28 कैंसर पीड़ित बच्चों को गोद लेकर गीता उन्हें एक माँ की तरह रखती हैं और उनका इलाज़ करवा रही हैं: Geeta Shreedhar

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एक शिक्षक का बच्चों की जिंदगी में अनेकों किरदार होता है। कभी शिक्षक बन पढ़ाना, कभी दोस्त बन हंसी मजाक करना तो कभी माता-पिता बन उनकी ज़िम्मेदारी उठाना। एक ऐसी ही शिक्षिका है, गीता श्रीधर जो 28 बच्चों की मां बन कर उनकी जिंदगी संवार रही है।

गीता श्रीधर (Geeta Shreedhar) मुंबई (Mumbai) में एक प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका थी। गीता अपनी ज़िंदगी में काफी ख़ुश थी लेकिन एक बार उनके पिता की तबीयत खराब हो गई। तब से गीता का ज़्यादा समय पिता की देख-रेख में निकलता था। लंबे समय तक बीमारी से ग्रसित रहने के बाद उनके पिता का निधन हो गया।

बीमार पिता की सेवा से हुई मदद की शुरुआत –

पिता की सेवा करते समय से ही गीता के मन में ऐसी सेवा भाव उत्पन्न हुई कि वह पिता की मौत के बाद ज़रूरतमंद लोगों की सेवा में लग गई। एक समय गीता पुणे के एक डॉक्टर के साथ एक आश्रम में गई। वहां उन्होंने देखा कि 2 – 5 साल के बच्चे कैंसर से जूझ रहे थे। उनकी यह हालत देखकर गीता उनकी मदद के लिए ख़ुद को रोक नहीं पाई। तब से हीं गीता उन कैंसर पीड़ित बच्चों की मां बन गई।

28 कैंसर पीड़ित बच्चों की मां बनी गीता –

गीता ने सोचा कि उन बच्चों को आर्थिक मदद से कहीं ज़्यादा ज़रूरत किसी के साथ की है, जो उनकी देखभाल कर सके। वह मददगार गीता ख़ुद बन गई और वहां के 28 बच्चों को लेकर वह अपने शहर मुंबई चली गई। उनके रहने की व्यवस्था गीता ने एक फ्लैट में की। बच्चों की कीमोथेरेपी चल रही थी। साथ ही उन पर ज़्यादा मात्रा में दवाओं का भी असर था।

गीता श्रीधर (Geeta Shreedhar) ने उन बच्चों के देखभाल में अपना पूरा जीवन व्यतीत करने का उद्देश्य बना लिया, जिसमें उनके पति ने भी भरपूर साथ दिया। वह अपनी सारी जमा पूंजी बच्चों की देख – रेख़ में लगा दी। इस नेक कार्य में उनके मित्रों ने भी पूरा साथ दिया। गीता 24 घण्टे बच्चों की देखभाल करती है। साथ ही बच्चों के लिए गेम सेशंस, म्यूजिक क्लासेज की भी शुरुआत की। यह काम गीता पिछले 12 वर्षों से के रही है।

फूड बैंक की भी शुरुआत की –

गीता के मदद का सिलसिला यहीं तक नहीं रहा। इसके साथ ही वह एक फूड बैंक की भी शुरुआत की है, जिसमें उनके साथ कई वॉलंटियर्स भी जुड़ गए हैं। ये लोग हर रविवार को गरीबों को भी खाना खिलाते हैं। गीता का कहना है कि पृथ्वी पर इंसान ही ऐसा प्राणी है जो सबकी मदद कर सकता है। ईश्वर हमें एक – दूसरे की मदद करने की लिए ही भेजा है। इसीलिए जितना संभव हो सके वह दूसरों की मदद करती है और आगे भी करना चाहती है।

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