यज्ञ ( Yagna) शक्ति किसी भी देव- भूत-पिशाच- यक्ष- नाग-गन्धर्व को प्रभावित कर सकती है, Yagya Shakti can affect any God-ghost, Vampire-Yaksha, Naag-Gandharva

0

जिस शक्ति को हम जानते, समझते और अनुभव करते हैं, उन्हें बाहरी देश एंजेल कहकर खारिज कर देते हैं. पर हमारे यहां अलग अलग गुणों वाले जीवो की पहचान अलग-अलग तरह से की गई है. एक खास तरह के फायदे के लिए आप यहां उस जीव को बुलाते हैं ताकि आप अपनी सामान्य ताकत और क्षमताओं के मुकाबले कहीं ज्यादा चीज़ों को हासिल करने का लाभ ले सकें.

इस परंपरा में हमारे पास कई तरह के जीव हैं. उन सब को उनके गुणों के आधार पर एक पहचान दी गई है. हम इंसान जिन्हें देख नहीं सकते, उन्हें हम भूत प्रेत की श्रेणी में रखते हैं. अन्य जीव हैं  जिन्हें आप यक्ष और गन्धर्व भी कहते है. यहाँ वानर देवता भी है. इसी आधार पर हम बात करें तो वृक्ष, वानर, हाथी, यहाँ तक कि साग-सब्जी, पुष्प भी देवता है.यहाँ हर चीज के लिए एक देवता है तो क्या ये यह सब कपोल कल्पना है??? नहीं ये सब कुछ किन्हीं शक्तियों के कारण हो रहा है. उन्होंने इन शक्तियों को पहचान कर उनको मूर्त रूप दिया और उन तक पहुंचने का एक तरीका बनाया. जो कि यज्ञ है.

यज्ञ (Yagna) कुछ शक्तियों तक पहुंचाने की प्रक्रिया तय करता है, ताकि आप अपनी सामान्य ताकत और क्षमताओं के मुकाबले कहीं ज्यादा चीजों को हासिल करने का लाभ ले सकें. यज्ञ शब्द को ट्रांसलेट करके सैक्रिफाइस बोला जाता है. तो आप इंग्लिश शब्द सैक्रिफाइस को हमेशा ऐसे समझेंगे, मानो किसी चीज के लिए या बस ऐसे ही कुछ छोड़ रहे हैं. लेकिन  इससे किसी चीज के लिए कुछ छोड़ना तो व्यापार है. ऐसे ही कुछ छोड़ देना सैक्रिफाइस है तो यह जरूरी नहीं है कि यज्ञ का मतलब यही हो. यज्ञ आपकी भेंट और आहुतियों का वो अनुष्ठान है जिससे आप ब्रह्मांड में कुछ शक्तियों को प्रसन्न कर सकते हैं. दूसरी सभ्यताओं में आमतौर पर उन्हें ठीक से पहचान कर श्रेणियों में नहीं बांटा गया है. लेकिन यहां अलग अलग गुणों के जीवों की पहचान अलग-अलग तरह से की गई है और उनके अनुसार किसी खास तरह के फायदे के लिए आप एक खास जीव को बुलाते हैं.

इसके पीछे एक पूरी प्रक्रिया और विज्ञान है. आज भी लोग इन यज्ञों का इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन आमतौर पर कई सारे लोगों के लिए शायद यह कारगर नहीं होगा. क्योंकि अब ये ठीक से नहीं किया जा रहा है जैसे होना चाहिए. फिर भी भक्तों के लिए यह काम करता है .ऐसे बहुत सारे लोग हैं जिन्हें इन चीजों से बड़ा फायदा मिला है. लोग एक खास तरह से ही आग और यज्ञों का इस्तेमाल करके भौतिक संसार में जो करना चाहते हैं उसे प्राप्त कर लेते हैं. भले ही पढ़े-लिखे आजादी की बात करते हो लेकिन  आज भी अगर नए घर में जाना चाहे तो पहले उसकी पूजा और हवन करेंगे. यज्ञ एक नियम है. शक्ति है. संकल्प है.? मन्त्रों का ख़ास महत्व है. आपका कार्य तभी फलित होगा जब आप सब कुछ नियम पूर्वक और सही तरीके से करेंगे.

यदि आपका सब कुछ ठीक है तो आप यज्ञ करके मन्त्रों के द्वारा ना सिर्फ इन शक्तियों का आह्वाहन कर सकते हैं बल्कि इन्हें नियंत्रित भी कर सकते हैं. लेकिन आज ना तो वैसे ज्ञानी मिलते हैं ना ही ऋषि, जो उन मन्त्रों को सही उच्चारण के साथ पढ़ पाए. आज अधिकतर चीज़ों का व्यपारीकरण हो चुका है. मैं स्वयं अपने अनुभव की चीज बता रहा हूँ. जब मैं एक पुरोहित के द्वारा तालाब किनारे बैठकर अपने स्वर्गवासी पिता के क्रियाकर्म कर रहा था तो अचानक पुरोहित का फोन बजा और उन्होंने मंत्र बोलना छोड़ दुसरे यजमान से बातचीत करने में लग गए. फिर मंत्र भूल जाने के कारण उसने आरंभ से क्रिया शुरू की. अब बताइये जिस उद्धेश्य से वो मेरे पिता के लिए कर्म कर रहे थे अब उनका क्या होगा..?

