भटक रहा है राहें आदमी आजा आजा महादेव- bhatak raha hai rahe aadmi aaja aaja mahadev

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राह दिखाना आकर मुझको है देवो के देव
आजा आजा महादेव,मेरे शिव गुरु महादेव
दूषित हुई जब सृष्टि तेरी तो खुद में समाहित सृष्टि किया
स्वक्ष धारा करने के कृत को माह प्रलय का नाम दिया ।
तेरे आदेश पे सब चलते है,वायु वरुण शनिदेव।
तेरे बिना संकट न हरे कोई हे देवो के देव
आजा आजा महादेव ——-
ले हथियार हाथ मे मानव मानवता को मार रहा।
दुष्ट दुराचारी से इंसान जगह जगह पे हार रहा।
लूट अनित कमाई करके भर रहा अपना जेब,
अब न देर करो आने में हे मेरे गुरुदेव
आजा आजा महादेव,,,,,,,,,,
दया शक्ति तेरे हाथो में क्षमा तुम्ही कर सकते हो।
देवता भी परेशान हुए तो,विष धारण कर सकते हो
दुख के घड़ी में आके तुमने रक्षा किया सदैव,
आज क्यों इतना देर लगाए शिव संकर महादेव
आजा आजा महादेव——–
तुझसे ही है आशा सबको तेरी ओर निहार रहा।
तीनो लोक के तू है मालिक तुझको भक्त पुकार रहा।
सभी देव साकेत में बैठे और तुम हो भूदेव,
पाप बढ़ गया धारा पे इतना अब न करना देर
आजा आजा महादेव ——-

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