श्री हनुमान चालीसा महावीर व्याख्या || Hanuman chalisa Meaning in hindi pdf Download

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साहित्यगगन के मरीचिमाली एवं कविता कामिनी यामिनी के शारद निष्कलङ्क शशाङ्क, रामभक्ति भागीरथी सनाधित हृदय धरातल, सकल कविकुल शेखर, वैष्णववृन्द वृन्दारकेश, सीतारमण पद पद्म पराग परिमल मकरन्द मधुकर, कलिपावनावतार, प्रातःस्मरणीय, परम आदरणीय, श्रीमद्गोस्वामी तुलसीदासजी महाराजकी कृतियों में श्रीहनुमानचालीसा को भी बहुचर्चित रूप में स्थान प्राप्त है।

गुणग्राह्या विपश्चितः की दृष्टि से इस विषय पर विशेष आलोचनीय नहीं है तथापि कुछ विचार करना अनुपयुक्त भी नहीं होगा। गोस्वामीजी के ही द्वारा श्रीकाशी में प्रतिष्ठित श्रीसङ्कटमोचनहनुमानजी के मन्दिर में भी यह हनुमानचालीसा स्तोत्ररत्न भित्ति पर लिखा हुआ लेख-रूप में आज भी दृष्टिगोचर है। मानसजी के तथा गोस्वामीजी के अन्य सर्वमान्य ग्रन्थरत्नों की प्रसङ्ग सङ्गति भी इस ग्रन्थ के प्रसङ्गों से एकवाक्यतापन्न हो जाती है।

यथा लाय सँजीवन लखन जियाये (ह.चा.११), तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा (ह.चा. १६), तुम्हरो मन्त्र विभीषन माना (ह.चा. १७) इत्यादि प्रसङ्ग मानस से पूर्णतया मिलते हैं। श्रीहनुमान-विभीषण संवाद श्रीमानसजी के अतिरिक्त गोस्वामी के अन्य किसी ग्रन्थ में शब्दतः नहीं चर्चित हैं। पर मानसके इस गोपनीयतम

Marichimali of literature and poetry Kamini Yamini’s Sharad Nishkalanka Shashank, Ram Bhakti Bhagirathi Sanadhit Heart Dhartal, Sakal Kavikul Shekhar, Vaishnav Vrind Vrindarkesh, Sitharaman Pad Padma Param Parimal Makarand Madhukar, Kalipavanavatar, Prathammniya, Param Respected Tulsidas, Shriji in the form of Shri Bhigoswami, the supremely respected Tulsidas. Ranked in. There is no special criticism on this subject from the point of view of quality, however, it will not be inappropriate to think something. This Hanuman Chalisa Stotra is still visible in the form of an inscription written by Goswami in the temple of Sri Sankatmochan Hanuman ji in Srikashi. The contextual association of Manasji and other well-recognized gems of Goswamiji also becomes one-sided with the passages of this book………….

 

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