Rasidi Ticket : Amrita Pritam Biography, Book/Pustak PDF Free Download || रसीदी टिकट : अमृता प्रीतम की आत्मकथा
महादेव मे मिली हुई मारी जायदाद वा त्यागवर वह सत दयानजी वे ढरे म जा बठा । मस्कृत सीखी व्रज बापा सीखी हिरमत सीखी योर डेर म ‘वातका] साधु कनान लगा।
बहन जय जीवित थी मामा मामी न वही अमृतसर म नद यी समाई कर दी थी। राज बीनी गाय मागा जिला गुजरात की थी-बदला-बदलीम व्याही हुई।
जिससे व्याह हुआ या, वह फौज में भरती होगर गया था, फिर उसकी कोई बवर नही आयी। उदाम और निराश वह गुजरावाला क एक छोट से स्यून में पती थी।
स्वन जाने मे पह अपनी भाभी के माय दमालजी के डेर म माया सा आया करती थी। भाई मर गया या, भाभी विधवा थी । पर अब दाना जुती जोर उदास एक स्कूल म पढाती थी एक साथ रहती थी।
एम दिन जर दाना दयाल जी के डेरे आयी, जोर से मह बरसन लगा। दयालजी न मेह का समय बिताने व लिए अपने ‘बालका साधु मे कविता सुनाने के लिए वहा ।……