी मुलाकात एक व्यक्ति आलोक दीक्षित से हुई. आलोक दिक्षित पेशे से जर्नलिस्ट तथा सोशल एक्टिविस्ट भी थे. आलोक दीक्षित ने लक्ष्मी अग्रवाल का उनके हर एक परिस्थिति में उनके साथ खड़े रहे.

लक्ष्मी अग्रवाल के साथ कुछ दिन बिताने के बाद आलोक दिक्षित को यह एहसास हो गया , कि बिना खूबसूरती के जीना इस दुनिया में कितना दुखदायक एवं कठिन होता है. आलोक दीक्षित ने सामाजिक नियमों को नजरअंदाज कर लक्ष्मी अग्रवाल के साथ अपना आगे का जीवन व्यतीत करने का निर्णय ले लिया.

उनका प्रेम एक ऐसा प्रेम संबंध था, जिसमें उन्होंने एक-दूसरे के साथ बिना विवाह के रहने का निर्णय लिया था. आलोक दीक्षित का मानना था, कि शादी में दुल्हन की खूबसूरती को निहारने दुनिया वाले आते हैं. इसीलिए वह नहीं चाहते थे, कि शादी कर उनकी गर्लफ्रेंड पर कोई गंदा कमेंट करें. “आलोक दीक्षित का कहना था, कि वे एक दूसरे के साथ मरते दम तक जीवन व्यतीत करना पसंद करते हैं और दुनिया को यह सबक भी देंगे की शादी का बंधन केवल रीति-रिवाजों के बिना ही पूरा नहीं होता.

शादी एक सच्चे मन से भी हो जाती है”. लक्ष्मी अग्रवाल का कहना है, कि उनके चेहरे का 7 बार ऑपरेशन हुआ था. लक्ष्मी अग्रवाल का कहना है कि उन्होंने कभी सोचा नहीं था, कि उनके जीवन में इस अप्रिय घटना के होने के बाद भी कोई ऐसा व्यक्ति मिलेगा जो उनके सुख दुख में सदैव साथ रहेगा.

आलोक दीक्षित का कहना था , कि जैसे सभी को प्यार होता है वैसे ही मुझे भी लक्ष्मी से हुआ. यह सच था, कि उसका चेहरा खूबसूरत तो नहीं था, परंतु मैंने उसकी बाहरी खूबसूरती को नहीं देखा उसके अंदर छुपे एक खूबसूरत लड़की की भावना को देखा और समाज से बिना डरे जीवन जीने का उसने जो निर्णय लिया वह मुझे अत्यधिक पसंद आया.

आलोक द्वारा उठाए गए इस निर्णय को हम दिल से सलाम करते हैं और इन दोनों की प्रेम कहानी की जितनी भी सराहना की जाए उतनी कम है. आलोक ने “खूबसूरती” जैसे दुनिया के पैमाने को झूठा साबित किया और इंसानियत की नई मिसाल दुनिया वालों के सामने पेश कर दी है.

आलोक और लक्ष्मी के अविश्वसनीय प्रेम संबंध के फलस्वरूप उनके यहां एक नन्ही परी का नवंबर 2015 में जन्म हुआ उन दोनों की प्रेम की निशानी का नाम पीहू है.

लक्ष्मी अग्रवाल के द्वारा शुरू किए गए कुछ फाउंडेशन एवं उनकी कुछ अचीवमेंट –

आज के समय में लक्ष्मी और आलोक ने मिलकर “छांव फाउंडेशन  नाम की एक गैर सरकारी एनजीओ का निर्देशन करते हैं. यह एनजीओ (NGO) एसिड अटैक से पीड़ित लोगों के लिए काम करती है.

वर्ष 2014 में लक्ष्मी को यूनाइटेड स्टेट में मिशेल ओबामा ने इंटरनेशनल वूमेन ऑफ करेज के सम्मान से नवाजा और उसी वर्ष एनडीटीवी इंडियन ऑफ द ईयर (NDTV INDIAN OF THE YEAR) भी बनी.

हमें लक्ष्मी अग्रवाल के जीवन में घटित उन सभी घटनाओं से सीख लेनी चाहिए जो आज के इस आधुनिक दौर में खुद के जीवन जीने के लिए आवश्यक है. आलोक और लक्ष्मी के अटूट प्रेम संबंध से समाज को बेवजह के रीति-रिवाजों एवं गंदे सोच रखने वाले लोगों को जरूर सीख लेनी चाहिए.

एसिड अटैक एवं अन्य अपराधिक घटनाएं तो सभी जगहों पर दुर्भाग्यवश निरंतर होती रहती हैं, परंतु ऐसी घटनाओं के होने के बाद उन्हें अनदेखा नहीं करना चाहिए उनके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और मिलजुल कर पीड़ित जन को प्रोत्साहित करना चाहिए.

हमें आज इस समाज से दयनीय भावना एवं भेदभाव जैसी बुरी प्रवृत्तियों को मिटाना आवश्यक है. इन सभी बातों का अगर आप अपने दैनिक जीवन में निर्वहन करना चाहते हैं, तो आपको एक बार जरूर लक्ष्मी अग्रवाल पर हुई उन सभी अपराधिक एवं सामाजिक घटनाओं का ध्यान करना चाहिए और उनसे सीख लेनी चाहिए.

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