कहानी: मिट्टी का खिलौना Story Clay Toy, Kahaanee: Mittee Ka Khilauna

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बहुत समय पहले एक गांव में एक कुम्हार रहता था। वो मिट्टी के खिलौने बनाने का बहुत ही अच्छा कारीगर था।

हर रोज मिट्टी के खिलौने बनाता, ओर उन्हें आस पास के गांव में बेचने के लिए जाता था। पर गाँव इसी से जैसे-तैसे उसका जीवन चल रह था। पर गांव में उसे उन खिलौने का अधिक रुपया नहीं मिलता था। किसी किसी दिन तो एक भी खिलौना नहीं बिकता था।

पैसों की हर दिन की तंगी से परेशान होकर एक दिन उसकी पत्नी ने उससे कहा कि अब आप शहर जाओ और किसी नौकरी की तलाश करो, ताकि हम लोग कुछ धन कमा सकें।

कुम्हार को भी अपनी पत्नी की बात सही लग रही थी। वह पास के शहर गया और वहां जाकर नौकरी करने लगा। अब उसे सही पैसे भी मिलने लगे। पर उसका मन हमेशा मिट्टी के खिलोने और बर्तन बनाने का करता रहता था।

एक बार कुम्हार के मालिक ने उसे अपने बेटे के जन्मदिन पर बुलाया। कुम्हार चाहता था की मालिक के बेटे को कोई बहुत अच्छा खिलौना लेके दे। पर शहर में दुकानों पर खिलौने बहुत ही महंगे थे।

फिर कुम्हार ने सोचा कि मैं मालिक के बच्चे को मिट्टी का खिलौना बनाकर दे देता हूं।

कुम्हार ने एक बहुत ही सुंदर मिट्टी का खिलौना बनाया और उसे उपहार के तौर पर दे दिया। जब जन्मदिन की दावत के बाद बच्चों ने सभी खिलौने खोले, मालिक के बेटे और उसके साथ के दूसरे बच्चों को मिट्टी का खिलौना खूब पसंद आया।

व्यापारी की दावत में मौजूद हर कोई उस मिट्टी के खिलौने की चर्चा करने लगा। हर जानना चाहता था, की इतना सुंदर खिलौना किसने दिया ओर कहा से लिया। तब वहां मौजूद लोगों में से किसी एक ने बताया कि व्यापारी का नौकर यह खिलौना लेकर आया हैं। यह सुनकर हर कोई हैरान हो गया।

फिर वो सभी कुम्हार से उस खिलौने के बारे में पूछने लगे। सभी बच्चे वैसा ही खिलौना चाहते थे।

कुम्हार ने बताया कि यह कोई महंगा खिलौना नहीं है, बल्कि इसे मैंने खुद अपने हाथों से बनाया है। मैं एक कुम्हार हूँ। अपने गांव में पहले यही बनाकर बेचा करता था।

पर इस काम से गांव में बहुत काम कमाई होती थी, इसलिए मुझे यह काम छोड़कर शहर आना पड़ा और अब यह नौकरी कर रहा हूं।

कुम्हार के मालिक ने कहा कि क्या तुम ऐसा खिलौना सब बच्चों के लिए बना सकते हो। कुम्हार ने खुश होकर कहा, ‘ हां मालिक, ये तो मेरा काम है। मैं इन सभी बच्चों को अभी तुरंत खिलौने बना कर दे सकता हूं।”

कुछ ही देर में कुम्हार ने बहुत सारे खिलौने बना कर तयार कर दिए। कुम्हार की यह कलाकारी देखर उसका मालिक हैरान होने के साथ ही काफी खुश भी हुआ।

व्यापारी मिट्टी के खिलोनों का व्यापार करने की सोचने लगा। उसके मन में हुआ कि वह कुम्हार से मिट्टी के खिलौने बनवाएगा और फिर खुद उन्हें बेचे देगा। उसने यही सोचकर कुम्हार को मिट्टी के खिलौने बनाने का काम दे दिया। अब कुम्हार भी खुश था, उसे तो खिलौने बनाना बहुत पसंद था।

कुम्हार के मालिक ने कुम्हार को रहने के लिए अच्छा घर और मोटी तनख्वाह भी देने का फैसला किया। कुम्हार अपने गांव गया और परिवार वालों को अपने साथ रहने के लिए लेकर आ गया।

अब कुम्हार का परिवार भी बहुत खुश था। कुम्हार के बनाए खिलौने शहर में सभी ने पसंद किए। पूरा परिवार आनंद और खुशी के साथ रहने लगा।

कहानी से सीख –

हमारा ज्ञान कभी भी हमारा साथ नहीं छोड़ता। हमे हमेशा अपनी कला तथा अपने आप पर विश्वास रखना चाहिए।

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