पांचवीं फेल एक शख्स ने खङा किया अरबों का कारोबार , बने मसालों के शहंशाह !
अपनी जिंदगी में कुछ ऐसा करना कि स्वयं सफलता की पराकाष्ठा बन जाना ! इस बात को अपने सफल कार्यों से हकीकत में बदला है महाशय धरमपाल गुलाटी ! मसालों के शहंशाह कहे जाने वाले महाशय धरमपाल गुलाटी की जीवन कहानी बाधाओं और परेशानियों से संघर्ष करते हुए फर्श से अर्श तक की पहुँचने की है ! आईए जानें…सफलता के पर्याय बने धरमपाल गुलाटी जी की प्रेरक कहानी !
महाशय धरमपाल गुलाटी सियालकोट में जन्म लिए थे जो आज पाकिस्तान में है ! उन्होंने मात्र 5वीं तक पढाई की ! 1947 में देश विभाजन के समय इनका परिवार पाकिस्तान में अपना सारा सामान छोड़कर दिल्ली आ गया और एक शरणार्थी कैंप में रहा ! दिल्ली आकर इनके सामने अपने जीविकोपार्जन की समस्या आ गई ! कुछ कार्य करना अति आवश्यक था ! इन्होंने 650 में एक तांगा खरीदा और उसी से कुछ पैसे कमाने लगे ! लेकिन इन्होंने इस कार्य को बहुत दिनों तक नहीं किया और अपने तांगे को बेच दिया !
MDH (महाशिया दी हट्टी) का बढता कारोबार
आज मसालों की दुनिया में MDH ब्रांड सर्वोपरि है ! अपनी गुणवत्ता और ग्राहकों की विश्वसनीयता के कारण पूरे विश्व में इसकी लोकप्रियता बखूबी देखी जा सकती है ! आज 100 से भी अधिक देशों में MDH मसाले की सप्लाई हो रही है ! MDH के अंतर्गत 60 उत्पाद हैं ! इसका हर उत्पाद लोगों की पसन्द है ! भारत के अलावा दुबई और लंदन जैसे नामचीन शहरों में इस कम्पनी के ऑफिस हैं !
समाजसेवा के लिए सदा रहते हैं तत्पर
महाशय धरमपाल गुलाटी जी अपने समाजसेवा में भी उल्लेखनीय योगदान देते हैं ! बेहद परोपकारी दिल के धरमपाल जी ने कई विद्यालय , कॉलेजों और अस्पतालों का निर्माण करवाया है जिसमें गरीब और जरूरतमंद लोगों को मुफ्त सेवा मिलती है ! धरमपाल जी MDH के सीईओ के पद पर पाई जाने वाली सैलरी का 90 प्रतिशत हिस्सा समाजसेवा के लिए दान कर देते हैं !
पुरस्कार व सम्मान
धरमपाल जी द्वारा स्थापित वृहद कारोबार हेतु उन्हें कई बङी संस्थाओं ने सम्मानित व पुरस्कृत किया है ! 2019 में भारत सरकार इन्हें भारत का तीसरा बड़ा सम्मान “पद्म भूषण” से सम्मानित किया गया !
अपनी बुद्धमता और प्रयास से मसालों का व्यापार कर धरमपाल जी ने पूरे विश्व में ख्याति पाई है ! अपने जीवन में बेहद संघर्ष करते हुए व्यापार के क्षेत्र में धरमपाल जी ने जो सफलता की अमिट कहानी लिखी है वह सदियों तक लोगों के लिए प्रेरणादायक रहेगी ! महाशय धरमपाल गुलाटी जी को नमन करता है !