श्री गणेश मंत्र – Shri Ganesh Mantra – Lord Ganesha Mantra

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श्री गणेश मंत्र || Shri Ganesh Mantra || Lord Ganesha Mantra

कार्य के प्रारंभ में भगवान श्री गणेश जी को प्रसन्न करने का मंत्र ||

ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ । निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥
ऊँ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥

.श्री गणेश बीज मंत्र ||
“ऊँ गं गणपतये नमो नमः ।”

“ॐ गं गणपतये नमः ।”षडाक्षर गणेश मंत्र ||
Shodashakshari Shri Ganesh Mantra :
“ॐ वक्रतुंडाय हुम्‌”

इस षडाक्षर Ganesh Mantra का जप आर्थिक प्रगति व समृद्धि प्रदायक है.गायत्री गणेश मंत्र ||

Gayatri Ganesh Mantra :
ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

शुभ लाभ गणेश मंत्र || Shubh Labh Ganesh Mantra :
ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नम:।।सिद्धि की प्राप्ति के श्री गणेश मंत्र ||
Siddhi Ki Prapti Ke Shri Ganesh Mantra :
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा ॥

मंगल विधान व विघ्नों के नाश हेतु गणेश मंत्र ||

गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।

द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥

विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।

द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥

विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌ ।

“ॐ गं नमः”

“गं क्षिप्रप्रसादनाय नम:” ( आलस्य, निराशा, कलह, विघ्न दूर करने के लिए विघ्नराज रूप की आराधना का यह मंत्र जपें उच्छिष्ट गणपति का मंत्र |
“ॐ हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा !”

रोजगार की प्राप्ति व आर्थिक वृद्धि के लिए श्री गणेश मंत्र
ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।

मोहन गणेश मंत्र || Mohan Shri Ganesh Mantra :
ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।तांत्रिक गणेश मंत्र ||
Tantrik Ganesh Mantra :
ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरू गणेश।

ग्लौम गणपति, ऋद्धि पति, सिद्धि पति। करों दूर क्लेश।।कुबेर गणेश मंत्र ||
Kuber Ganesh Mantra :
ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।वक्रतुण्ड गणेश मंत्र ||
Vakratunda Ganesh Mantra :
वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।

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