अष्ट भुजाधारी माँ दुर्गा, सभी शक्तियों की समिश्रण है, इसीलिए उन्हें माँ आदि शक्ति कहा जाता है…आदि, अर्थात जिसका कोई आरम्भ नहीं…और जिसका कोई आरम्भ नहीं उनका अंत भी नहीं….इस सृष्टी में माता आदि शक्ति से बड़ी कोई और कोई दूसरी शक्ति नहीं…तभी तो एक दुर्दांद असुर, जिसका नाम दुर्गम था, जब सभी देवता पराजित होने लगे तो सभी देवताओं ने मिलकर माता आदि शक्ति के आह्वाहन के लिए, चंडी का यज्ञ किया. फिर माता आदि शक्ति के जिस स्वरुप ने दुर्गमासुर का अंत किया, माता को वो स्वरुप कहलाया दुर्गा..

दुर्गा या  देवी आदि शक्ति,  हिन्दुओं की प्रमुख देवी मानी जाती हैं जिन्हें प्रकृति देवी, देवी, शक्ति, आदिमाया, भगवती, माता रानी, जग्दम्बा, सनातनी देवी आदि नामों से भी जाना जाता हैं…देवी दुर्गा को आदि शक्ति, प्रधान प्रकृति, गुणवती योगमाया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकार रहित बताया गया है। वह अंधकार व अज्ञानता रुपी राक्षसों से रक्षा करने वाली तथा कल्याणकारी हैं। उनके बारे में मान्यता है कि वे शान्ति, समृद्धि तथा धर्म पर आघात करने वाली राक्षसी शक्तियों का विनाश करतीं हैं..

देवी दुर्गा का निरूपण सिंह पर सवार एक देवी के रूप में की जाती है। दुर्गा देवी आठ भुजाओं से युक्त हैं, जिन सभी में कोई न कोई अस्त्र-शस्त्र है जो शक्ति के स्वरुप हैं…पुराणों में भी इस बात का उल्लेख है उन्होंने ही महिषासुर का वध किया था. किन्तु उनका नाम दुर्गा, दुर्गमासुर का वध करने के कारण ही पड़ा था.

हिन्दू धर्म ग्रंथों में देवी दुर्गा को, जो माता पार्वती का ही एक स्वरुप है, शिव की पत्नी के रूप में दर्शाया है. जिन ज्योतिर्लिंगों में देवी दुर्गा की स्थापना रहती है उनको सिद्धपीठ कहते है। मान्यता है कि वहाँ किये गए सभी संकल्प पूर्ण होते है। देवी दुर्गा के नाम से हमारे यहाँ अनेकों मंदिर हैं. कहीं पर वो महिषासुरमर्दिनि के नाम से प्रसिद्द हैं तो कहीं माता शक्तिपीठ तो कहीं वो माँ कामाख्या देवी के नाम से विख्यात हैं.

यही माँ दुर्गा, कोलकाता में महाकाली के नाम से विख्यात और सहारनपुर के प्राचीन शक्तिपीठ मे शाकम्भरी देवी के रूप में पूजी जाती हैं…हिन्दुओं के शक्ति साम्प्रदाय में भगवती माता दुर्गा को ही सृष्टी की पराशक्ति और सर्वोच्च देवता माना जाता है… वेदों में तो दुर्गा का व्यापाक उल्लेख है, किन्तु उपनिषद में देवी “उमा हैमवती” अर्थात उमा, हिमालय की पुत्री के रूप में वर्णित है.

पुराणों  में दुर्गा को आदिशक्ति माना गया है..दुर्गा वास्तव में शिव की पत्नी, आदिशक्ति का ही एक रूप हैं…शिव की उस पराशक्ति को प्रधान प्रकृति, गुणवती माया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकार रहित बताया गया है। एकांकी  होने पर भी वह माया शक्ति, संयोगवश अनेक हो जाती है। माना जाता है कि उस आदि शक्ति देवी ने ही त्रिदेवों की पत्नियों के रूप में अवतरित होकर उनसे विवाह किया और सृष्टी के सञ्चालन में त्रिदेवों का साथ दिया.

वैसे तो देवी दुर्गा के स्वयं कई रूप हैं…लेकिन उनका दो रूप अत्यंत ही प्रसिद्द है. पहला माता गौरी और दूसरा माता काली का रूप…गौरी का अर्थ है, शान्तमय, सुन्दर और गौर वर्ण वाली देवी… दूसरा , उनका सबसे भयानक रूप कालीका  है, अर्थात जो अपने अन्धकार में सब कुच्छ लील ले…वैसे पुराणों में माँ दुर्गा के 108 नामों का वर्णन है.

मार्कण्डेय पुराण में ब्रहदेव ने मनुष्‍य जाति की रक्षा के लिए एक परम गुप्‍त, परम उपयोगी और मनुष्‍य का कल्‍याणकारी देवी कवच एवं व देवी सुक्‍त बताया है और कहा है कि जो मनुष्‍य इन उपायों को करेगा, वह इस संसार में सुख भोग कर अन्‍त समय में बैकुण्‍ठ को जाएगा…ब्रहदेव ने कहा कि जो मनुष्‍य दुर्गा सप्तशती का पाठ करेगा उसे सुख मिलेगा..भगवत पुराण के अनुसार माँ जगदम्‍बा का अवतरण श्रेष्‍ठ पुरूषो की रक्षा के लिए हुआ है…जबकि श्रीमद देवी भागवत के अनुसार वेदों और पुराणों की रक्षा के और दुष्‍टों के दलन के लिए माँ जगदंबा का अवतरण हुआ है…इसी तरह से ऋगवेद के अनुसार माँ दुर्गा ही आदि-शक्ति है, उन्‍ही से सारे विश्‍व का संचालन होता है और उनके अलावा और कोई अविनाशी नही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *