Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छह गतिविधि उनके नाम और काम

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गतिविधि

संघ के के माध्यम से समाज हिट के लिए जो सोचारु रूप से स्वत्र्न्त चल रही है आज हम उन गतिविधियो के बारे मे अध्य्य्न करेंगे जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की 6 गतिविधिया पूरे भारत मे चल रही है जो समाजहित और समाजसुधारक हेतु ये गतिविधियों चल रही है

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छह गतिविधि उनके नाम और काम निम्नलिखित है

नीचे दी गई 6 गतिविधियों निम्नलिखित है जिनकी कार्यो की जानकारी निम्नलिखित है .

  1. सामाजिक समरसता गतिविधि
  2. पर्यावरण संरक्षण गतिविधि
  3. समग्र ग्राम विकास गतिविधि
  4. गोसेवा गतिविधि
  5. कुटुंब प्रबोधन, गतिविधि
  6. धर्मजागरण गतिविधि

सभी गतिविधियो की अपनी एक इकाई या टोली के रूप मे कार्य करती है जेसे की मान लीजिएगा की सामाजिक समरसता गतिवधि है इस गतिविधि की अपनी एक टोली है जिसके अंतर्गत कार्य कर रही है हम सबसे पहले बात कर कर लेते है इन सभी गतिविधियो के परिचय के बारे मे हम सबसे पहले इनके बारे जानते है

1.सामाजिक समरसता गतिविधि :

सामाजिक समरसता गतिविधि , समरसता संघ की विचारधारा का एक पारिभाषिक शब्द है। 1983 में श्रद्धेय दत्तोपंत ठेंगडी जी ने पुणे में सामाजिक समरसता मंच की। स्थापना की। तब से इस शब्द का चलन सार्वजिनक मंच पर होने लगा। श्रीगुरूजी तथा पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चिंतन में भी समरसता शब्द का प्रयोग मिलता है।

बंधुता के बिना सामाजिक समरसता नहीं हो सकती। सम रसता किसी कानून से नहीं, संस्कार और व्यक्ति निर्माण से आ सकती है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 97 वर्ष से इसी कार्य में लगा है। समता और समरसता से युक्त समाज की स्थापना भारत का प्राचीनकाल से लक्ष्य रहा हैं।

भारत में राजनीतिक और सामाजिक दास्ता समाप्त करने के लिए सामाजिक समता का प्रयोग किया गया हैं। कई कारणों से हिन्दु समाज में विषमताओं का जन्म हुआ। अधिकारों का विषम बटवारा हुआ। राज्य करने का अधिकार किन्हीं विशिष्ट जातियों को दिया गया। बहुसंख्यक लोगों को सेवा कार्य में ही लगाया गया। समाज में अस्पृश्यता व छूआ-छूत जैसी घोर निंदनीय बुराईयों का बोल बाला हुआ। मंदिर, कुआं व श्मशान का प्रयोग जातीय आधारित किया गया। इसके पीछे धर्म की मान्यता दी गई।

यह व्यवस्था अपरिवर्तनीय मानी गई। इन सामाजिक बुराईयों के विरोध में समय-समय पर अनेक महापुरूषों ने आवाज उठाई व समाज सुधार के आंदोलन चलाए। जिससे कालांतर में सामाजिक व राजनीतिक समता आई। इनमें महात्मा ज्योति राव फूले, नारायण गुरू, डॉ आंबेडकर का नाम विशेष रूप से लिया जाता है।

प्राचीनकाल में जो व्यवस्थाएं निर्मित हुई वह उस काल के अनु रूप तैयार की गई, ऐसा मुझे लगता हैं। आज अगर उनकी आवश्यकता न हो, उनकी उपयोगिता समाप्त हो गई हो, तो हमें उनका त्याग करना चाहिए। जाति व्यवस्था व छूआ-छूत का विचार करें तो हमारे ध्यान में आएगा कि वर्तमान परिस्थिति में इसकी कोई आवश्यकता नहीं हैं और यह मानव जाति पर कलंक हैं।

मेरी यह धारणा हैं कि अनुसूचित जाति व वंचित समाज के बंधु किसी की कृपा नहीं चाहते हैं। बराबरी व सम्मान का स्थान चाहते हैं। और वह भी अपने पुरूषार्थ से ही। हमारे ये भाई अब तक पिछड़े हुए रहने के कारण चाहते है। कि उन्हें सभी प्रकर की सुविधाएं और समान अवसर मिलने चाहिए। उनकी यह अपेक्षा और मांग उचित ही है। किन्तु अंततोगत्वा उन्हें समाज के विभिन्न घटकों के साथ योग्यता की कसौटी पर स्पर्धा करके ही बराबरी का स्थान प्राप्त करना है। यह उन्हें भी अभिप्रेत होगा ।

