शांति पाठ स्तोत्र, Shantipath ॐ नश्यन्तु प्रेत कूष्माण्डा नश्यन्तु दूषका नराः
क्या पूजा में कोई विघ्न आते है ?, पूजा में मन नहीं लगता ? कई बार ऐसा होता है कि अनुष्ठान या मंत्र तंत्र साधना या नित्य पूजा में भिन्न भिन्न प्रकार की बाधाये आती है जिसका हमे कई बार कोई निराकरण नहीं मिलता और हम हताश हो जाते है | इसकी वजह से कई लोग साधना या नित्य पूजा करना ही छोड़ देते है | ऐसी स्थिति में नित्य यह शांति पाठ पढ़ना चाहिए | प्रतिदिन अवश्य इस शान्तिपाठ का पूजा या साधना से पहले एक पाठ करना चाहिए | इससे अवश्य ऐसे अदृश्य विघ्न शांत होते है | इसके पाठ से घर में भी और जीवन में भी शान्ति प्राप्त होती है |
|| शान्तिपाठ ||
ॐ नश्यन्तु प्रेत कूष्माण्डा नश्यन्तु दूषका नराः |
साधकानां शिवाः सन्तु आम्नाय परिपालिनाम् ||
जयन्ति मातरः सर्वा जयन्ति योगिनी गणाः |
जयन्ति सिद्ध डाकिन्यो जयन्ति गुरु पन्क्तयः ||
जयन्ति साधकाः सर्वे विशुद्धाः साधकाश्च ये |
समयाचार सम्पन्ना जयन्ति पूजका नराः ||
नन्दन्तु चाणिमासिद्धा नन्दन्तु कुलपालकाः |
इन्द्राद्या देवता सर्वे तृप्यन्तु वास्तु देवताः ||
चन्द्रसूर्यादयो देवास्तृप्यन्तु मम भक्तितः |
नक्षत्राणि ग्रहाः योगाः करणा राशयश्च ये ||
सर्वे ते सुखिनो यान्तु सर्पा नश्यन्तु पक्षिणः |
पशवस्तुरगाश्चैव पर्वताः कन्दरा गुहाः ||
ऋषयो ब्राह्मणाः सर्वे शान्ति कुर्वन्तु सर्वदा |
स्तुता में विदिताः सन्तु सिद्धास्तिष्ठन्तु पूजकाः ||
ये ये पापघ्रियस्सुदूषणरतामन्निन्दकाः पूजने
वेदाचार विमर्दे नेष्ट हृदया भ्रष्टाश्च ये साधकाः |
दृष्ट्वा चक्रमपूर्वमन्दहृदया ये कौलिका दूषका
स्ते ते यान्तु विनाशमत्र समये श्री भैरवस्याज्ञया ||
द्वेष्टारः साधकानां च सदैवाम्नाय दूषकाः |
डाकिनीनां मुखे यान्तु तृप्तास्तत्पिशितै स्तुताः ||
ये वा शक्तिपरायणाः शिवपरा ये वैष्णवाः साधवः
सर्वस्मादखिले सुराधिमपजं सेव्यं सुरै सन्ततं |
शक्तिं विष्णुधिया शिवं च सुधियाश्रीकृष्ण बुद्ध्या च ये
सेवन्ते त्रिपुरं त्वभेदमतयो गच्छन्तु मोक्षन्तु ते ||
शत्रवो नाशमायान्तु मम निन्दाकराश्च ये
द्वेष्टारः साधकानां च ते नश्यन्तु शिवाज्ञया ||
तत्परं पठेत स्तोत्र मानन्दस्तोत्रमुत्तमं |
सर्वसिद्धि भवेत्तस्य सर्वलाभो प्रणाश्यति ||
|| शांतिपाठ स्तोत्र सम्पूर्ण ||