जीवन में धैर्य का अर्थ, महत्व, शक्ति- Jeevan me Dhairy Patience Ka Arth Mahatv Shakti

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जीवन में सफल होने के लिए धैर्य का होना आवश्यक है। धैर्य की शक्ति बहुत बड़ी होती है। धैर्य धारण करने से फल सार्थक प्राप्त होता है।

धैर्य का अर्थ (Dhairy ka Arth)

धैर्य का अर्थ होता है शांति के साथ कदम उठाना

आज की दुनिया में धैर्यवान होना कोई सरल कार्य नहीं है। धैर्यवान होना सबसे कठिन कार्य है। इसे विकसित होना चाहिए। धैर्यवान बनने के लिए अभ्यास होना चाहिए। लेकिन जो लोग धैर्यवान होते हैं। उन्हें कई मार्गो से इसका फल अवश्य प्राप्त होता है।प्रत्येक व्यक्ति की दिनचर्या के कुछ लक्ष्य होते हैं।        इसे पढ़ें  – (अपना जीवन दूसरों के हित के लिए )

जो उस व्यक्ति के प्रयास का कारण बनते हैं।केवल इस अंतर के लिए उद्देश्यों का महत्व एक जैसा नहीं हो सकता।अपने लक्ष्य को प्राप्त करना कोई सरल कार्य नहीं है। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लंबे मार्ग में समस्याओं के कारण वहां तक पहुंचना मुश्किल कार्य होता है। जबकि इसकी संभावनाएं होती हैं।

 यदि व्यक्ति के पास अनुभव नहीं है, तो हो सकता है कि वह पहले ही मुश्किलों का सामना करने से डर जाए डर से डरे नहीं उसे दूर भगाए ।और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने से पहले ही रुक जाए, और यदि उसके पास अनुभव है तो वह अपने मार्ग में आने वाले मुश्किलों का सामना कर सकता है। और उसको यह भी पता होता है कि किन-किन चीजों से मुश्किलें आती हैं।

अनुभव होने की स्थिति में वह अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल होता है।धैर्य रखने का अर्थ है शांति के साथ कदम उठाना और परिणाम की प्रतीक्षा करना।परिणाम तक पहुंचने की इच्छा तुरंत होती है जिसमें प्रतीक्षा न करनी पड़े। जबकि धैर्यवान व्यक्ति प्रतीक्षा करता है।

धैर्य एक प्रकार का प्रतिरोध है जो मन पर काबू होने से प्राप्त होता है

जीवन में लक्ष्य तक पहुंचने के लिए व्यक्ति का धैर्यवान होना आवश्यक है।

जीवन में धैर्य का महत्व (Dhairy Ka Mahatv)|importance of patience in our life

जीवन में सफलता को प्राप्त करने के लिए कठोर परिश्रम ,मेहनत व लगन के साथ साथ धैर्य की भी आवश्यकता होती है।

धैर्य मात्र प्रतीक्षा करने की क्षमता नहीं है, बल्कि प्रतीक्षा करते समय एक अच्छा और संयत दृष्टिकोण अपनाए रखने की क्षमता भी है। धैर्य व्यक्तित्व को निखारने वाला एक अनमोल गुण है। इसे प्राप्त करने के लिए कुछ खर्च नहीं करना पड़ता। सिर्फ मन को साधना पड़ता है, धैर्यशील बनने के लिए आपको अपनी भावनाओं पर नियंत्रण करने का अभ्यास होना चाहिए।

धैर्य व शक्तिशाली गुण है जिससे कोई भी व्यक्ति निराशा ,तनाव, हताशा, असफलता, कुंठा ,क्रोध आदि से बचकर, आत्म विश्लेषण व प्रगतिशीलता के दम पर सफल एवं खुशहाल जीवन का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। इसलिए सफलता को प्राप्त करने के लिए आकांक्षी व्यक्ति को धैर्य बनाए रखने की प्रवृत्ति का विकास करना चाहिए।

