आनन्द चन्द्रिका स्तोत्रम् || Aanad Chandrika Stotram
आनन्द चन्द्रिका स्तोत्रम् – राधा नाम की महिमा का बखान धर्म शास्त्रों में किया गया है। इसे लेकर विभिन्न प्रसंग है, जो कि सिद्ध करते हैं पावन राधा नाम की महिमा। भगवान श्री कृष्ण की प्रियतम् राधा रानी सदैव ही कल्याण करती है। वह महालक्ष्मी का स्वरूप है और गौ लोक में भगवान श्री कृष्ण के साथ निवास करती है। उनके दस नामों का वर्णन श्रीमदरूपगोस्वामीविरचित स्तवमाला के श्री राधिकाका आनंद चंद्रिका संज्ञक दशानामात्मक स्तोत्र में है, जो कि जीव को सभी क्लेशों से मुक्ति देता है। सौभाग्य प्रदान करता है। राधा-कृष्ण का प्रिय बनाता है।
आनन्द चन्द्रिका स्तोत्रम्
ध्यानम् ।
अङ्गश्यामलिमच्छटाभिरभितो मन्दीकृतेन्दीवरं
जाड्यं जागुडरोचिषां विदधतं पट्टाम्बरस्य श्रिया ।
वृन्दारण्यविलासिनं हृदि लसद्दामाभिरामोदरं
राधास्कन्धनिवेशितोज्ज्वलभुजं ध्यायेम दामोदरम् ॥
अथ श्रीराधिकाया आनन्दचन्द्रिकास्तोत्रं
श्रीराधिकायै नमः ।
राधादामोदरप्रेष्ठा राधिका वार्षभानवी ।
समस्तवल्लवीवृन्दधम्मिल्लोत्तंसमल्लिका ॥ १॥
कृष्णप्रियावलीमुख्या गान्धर्वा ललितासखी ।
विशाखासख्यसुखिनी हरिहृद्भृङ्गमञ्जरी ॥ २॥
इमां वृन्दावनेश्वर्या दशनाममनोरमाम् ।
आनन्दचन्द्रिकां नाम यो रहस्यां स्तुतिं पठेत् ॥ ३॥
स क्लेशरहितो भूत्वा भूरिसौभाग्यभूषितः ।
त्वरितं करुणापात्रं राधामाधवयोर्भवेत् ॥ ४॥
इति श्रीरूपगोस्वामिविरचितस्तवमालायां आनन्दचन्द्रिकास्तोत्रं समाप्तम् ।
आनन्दचन्द्रिकास्तोत्रम् हिन्दी भावार्थ सहित
श्री राधाजी का आनंद चंद्रिका स्तोत्र
राधा दामोदरप्रेष्ठा राधिका वार्षभानवी। समस्तवल्लवीवृन्दधम्मिल्लोत्तंसमल्लिका।।1।।
कृष्णप्रियावलीमुख्या गान्धर्वा ललितासखी। विशाखासख्यसुखिनी हरिहृद्भृंगमंजरी।।2।।
इमां वृन्दावनेश्वर्या दशनाममनोरमाम्। आनन्दचन्द्रिकां नाम यो रहस्यां स्तुतिं पठेत्।।3।।
स क्लेशरहितो भूत्वा भूरिसौभाग्यभूषित:। त्वरितं करुणापात्रं राधामाधवयोर्भवेत्।। 4।।
भावार्थ-
1- राधा- श्रीकृष्ण द्बारा आराधित या निर्वाणप्रदायिनी, 2- दमोदरप्रेष्ठा- दामोदर नंदनंदन की प्रेयसी, 3- राधिका- श्री कृष्ण की सर्वदा आराधना करने वाली, 4- वार्षभानवी- वृषभानु जी की पुत्री, 5- समस्तवल्लवीवृन्दधम्मिल्लोत्तंसमल्लिका- समस्त गोपांगनाओं के केशपाश को अलंकृत करने वाली मल्लिका यानी गोपरमणियो में सर्वश्रेष्ठ, 6- कृष्णप्रियावलीमुख्या- श्री कृष्ण भगवान की प्रियतमाओं में प्रमुख, 7- गान्धर्वा- संगीतादि ललित कलाओं में निपुण, 8- ललितासखी- ललितासखी के साथ विराजने वाली, 9- विशाखासख्यसुखिनी- विशाखा सखी के सख्यभाव से सुखी होने वाली, 1०- हरिहृद्भृंगमंजरी- श्री कृष्ण के मनरूप भ्रमर के आश्रय के लिए पुष्पमंजरी स्वरूपा।। 1- 2।।
जो व्यक्ति वृंदावनेश्वरी श्री राधा के दस नामों से शोभायमान इस आनंद चंद्रिका नामावली के गोपनीय स्तुति का मननपूर्वक पाठ करता है, वह सभी क्लेशों से मुक्त, प्रचुर सौभाग्य से विभूषित और श्री राधा- माधव का कृपा पात्र हो जाता है।। 3- 4।।
आनन्दचन्द्रिकास्तोत्रम् समाप्त।।