नटखट बंदर Natkhat Bandar Panchatantra Story

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एक गांव में एक आम के वृक्ष पर ढेर सारे बंदर रहते थे। उनमें से एक बंदर बड़ा नटखट था। उसे लोगों को परेशान करने में बड़ा मजा आता था। लोगों की चीजों से वह खेला करता था। शेष सभी बंदर खाते और मस्त रहते थे।

एक बार कम वर्षा के कारण गांव में सूखा पड़ा। गांववालों ने मंदिर बनवाने का विचार किया और सभी निर्माण कार्य में लग गए।

एक दिन दोपहर में बढ़ई लोग काम छोड़कर खाना खाने गए थे। तभी नटखट बंदर अपने मित्रों के साथ वहां आ गया। उसने लकड़ी का एक लट्ठा देखा जिसे गुटके के सहारे खड़ा किया हुआ था। नटखट बंदर को कुछ समझ नहीं आया। उसने म नही मन सोचा, “यह है क्या? एक गुटके के साथ इसे फंसाकर इन्होंने क्यों रखा हुआ है। अगर मैं इसे निकालूं तो क्या होगा?”

नटखट बंदर लट्ठे पर बैठकर उसे हिलाने लगा और गुटका निकालने की चेष्टा करने लगा। हिलते-हिलते गुटका निकल आया। लट्ठा भारी थी, खड़ा नहीं रह पाया। गिर गया और बंदर का पैर फंस गया। दर्द से बंदर कराहने लगा। उसकी शरारत का फल उसे मिल गया था।

शिक्षा (Moral): हर जगह अपनी नाक नहीं डालनी चाहिए और बिना सोचे-समझे कोई काम न करें।

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