Shankracharya Biography Book/Pustak Pdf Free Download || आदि गुरु शंकराचार्य

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खबराने लगा। प्रचंड धूप का ताप सहन न कर सकी और बेसुध होकर गिर पड़ी। मातृभक्त शंकर पर में बैठा हुआ अपनी मां विशिष्टा की प्रतीक्षा कर रहा था। जब अधिक देर हो तो वह पबरा गया।

इतनी देर तो मां कभी आलयाई नदी में स्नान करने के लिए नहीं लगाती थी आज इतनी देर कैसे हो गई?सोचते हुए बालशंकर नदी की ओर चल पड़ा मार्ग में ही पिशिष्टा बेतुध पड़ी हुई उसे दिखाई दे गई।

पानी के छोटे देकर शंकर विशिष्टा को सुध में लाया, फिर उसका हाय पकड़कर धीरे-धीरे अपने घर ले आया। पर मां की यह दशा देखकर शंकर को दुख पहुंचा।

प्रतिदिन स्नान करने मां इतनी दूर अवश्य जायेंगे, उनका प्रतिदिन का यही तो नियम है स्नान आलवाई नदी में अवश्य करेंगी, फिर पर आकर पूजा-पाठ करके तय कुछ अल्प-आहार लेंगी।

इतनी दूर जाना अब उनसे नहीं हो सकेगा, अधिक यक गई है । क्या सोच रहा है बेटे शंकर के सिर पर यार से हाय फेरते हुए विशिष्टा ने कहा। लेरी विद्वता प्रतिभा गुणों की चर्चा सभी जगह हो रही है. मैं तो तुन सुनकर ही हर्ष में भर जाती तू उदास क्या है….

 

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