Name of Days (Tithi) | तिथि के स्वामी | Tithi and Names of Their Swami

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वैदिक पंचांग के अनुसार मास में 3० तिथियां होतीं हैं, जो दो पक्षों में बंटीं होती हैं:- 1. शुक्लपक्ष 2. कृष्णपक्ष। जो कि इस प्रकार से हैं :-

#  तिथि Tithi स्वामी
1. प्रतिपदा/ प्रथमा Prathama अग्नि
2. द्वितीया Dwitiya ब्रह्म
3. तृतीया Tritiya गौरी
4. चतुर्थी Chaturthi गणेश
5. पञ्चमी Panchami सर्प
6. षष्ठी Shashthi कार्तिकेय
7. सप्तमी Saptami सूर्य
8. अष्टमी Ashtami शिव
9. नवमी Navami माँ दुर्गा
10. दशमी Dasami यमराज
11. एकादशी Ekadasi विश्वदेव
12. द्वादशी Dvadasi विष्णु
13. त्रयोदशी Trayodasi कामदेव
14. चतुर्दशी Chaturdashi शिव
15. पूर्णिमा (शुक्लपक्ष) / अमावस्या (कृष्णपक्ष) Purnima (Shukla paksha) Amavasya (Krishna paksha) चंद्रमा / अर्यमा
  • शुक्लपक्ष और कृष्णपक्ष में 15- 15 तिथियां बटी हुई है। शुक्लपक्ष में प्रथमा से पूर्णिमा और कृष्णपक्ष प्रथमा से अमावस्या तिथि है।

तिथि क्या है

  • आम तोर पर हम जिन तारीखों को मानते या जानते है वे 24 घंटे में बदल जाती है। अर्थात यह कि रात के 12 बजते ही दिन बदल जाता है जो कि जादातर माने जाने वाला तरीका है। लेकिन वैदिक पंचांग के अनुसार दिन परिवर्तन ज्यादातर सूर्योदय पर निर्भर करता है। सूर्य और चंद्रमा के उदय और अस्त से ही अंतर तय की जाती है की कोनसी तिथि कोनसे समय तक रहेगी।
  • ज्यादातर एक तिथि 19 घंटे से लेकर 24 घंटे तक की होती है।और यदि कोई तिथि 19 घंटे की होगी तो इसका मतलब यह है कि मध्यांतर में ही या मध्य रात्रि में ही तिथि बदल जाएगी। लेकिन उसी तिथि को मुख्य माना जाता है जो उदय काल में हो।
  • मुख्य तीन प्रकार की तिथि होती है जैसे :- 1.सुधि तिथि 2.क्षय तिथि 3.वृद्धि तिथि

सुधि तिथि

सुधि तिथि इस में केवल एक बार सूर्योदय होता है। अर्थात एक तिथि एक ही सूर्योदय में बनी रहती है। मुख्य तौर पर ज्यादा तर तिथियां यही सुधि तिथि होती है।

क्षय तिथि

जिसमें सूर्योदय होता ही नहीं यानी जब कोई तिथि सूर्योदय के बाद प्रारंभ हो तथा अगले सूर्योदय के पहले समाप्त हो जाये तो वो क्षय तिथि कहलाती है।

वृद्धि तिथि

जब कोई तिथि वर्तमान सूर्योदय के पहले प्रारंभ हो कर अगले सूर्योदय के बाद तक या अगले सूर्योदय तक रहे अर्थात दो सूर्योदय में एक ही तिथि रहे तो वो वृद्धि तिथि कहलाती है।

तिथियों का महत्व

ज्योतिष शास्त्र में तिथियों का बहुत महत्व पूर्ण स्थान है।प्रत्येक तिथि और वार का हमारे मन और मस्तिष्क पर गहरा असर पड़ता है। सही और सटीक भविष्यवाणी करने के लिए तिथियों का उपयोग किया जाता हैं।

तिथियों के प्रभाव को जानकर ही व्रत और त्योहारों को बनाया गया। और बच्चों की जन्म कुंडली बनाने में तथा पूजा आदि के लिए उत्तम समय और दिन निकालने के लिए भी तिथियों का उपयोग किया जाता है।

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