चेतना का महाकाव्य (The Epic of Consciousness) Swami Shivanand In Hindi Book/Pustak PDF Free Download
हरियाली और ऊँची और दूर की टिमटिमाती रोशनी,
नीला गुंबद जिसके ऊपर धरती की खूबसूरत छतें हैं,
सुबह की कोमल दुलार हवा देती है,
ग्रीटिंग पत्ते से मुस्कान के फूल,
निगार्ड की शरमाना अधजली बहने वाली धाराएँ,
उड़ने के लिए तैयार उगे हुए पंखों की चकली,
पूर्वी सम्राट के रूप में गौरवशाली ओर्ब ने लूटा
राजसी क्षितिज के सिंहासन से उठ रहा है,
रफल लाइफ करो; हैरान दुनिया निहारती है
क्षितिज की तिजोरी और नैतिक नियम भीतर,
जो दो चमत्कार के रूप में मन तक पहुँचता है।…………..
The greens and highs and far off twinkling lights,
Blue dome above which beauteous roofs the earth,
The gentle caress breeze of morn bestows,
Blossoms of smile from greeting foliage,
The blush of niggard half-wake flowing streams,
Chuckles of risen plumes ready to fly,
The glorious orb as Eastern monarch robed
Majestic rising from horizon’s throne,
Do ruffle life; amazed the world beholds
Horizon’s vault and moral law within,
Which twain as marvels reach of mind elude………