विश्वास खोजता है सफलता का मार्ग- Vishwas Khojta Hai Safalta ka Marg
विश्वास में बहुत बड़ी शक्ति होती है। यदि हमारे मन में विश्वास है तो कठिन से कठिन रास्ते पर विश्वास के भरोसे आगे बढ़ा जा सकता है। और अगर जो विश्वास नहीं है तो जीवन की किसी भी रास्ते में उठाया गया कदम डगमगा सकता है। आशंका से भयभीत हो सकता है
यदि मन में विश्वास है कि कहीं कोई है परमात्मा , जो हमारी मदद कर रहा है तो व्यक्ति कहीं पर भी, कुछ भी कर सकने में समर्थ है। और अगर विश्वास नहीं है तो वह धरती पर ही अपने आप को कमजोर महसूस करेगा। जिस पर व्यक्ति खड़ा होता है।
विश्वास मन का एक संबल है मजबूत आधार है।
विश्वास जीवन का एक मजबूत सहारा है। जो व्यक्ति को किसी भी तरह की परिस्थिति में आगे बढ़ने में सहायक होता है। जीवन की किसी भी परिस्थिति में आगे बढ़ने के लिए सबसे पहले विश्वास करना सीखना होता है, सबसे पहले खुद पर,फिर भगवान पर तभी व्यक्ति आगे बढ़ सकता है। यदि खुद पर विश्वास नहीं है, भरोसा नहीं है तो फिर आगे बढ़ने की राह पर व्यक्ति कमजोर पड़ जाता है।
एक छोटी सी भी छलांग लगानी है तो मन में यह विश्वास करना होता है कि हम यह कर सकते हैं। यदि इतना भी विश्वास नहीं तो छोटी सी छलांग लगाने से पहले ही हम हार जाएंगे। उसे पार करना तो दूर की बात होगी।
इसलिए जीत हासिल करने से पहले जीतने पर विश्वास होना जरूरी है, इसके बाद प्रयास करने की बारी आती है।
अब प्रश्न यह उठता है कि हम किस पर भरोसा करें?
कैसे अपनी सामर्थ्य शक्तियों को पहचाने? कैसे विश्वास कर ले कि हम यह कर सकते हैं? इसके लिए उत्तर यही है कि जिस तरह विशाल पेड़ बनने का सामर्थ एक छोटे से बीज में छिपा रहता है, उसी तरह हमारे अंदर भी अनगिनत संभावनाओं की शक्ति, बीज रूप में विद्यमान है। यदि हम स्वयं पर विश्वास नहीं करेंगे, अपने सामर्थ्य पर भरोसा नहीं करेंगे, तो उन शक्तियों का उपयोग नहीं कर पाएंगे।
स्वयं पर विश्वास करके ही हम अपने अंदर स्थित शक्तियों के सदुपयोग का द्वार खोल सकते हैं।
और एक विशाल वृक्ष की तरह अपने व्यक्तित्व को सफल हुआ विस्तृत बना सकते हैं।जिस तरह वृक्ष बनने से पहले बीज को विकसित होने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। उसी तरह मनुष्य को भी विकसित होने के लिए अनगिनत संघर्ष करने पड़ते हैं।
उसी तरह मनुष्य को भी विकसित होने के लिए तरह-तरह की कठिनाइयों चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यदि उसे स्वयं की शक्तियों पर, स्वयं की क्षमताओं पर विश्वास ही नहीं है, तो वह कभी भी आगे नहीं बढ़ सकता।
चुनौतियों को स्वीकार नहीं कर सकता और ना ही कठिनाइयों पर विजय प्राप्त कर सकता है।
कठिनाइयों पर विजय प्राप्त करने के लिए सबसे पहले अपनी क्षमताओं पर विश्वास करना जरूरी है। इसके लिए यह जरूरी है कि हम अपनी अंतर्निहित क्षमताओं व शक्तियों को उजागर करना सीखें।
उनका उपयोग करना सीखें। पहले छोटे-छोटे कार्यों को करें, उनमें अपना सामर्थ्य आजमाएं, इसके बाद बड़े-बड़े कार्यों को करने का प्रयास करें। एकदम से किसी बड़े कार्य को करने में हिचकिचाहट हो सकते हैं। असंभव जैसी दुविधा मन में आ सकती है।
लेकिन यदि प्रयास किया जाए स्वयं पर विश्वास किया जाए। तो असंभव रूपी बड़े-बड़े विघ्नों को भी अपने मार्ग से हटाया जा सकता है और इसे संभव करके दिखाया जा सकता है।
दुनिया में बहुत कुछ ऐसा होता है, जिसे देखकर आश्चर्य होता है। ऐसा लगता है कि इसे कोई नहीं कर सकता, लेकिन फिर भी कोई तो इसे कर ही रहा होता है।किसी भी आश्चर्यजनक असंभव देखने वाले कार्य को करने के लिए बहुत मेहनत ,परिश्रम ,लगन ,अभ्यास व साहस की आवश्यकता होती है।
