सूरदास जीवन और काव्य का अध्ययन || Surdas Jeevan Aur Kavya Ka Adhyyan Biography In Hindi Book/Pustak PDF Free Download

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सूरदास द्वारा रचित एक खाख पदों में चुपचाप सम्मिलित कर दिया । परतु सवा लाख पदों को किंवदती पर इस अद्भुत कल्पना के द्वारा सही लगाने वाले और ‘सूरश्याम’ की छाप की भी लगे

हाथ व्याख्या करने याले गोस्वामी हरिराय ने उक्त दो रचनाओं का उल्लेख तक न किया (जिनके आधार पर आजकल के विद्वान् सूरदास के अना, रचनाकाल तथा अन्य इतिवृत्त का निर्माण करते हैं)

फिर, आज तक साराबली और साहित्यलहरी की कोई प्राचीन हस्तलिखित प्रतियां भी नहीं मिलीं । सारायली फेवल वायू राधाकृष्णदास द्वारा सम्पादित और श्री वेंकटेश्वर प्रेस से प्रकाशित

सूरसागर के साथ संलम तथा साहित्यलहरी सरदार कवि की टीका के साथ खड्गविलास प्रेस से प्रकाशित मिलती है । केवल इतने ही प्रमाण इन दोनों रचनाओं की माची- नता में सन्देह

पैदा करने को पर्याप्त है। यह सन्देश उनका सूक्ष्म विश्लेषण और समीक्षा करने पर और दृढ हो जाता है। श्रागामी पृरृ्ठों में यह स्पष्ट रूप से दिखाया गया है कि सारावली पिसी प्रकार से सूरसागर के पदों की ‘नवनिका नहीं है…………..……..

 

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