नेता जी सुभाषचन्द्र बोस ने कहा- हमें जिस राष्ट्रीय मुक्ति की कामना है वह त्याग और कष्ट सहन के रूप में अपनी कीमत लिये बिना नही मिल सकती। यह अनुभव करने के लिए जिसके पास हृदय है और जो | कष्ट सहन करने के लिए तत्पर है उसे पूजा के पुष्प लेकर आगे आना चाहिये।

सामाजिक समरसता गतिविधि के महत्वपूर्ण बिन्दु

  1. हिन्दू समाज के महापुरूष सम्पूर्ण समाज के लिए हैं किसी जाति विशेष के नहीं।
  2. महापुरूषों की जयंती सर्वसमाज मिलकर मनाए, , विशेषकर भगवान महर्षि वाल्मीकि जी, संत रविदास जी, बाबा साहेब अम्बेडकर जी, गुरुनानक जी,
  3. उक्त सभी महापुरूषों की जयंती पर अपने परिवार में प्रबोधन, सामूहिक दीप प्रज्वलन, महापुरूष के विषय में विमर्श/संस्मरण आदि का वाचन।
  1. अपने घरों में हिन्दू समाज की सभी जातियों, बन्धुओं भगीनियों के लिये समान व्यवहार का अभ्यास जैसे एक समान पात्र, बैठने का स्थान आदि का घर के सदस्यों से आग्रह ।
  2. अपने घरों में होने वाले मांगलिक कार्यक्रमों में अपने आस पास के परिचित आदि अनुसूचित समाज बन्धुओं को आमंत्रित कर यथा योग्य आदर सत्कार करना ।
  3. अनुसुचित समाज के एक वंचित परिवार को गोद लेकर उस परिवार की शिक्षा, स्वास्थ्य, योग्य चिंता करना । रोजगार, सामाजिक मान सम्मान आदि की यथा
  1. आरक्षण एक समाज उत्थान की वैधानिक व्यवस्था है अपने बन्धु बाँधवों को आगे बढ़ाने की, इसलिए अनावश्यक बहस से दूर रहना।
  2. भुल कर भी किसी जाति के लिए अशोभनीय शब्द न कहें इसका प्रत्येक समय धयान दे ।
  1. महापुरूषों की जीवनियों का वाचन, विषेशकरः संत रविदास जी, अम्बेडकर जी ।
  2. समरसता व्यवहार है भाषण से या अच्छी बाते बोलने से नही अपितु अपने व्यवहार में सहजता से लाना होगा। भागदौड़ से भरे जीवन मूल्यों और संस्कारों को न भूलें। शहर में रहते हुए भी गाँव की मिट्टी और संस्कारों को न भूलें।
  3. अपने मोहल्ले के मंदिर को परस्पर सहयोग से जीवंत बनायें। यहाँ पुस्तकालय स्थापित करें। बड़े बुजुर्गों के बैठने का स्थान बनावें । मंदिर को संस्कृति का केन्द्र बनावें । 16 संस्कारों की व्यवस्था पंडित जी के माध्यम से प्रत्येक घर में हो इसकी व्यवस्था सामूहिक प्रयास से करें।

2.पर्यावरण संरक्षण गतिविधि :

पर्यावरण संरक्षण करें, ऋषि मुनियों द्वारा प्रदत्त ज्ञान के अनुसार प्राकृति नियमों के अनुरूप जीवन जियें ।.

वृक्ष:- भोजन एवं औषधी युक्त पेड़ पौधे लगवाना एवं नई पीढ़ी को वृक्षारोपण करना सिखना । वृक्षों के प्रति सम्मान और आदर का भाव जागृत करना ।

पृथ्वीः- धरती माँ का तिलक लगाना, सवेरे उठने के पश्चात् धरती को स्पर्श कर माथे से लगाकर स्वयं प्रणाम करना और बच्चों को सिखाना। घरों में मिनरल (मिट्ठटी), वुड (लकडी), आयरन (लोहे), पीपल, काँसे, चाँदी, सोने जैसी धातुओं से बनी वस्तुओं का उपयोग करना ।

वायुः- प्राकृतिक वायु में कार्य करने एवं वायु प्रदुषण न करने के लिए आग्रह करना। घर में शुद्ध वायु आने जाने की व्यवस्था और अग्निहोत्र इत्यादि द्वारा वायुमंडल शुद्धि करने को बल देना। अग्नि (प्रकाश) :- सुर्य देव को प्रतिदिन अर्ध्य अर्पित करना, घर एवं कार्य स्थल के रोगाणुनाशक प्रकाश में कार्य करने के लिए आग्रह करना।