धैर्य की शक्ति (Dhairy Ki Shakti)

धैर्य सफलता की कुंजी है धैर्य की शक्ति से हम जीवन में आए अवसर का लाभ उठा सकते हैं।

अंडे को सेने से चूजा निकलता है, न कि अंडे को तोड़ने से।

धैर्य और परिश्रम से हम वह सब कुछ प्राप्त कर सकते हैं, जो शक्ति और उतावलापन की स्थिति में कभी नहीं प्राप्त कर सकते। धैर्य धारण करने से हारी हुई बाजी भी जीती जा सकती है।

विश्व में जितने भी महान अविष्कार हुए हैं वह बरसों से धैर्य का ही नतीजा है। जिस भी व्यक्ति में  जितनी प्रतीक्षा करने की क्षमता है उसकी कामनाओं की पूर्ति की संभावना भी उतनी ही प्रबल है।

यदि लगातार असफलता प्राप्त हो रही है तब भी धैर्य बनाए रखना चाहिए। कभी-कभी सफलता थोड़ी देर में मिलती है। पौधे की अपेक्षा पेड़ देर से तैयार होता है। जिस तरह एक विशाल पेड़ को तैयार होने में अधिक समय लगता है, ठीक उसी तरह हमारे लक्ष्य को भी पूरा होने में अधिक समय लगता है जीवन में धैर्य का परिचय न देने वाले लोगों को अंत में पछतावे के अलावा और कुछ नहीं मिलता।

धैर्य की शक्ति बढ़ाने के उपाय (Dhairy Ki Shakti Badhane Ke Upay)

1- हमें पहले से यह सोचना चाहिए, कि विपत्ति कितनी भी बड़ी क्यों ना आ जाए लेकिन हमें घबराना नहीं चाहिए। विपत्ति कितनी भी बड़ी क्यों ना हो वह स्थाई नहीं है। इस संसार में कुछ भी स्थाई नहीं है। जो आज है कल नहीं रहेगा।

रात अंधेरी है कितनी भी बड़ी रात क्यों ना हो जाए सुबह अवश्य होगी ।उजाला अवश्य होगा। हमेशा मन में, विश्वास रखें धैर्य बनाए रखें। सब पार हो जाएगा ,सब ठीक हो जाएगा, जैसे किसी को कहीं 2 घंटे के लिए सफर करना है ,और गाड़ी में रिजर्वेशन नहीं है। तब भी वह चला जाएगा,क्योंकि वह जानता है कि एक-दो घंटे का सफर है थोड़ी देर बाद पहुंच जाएंगे।

 फिर आराम से रहेंगे। लेकिन यदि लंबी यात्रा हो एक-दो दिन का सफर हो और रिजर्वेशन नहीं हो, और कोई कहे कि चलो, तब जाने में मन में भय लगेगा कितना लंबा सफर है। कब तक खड़े-खड़े जाएंगे। भय लगेगा। इसी तरह जीवन भी एक लंबा सफर है।

इस जीवन के लंबे सफर में तमाम तरह की विपरीत परिस्थितियां आती है ,और चली जाती है। वह स्थाई नहीं रहती है हमें यह सोचकर धैर्य बनाए रखना चाहिए कि अब यदि मुश्किल है ,तो यह मुश्किलें दूर हो जाएंगी। यह अपने दिमाग में बिठा लेना है।

2- जीवन में जब भी कोई विपत्ति आए, धैर्य रखने के लिए पॉजिटिव सोचो जब विपत्ति आए तब यह सोचो कि विपत्ति नहीं आई है, यह मुझे एक सीख देने आई है। नुकसान में भी नसीहत बनी है, हमें यह मजबूती देगी। लोहे को आग में तपाने के बाद जब उस पर घन का प्रहार होता है। तभी उसको एक आकार मिलता है। और उस लोहे की उपयोगिता बढ़ जाती है ,उसकी कीमत बढ़ जाती है।

