खुल गये पट अमरनाथ के दर्शन को भगतो चलो || khul gaye pat amarnath ke darshan ko [ Shiv Bhajan ]

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खुल गये पट अमरनाथ के दर्शन को भगतो चलो,
बाबा बर्फानी के दर से झोली सब भरने चलो,
खुल गये पट अमरनाथ के दर्शन को भगतो चलो,

मन में रख विश्वाश तू अपने बाबा पार लगाएंगे,
हर हर बम तू जप्त चल ये बांह पकड़ ले जायेगे,
बस बाबा का ध्यान करके हर हर बम गाते चलो,
खुल गये पट अमरनाथ के दर्शन को भगतो चलो,

हुई किरपा भोले की हम पर अपने दर पे भुलाया है,
ये तीनो लोक के स्वामी शिव को कोई समज न पाया है,
बहती गंगा की धरा में पाप तुम धोते चलो.
खुल गये पट अमरनाथ के दर्शन को भगतो चलो,

अमर नाथ में अमर कथा शिव गोरा जी को सुनाये थे,
सो गई गोरा मैया दो कबूतर ही सुन पाए थे,
अमर कबुरत के जोड़े के दर्शन तुम करने चलो,
खुल गये पट अमरनाथ के दर्शन को भगतो चलो,

भूखे को भोजन मिले यहाँ प्यासे को जल मिलता है,
एसा है बर्फानी बाबा सब का ध्यान रखता है,
प्रेम संग अपने गिरी को दर्शन को लेते चलो,
खुल गये पट अमरनाथ के दर्शन को भगतो चलो,

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