आकाश- पर्यावरण में पोलिथीन /प्लास्टिक सिल्वर फॉयल आदि हानिकारक पदार्थों से होने वाले प्रदूषण रोकने के लिए इकोबिक्स बनाना, यूज एंड थ्री प्लास्टिक के उपयोग न करने के प्रति जागरूकता फैलाना।

जल:- वॉटर केचमेंट एरिया (WCA) तालाब, बावडी, नदी चिन्हित करना एवं उनकी देख भाल पंच तत्व विधि द्वारा करना। घर के जलस्थान एवं नदियों को पवित्र भाव से संरक्षित करना। पर्यावरणीय स्थिरता प्राप्त करने और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए हर घर को “हरित घर” बनाना। हरित घर में जल, वन, जीव, उर्जा, भूमि संरक्षण पर कार्य करना।

घर में जल का संचय कैसे करे

  • स्नान करने में जल का अनुकूलन (optimum) उपयोग करें।
  • हाथ धोने, ब्रश करने एवं शेविंग करते समय, जब जल का उपयोग न कर रहें हो, तो नल को बंद रखे।
  • अतिथि को जल, पूछ कर ही आधे/दो तिहाई जल का गिलास दें। पानी की टंकी में अलार्म अवश्य लगायें।
  • पीने योग्य जल का उपयोग घर के आँगन, frontage एवं कार / दोपहिया वाहन को धोने में करने के बजाय वर्षा के संग्रहित जल का उपयोग करें
  • नौकरों/ नौकरानी से आग्रह करें कि बर्तन धोते समय जब जल का उपयोग न हो रहा हो तो नल बन्द रखें तथा जल उपयोग करते समय नल का प्रवाह मध्यम या धीमा रखें।
  • वाश बेसिन / स्नानघर/ रसोई/ वाटर बोतल के अपशिष्ट जल का उपयोग घर के पौधों एवं उद्यान में करें।

3. समग्र ग्राम विकास गतिविधि:

ग्राम विकास गतिविधि यह गतिविधि ग्राम विकास को लेकर बनाई गयी है अर्थात ग्राम के जीवन को वापस केसे ला सकते है इस डिजिटल युग मे हम अपनी पुरानी सभ्यता को भूलते जा रहे है हमारे सामने एक काल आया था अभी विगत वर्षो मे जिसको करोना काल का नाम दिया गया है उसमे हमे अपनी ग्रामीण पद्धति पर आधारित जीवन शेली को सबसे उत्तम प्राथमिकता मिली थी यही कारण है की संघ ने भी अपनी पुरानी ग्रामीण पद्धति जीवन शेली को फिर से उजगार बनाने के लिए तैयार किया है इस गतविधि मे निम्न इकाई है : जेवीक खेती ,जैविक उत्पाद ,आर्थिक स्वावलम्बन प्रमुख ,गौ संवर्धन एवं संरक्षण प्रमुख , शिक्षा प्रमुख और सुरक्षा प्रमुख आदि है

4.गोसेवा गतिविधि :

यह गतिविधि गौ सेवा के लिए बनाई गयी है इसका मुखी उद्देश्य है की गौ सेवा ओर गोबर से निर्मित उत्पाद ओर कृषि के लिए गोबर ओर गो मूत्र का केसे करे प्रयोग

5.कुटुंब प्रबोधन, गतिविधि :

यह गतिविधि परिवार को एकजुट करने के लिए बनाई गई है जिसके अंतर्गत परिवार को एकजुट किया जाता है अर्थात आज प्रत्येक परिवार का सदस्य इस भाग दोड़ जिंदेगी मे अपने परिवार को भूलता जा रहा है इसलिए संघ ने इसे अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुये इस गतिविधि का निर्माण किया है जिसके माध्यम से परिवार का प्रत्येक सदस्य एकजुट हो ओर परिवार पर आने वाली कोई भी समस्या हो उसका निवारण परिवार का प्रत्येक सदस्य मिलकर उसे अपनी ज़िम्मेदारी समझकर उसका हल निकाले और प्रत्येक परिवार मे आ रही सभी समस्या का हल हो ऐसा करने के लिए संघ ने ये अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुये इस समस्या का समाधान निकाला है आज यह गतिविधि प्रत्येक परिवार तक पहुच रही है ऐसा संघ का मानना है

6.धर्मजागरण गतिविधि :

इस गतिविधि के माध्यम से अपने धर्म का जागरण कैसे करना है ओर अपनी संस्कृति को कैसे बढ़ावा देना है इसके अंतर्गत यह सब आता है

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