जो इन्हें अपनाता है, मन में विश्वास रखता है।कि कार्य किया जा सकता है वह वैसा कर लेता है। जो जितनी अधिक मेहनत व अभ्यास करता है, वह उतनी ही सरलता से उस कठिन कार्य को कर लेता है। भले ही दूसरों के लिए वह कार्य कठिन हो, लेकिन अभ्यस्त व्यक्ति के लिए वह कठिन सा देखने वाला कार्य भी सरल हो जाता है।
विश्वास बड़ा गुण है
मन में विश्वास होता है तो व्यक्ति फिर राह की कठिनाई नहीं देखता, बस उस पर चल पड़ता है और एक दिन वह कर लेता है, जो सबके लिए आसान नहीं होता।
सर्कस में एक से बढ़कर एक कारनामे दिखाए जाते हैं, बड़े-बड़े शो किए जाते हैं और लोग अपने दिल थाम कर बैठे रहते हैं, देखते रहते हैं। आश्चर्य करते रहते हैं कि यह सब लोग कैसे कर लेते हैं। यह सब अभ्यास, मेहनत, लगन व विश्वास का ही नतीजा होता है।
हम ताली बजाते हैं वह उनकी कुशलता की प्रशंसा करते हैं।
हमारी जिंदगी भी सर्कस की तरह चुनौतियों से भरी होती है, लेकिन मन में विश्वास न होने के कारण हम चुनौतियों को स्वीकारने से घबराते हैं। एक कदम भी आगे बढ़ाने से पहले सशंकित हो जाते हैं,यह विश्वास ही नहीं कर पाते कि हम भी कुछ कर सकते हैं। कुछ करने से पहले ही हार को स्वीकार कर लेते हैं।हमारी यही कमजोरियां हमारे विकास में बाधक होती हैं और प्रयास व विकास की डगर पर आगे बढ़ने से रोक देती है।
यदि आगे बढ़ना है तो हमें विश्वास करना सीखना होगा और यह ध्यान रखना होगा कि शक्तियां हमारे अंदर बीज रूप में विद्यमान है। आवश्यकता है तो बस उन्हें जगाने की और स्वयं पर विश्वास रखने की। हमारे द्वारा विश्वास करते ही यह शक्तियां सक्रिय हो जाती है।विश्वास से पूर्ण व्यक्ति के जीवन में तीन तत्व मुख्य रूप से कार्य करते हैं। पहला संकल्प दूसरा साहस और तीसरा विजय।
विश्वास के सहारे वह किसी भी कार्य को करने का संकल्प लेता है और साहस के साथ आगे बढ़ते हुए परिस्थितियों पर विजय प्राप्त करता है।
कौरव और पांडव, दोनों के समक्ष ईश्वर रूप श्री कृष्ण थे,किंतु दुर्योधन अपने सामने खड़े श्री कृष्ण की परम सत्ता को नकारता रहा और अर्जुन उस परम सत्ता के अनंत रूपों का साक्षात्कार करता रहा।उन पर विश्वास करता रहा और उनके निर्देश में युद्ध करता रहा और इसलिए उसने विजयश्री का वरण किया।
अर्जुन के समक्ष कई कठिनाइयां आई, उसकी कमजोरियां उसके समक्ष खड़ी हुई, लेकिन श्री कृष्ण के द्वारा दिए गए गीता के अमृत उपदेश से अर्जुन का भगवान पर भरोसा और भी बढ़ गया। जीवन की यथार्थता को उसने जान लिया और फिर बिना किसी हिचकिचाहट के उसने युद्ध किया।
मनुष्य के वर्तमान परिस्थितियां अत्यंत जटिल है, चारों और विकास के अनेक रास्ते हैं, लेकिन किस मार्ग पर आगे बढ़ा जाए, समझ नहीं आता है।
विपरीत परिस्थितियां मुंह खोले सामने खड़ी रहती हैं। ऐसी स्थितियों में यह स्मरण रखना चाहिए कि जीवन की कठिन परिस्थितियां एक चुनौती भर है। जीवन में चाहे चारों और कष्ट के बादल छाए हो, चाहे जैसी भी परिस्थितियां हो, विश्वास को डगमगाने नहीं देना चाहिए। क्योंकि यदि विश्वास है तो इन परिस्थितियों से बाहर निकलने की शक्ति स्वयं में स्वतः ही आ जाएगी।
यह शक्ति कहीं और नहीं, बल्कि हमारे भीतर ही विद्यमान है। बस हमें इस पर विश्वास करने की जरूरत है। यदि हम स्वयं पर, उस परमात्मा पर परम सत्ता पर विश्वास करते हैं। तो प्रगति के रास्ते स्वयं ही खुलते चले जाएंगे, बस हमें आगे बढ़ने के लिए सतत प्रयास करने की जरूरत है।