हनुमान द्वादशनाम स्तोत्र || Hanuman Dvadash Nam Stotra
इन बारह नामों का निरंतर जाप करने वाले व्यक्ति की श्री हनुमानजी दसों दिशाओं एवं आकाश-पाताल में हर प्रकार के संकट से रक्षा करते हैं । इन बारह नामों का जाप करने के विभिन्न प्रकार व उनसे लाभ प्रात: काल उठते ही ११ बार जपनेवाला व्यक्ति दीर्घायु होता है । नित्य-नियम के समय नाम लेने से इष्ट की प्राप्ति होती है। दोपहर में नाम लेने वाला व्यक्ति धनवान होता है । संध्या के समय नाम लेनेवाला पारिवारिक सुखों से तृप्त होता है । रात्रि को सोते समय नाम लेनेवाले की शत्रु से जीत होती है ।
श्री हनुमान जी की स्तुति नित्य ११ बार हनुमान जी के द्वादश नाम (आनंद रामायण (८/१३/८-११) स्तोत्र का जप कर हनुमानचालीसा व सुन्दरकाण्ड का पाठ करें।
इन द्वादश नामों का जाप सुबह, दोपहर, संध्याकाल और यात्रा के दौरान जो करता है। उसे किसी तरह का भय नहीं रहता, हर जगह उसकी विजय व् सुख प्राप्त होते हैं। वह अपने जीवन में अनेक उपलब्धियां प्राप्त करता है। १२ नामों वाली स्तुति(श्लोक) तथा उन नामों के अर्थ इस प्रकार हैं-
|| हनुमान द्वादशनाम स्तोत्र ||
ॐ हनुमान् अंजनी सूनुर्वायुर्पुत्रो महाबलः।
श्रीरामेष्टः फाल्गुनसंखः पिंगाक्षोऽमित विक्रमः॥
उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशनः।
लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:।
स्वाल्पकाले प्रबोधे च यात्राकाले य: पठेत्।।
तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।
राजद्वारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन।।
हनुमान द्वादशनाम स्तोत्र
१- हनुमान- हनु अर्थात ठोड़ी। देवराज इंद्र द्वारा हनु पर वज्र का प्रहार होने से इनका नाम हनुमान पड़ा।
२- अंजनीसूनु- माता अंजनी के पुत्र होने से हनुमान का एक नाम अंजनीसूनु पड़ा।
३- वायुपुत्र- पवनदेव(वायु) के पुत्र होने से इनका नाम वायुपुत्र पड़ा।
४- महाबल- बलवानों से भी बलवान होने से इनका एक नाम महाबल पड़ा।
५- रामेष्ट- भगवान श्रीराम का प्रिय होने से ही इनका एक नाम रामेष्ट भी है।
६- फाल्गुनसुख- फाल्गुन सुख का अर्थात अर्जुन का मित्र । पांडु पुत्र अर्जुन का एक नाम फाल्गुन भी है। युद्ध के समय रथ की ध्वजा पर विराजित होकर अर्जुन की सहायता करने के कारण ही उन्हें अर्जुन का मित्र कहा गया है।
७- पिंगाक्ष- पिंगाक्ष का अर्थात भूरी आंखों वाला। भूरी आंखों वाला होने से ही इनका एक नाम पिंगाक्ष भी है।
८- अमितविक्रम- अमित अर्थात बहुत अधिक और विक्रम का अर्थात पराक्रमी। अत्याधिक पराक्रमी होने से ही इन्हें अमितविक्रम भी कहा जाता है।
९- उदधिक्रमण- उदधिक्रमण अर्थात समुद्र का अतिक्रमण(लांघने) वाला। माता सीता की खोज करते समय समुद्र को लांघने से इनका एक नाम उदधिक्रमण भी है।
१०- सीताशोकविनाशन- माता सीता के शोक का निवारण(विनाश) करने से हनुमानजी का नाम सीताशोकविनाशन पड़ा।
११- लक्ष्मणप्राणदाता- लक्ष्मण को संजीवनीबूटी द्वारा जीवित करने से लक्ष्मणप्राणदाता भी कहा जाता है।
१२- दशग्रीवदर्पहा- दशग्रीव अर्थात रावण और दर्पहा अर्थात घमंड तोडऩे वाला। रावण का घमंड तोडऩे के कारण ही इनका एक नाम दशग्रीवदर्पहा भी है।
इति हनुमान द्वादशनाम स्तोत्र समाप्त ।