समर्थ रामदास स्वामी || Samarth Ramdas Swami Biography In Hindi Book/Pustak PDF Free Download

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समर्थ वालपन में सदा प्रसन्नचित्त और हास्यवदन रहते थे। रोना नो वे कभी जानते ही न थे। वे बहुत शीघ्र बोलने और चलने लगे थे। शरीर सुटृह और तेजस्वी था

बड़े नटखट और उपद्रवी थे सदा खेलकूद में निमग्न रहते और क्षणभर भी एक स्थान में न रहते थे। चपलता उनके रोम रोम में भरी हुई थी । यानर की तरह यहाँ से बहाँ और वहाँ से यहाँ

फिरते रहना और अपने साथ के लड़को को, मुँह बिगाड़ कर विराना और चिडाना भी उनका एक खेल था । उनके माता पिता ने जय देखा कि, ये बहुत उपद्रव करते हैं

तब उन्होंने वाल समर्थ को भैयाजू के यहाँ पढने को बैठा दिया; पर भैयाजू के यहां उस समय जितनी शिक्षा दी जाती थी उतनी शिक्षा का ज्ञान उन्होंने थोड़े ही दिनों में कर लिया………

 

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