APARAJITA STOTRA || अपराजिता स्तोत्र

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मान्यता है कि जो भी भक्त नवरात्र में नौ दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं उन्हें विजयादशमी के दिन मां अपराजिता की पूजा अवश्य करनी चाहिए। देवी अपराजिता की उपासना के बिना नवरात्र की पूजा अधूरी मानी जाती है।

दशहरा के दिन दुर्गा मां की विदाई से पहले अपराजिता पूजन किया जाता है। शारदीय नवरात्र अपराजिता पूजन के बिना अधूरा माना जाता है। इस पूजा से कभी असफलता नहीं मिलती।

जब चारों युगों का प्रारम्भ हुआ था तब से अपराजिता पूजन की जाती है। देवी अपराजिता की पूजा देवता करते थे तथा ब्रह्म, विष्णु नित्य देवी का ध्यान करते हैं। देवी अपराजिता को दुर्गा का अवतार माना जाता है और विजयादशमी के दिन अपराजिता पूजा की जाती है।

देवी अपराजिता की उपासना के बिना नवरात्र की पूजा अधूरी मानी जाती है। इसलिए विजयादशमी के दिन मां दुर्गा की विदाई से पूर्व अपराजिता के फूल से मां की पूजा कर उनसे अभयदाय मांगा जाता है। इस तरह की आराधना से देवी प्रसन्न होकर विजयी होने का आर्शीवाद प्रदान करती हैं।

श्रीराम ने भी की थी अपराजिता पूजा

अपराजिता पूजा सभी कार्यों में सफलता दिलाती है। श्रीराम चन्द्र जी ने रावण का वध करने से पर्व देवी अपराजिता की आराधना की थी। देवी की आराधना का विशेष महत्व श्रीरामचन्द्र जी की उपासना के कारण भी है।

॥ अपराजिता स्तोत्र ॥

ॐ नमोऽपराजितायै ।

ॐ अस्या वैष्णव्याः पराया अजिताया महाविद्यायाःवामदेव-बृहस्पति-मार्केण्डेया ऋषयः ।

गायत्र्युष्णिगनुष्टुब्बृहती छन्दांसि ।लक्ष्मीनृसिंहो देवता ।ॐ क्लीं श्रीं ह्रीं बीजम् ।हुं शक्तिः ।सकलकामनासिद्ध्यर्थं अपराजितविद्यामन्त्रपाठे विनियोगः ।

मूल स्तोत्र

ॐ निलोत्पलदलश्यामां भुजङ्गाभरणान्विताम् ।

शुद्धस्फटिकसङ्काशां चन्द्रकोटिनिभाननाम् ॥ १॥

शङ्खचक्रधरां देवी वैष्ण्वीमपराजिताम्

बालेन्दुशेखरां देवीं वरदाभयदायिनीम् ॥ २॥

नमस्कृत्य पपाठैनां मार्कण्डेयो महातपाः ॥ ३॥

मार्ककण्डेय उवाच:

शृणुष्वं मुनयः सर्वे सर्वकामार्थसिद्धिदाम् ।

असिद्धसाधनीं देवीं वैष्णवीमपराजिताम् ॥ ४॥

ॐ नमो नारायणाय, नमो भगवते वासुदेवाय,

नमोऽस्त्वनन्ताय सहस्रशीर्षायणे, क्षीरोदार्णवशायिने,

शेषभोगपर्य्यङ्काय, गरुडवाहनाय, अमोघाय

अजाय अजिताय पीतवाससे,

ॐ वासुदेव सङ्कर्षण प्रद्युम्न, अनिरुद्ध,

हयग्रिव, मत्स्य कूर्म्म, वाराह नृसिंह, अच्युत,

वामन, त्रिविक्रम, श्रीधर राम राम राम ।

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