विनय पत्रिका, तुलसीदास हिंदी || Vinay Ptrika By Tulshidas PDF Download Hinid [Geeta press]
हे दीनदयालु भगवान् सूर्य! मुनि, मनुष्य, देवता और राक्षस सभी आपकी सेवा करते हैं ॥ १ ॥ आप पाले और अन्धकाररूपी हाथियोंको मारनेवाले वनराज सिंह हैं; किरणोंकी माला पहने रहते हैं; दोष, दुःख, दुराचार और रोगोंको भस्म कर डालते हैं ॥ २ ॥ रातके बिछुड़े हुए चकवा चकवियोंको मिलाकर प्रसन्न करनेवाले, कमलको खिलानेवाले तथा समस्त लोकोंको प्रकाशित करनेवाले हैं।
तेज प्रताप रूप और रसकी आप खानि हैं ॥ ३ ॥ आप दिव्य रथपर चलते हैं, आपका सारथी (अरुण) लूला है। हे स्वामी! आप विष्णु, शिव और ब्रह्माके ही रूप हैं ॥ ४ ॥ वेद-पुराणों में आपकी कीर्ति जगमगा रही है। तुलसीदास आपसे श्रीराम भक्तिका वर माँगता है।
भगवान् शिवजीको छोड़कर और किससे याचना की जाय? आप दीनोंपर दया करनेवाले, भक्तोंके कष्ट हरनेवाले और सब प्रकारसे समर्थ ईश्वर हैं ॥ १ ॥ समुद्र मन्थनके समय जब कालकूट विषकी ज्वालासे सब देवता और राक्षस जल उठे, तब आप अपने दोनोंपर दया करनेके प्रणकी रक्षाके लिये तुरंत उस विषको पी गये। जब दारुण दानव त्रिपुरासुर जगत्को बहुत दुःख देने लगा, तब आपने उसको एक ही बाणसे मार डाला।
Oh dear Lord Surya! Munis, humans, gods and demons all serve you. 1 You are Vanraj Singh, who killed the elephants in the form of frost and darkness; Wearing a garland of rays; Defects, sorrows, misdeeds and diseases are consumed. 2 The night’s parted cloud is the one who pleases the chakvis, the one who feeds the lotus and illuminates all the worlds. Tej Pratap Roop and Raski you are Khani. 3 You walk on a divine chariot, your charioteer (Arun) is Lula. O lord! You are the form of Vishnu, Shiva and Brahma. 4 Your fame is shining in the Vedas and Puranas. Tulsidas asks you for a boon of devotion to Shri Ram…………..