देखने में लगता है कि यह घन का प्रहार है ।लेकिन वह प्रहार ही उसको एक आकार देता है। और उसी में उस लोहे की उपयोगिता है।

तुम पर समय के घन का जब भी प्रहार पड़े ,तब यह मत सोचो कि प्रहार पड़ा है। तब यह सोचो कि मुझे नया आकार मिल रहा है। मैं मजबूत हो रहा हूं। विपत्ति के प्रहार को भी सहजता से सहने की क्षमता आप  में आ सकती हैं।

ध्यान रखो की हथौड़ी का प्रहार जब कांच पर पड़ता है तो वह बिखर जाता है ,टूट जाता है। लेकिन वही प्रहार जब सोने पर पड़ता है तो सोना दमक उठता है। उसमें चमक आ जाती है। ज्ञानी जन कहते हैं कि विपत्ति का प्रहार जब तुम पर पड़े तो तुम कांच मत बनो ,तुम सोना बनो सोने की तरह चमकने की कला सीखो।

अपने को मजबूत बनाओ ,अपने इरादों को मजबूत बनाओ। भीतर से सकारात्मक होकर चलो ,जीवन में नया आनंद मिलेगा, विपत्ति में धैर्य और सकारात्मक सोच के बल पर व्यक्ति बहुत अच्छे से कर सकता है। नुकसान को  भी नसीहत समझो, आपके अंदर यह कला है जरूरत है उसे विकसित करने की सकारात्मक सोच की।

3-   आशावादी बनिए, अपने मन में हताशा को हावी न होने दो। यह कार्य आज नहीं हुआ है तो कल हो जाएगा, सब ठीक हो जाएगा ऐसा मन में विश्वास रखो।

अपने अंदर मन में आशा की किरण हमेशा जलती रहनी चाहिए। यह  बुझनी नहीं चाहिए। हर पल अपने मन में यह विचार रखिए कि ,सब ठीक होगा, सब ठीक होगा। यदि ऐसा मनोभाव आप अपने मन में जगाए रखें ,तो आपका मन कभी टूट  ही नहीं सकता।

 अरे क्या हो गया, अरे क्या हो गया ,ऐसा रोना रोने से क्या फायदा। आशा का दीप जलाना चाहिए। यदि मन में यह आशा का भाव बना रहेगा तो हताशा जीवन में आएगी नहीं। जीवन कहीं से कहीं बढ़ जाएगा।

4- जीवन ,मरण, सुख,दुख ,संयोग, वियोग जो भी कुछ है विधि  के आश्रित है।

इनको अनुकूल हो तब भी स्वीकार करना है ,प्रतिकूल हो तब भी स्वीकार करना है। कर्म के मार्ग को यदि व्याकुल होकर भोगूंगा तब भी भोगना है।

जब दोनों स्थितियों में भोगना ही है तो क्यों ना धैर्य रखें।

कारज धीरे होत है काहे होत अधीर।

समय पाए तरुवर फलै केतो सींचो नीर।।

यदि पेड़ में हम दिन में कई बार पानी डालेंगे तो क्या जल्दी फल आ जाएंगे। जब उसका समय आएगा तभी फल आएंगे।

धैर्य रखने का यह मतलब नहीं है कि आप बिल्कुल कार्य न करें।  निरंतर कोशिश करते रहें। लगातार प्रयत्नशील रहें।

यह सोचे कि मेरे हाथ में केवल कर्म है परिणाम नहीं। जब समय आएगा तब परिणाम भी मिलेगा। और अब मैं और भी मेहनत से कार्य करूंगा।

मन की आशा को जगाए रखिए। जब तक सांस है तब तक आस है। यही आपके मन को धैर्य देगा। और यही धैर्य आपकी बड़ी ताकत बनेगी। जीवन में सुखी रहना है तो इन बातों का ध्यान रखे 

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