शीशे में भगवान Sise Me Bhagwan Tenalirama Stories

1

एक बार राजा कृष्णदेव राय और तेनालीराम महल में बैठे आपस में बातचीत कर रहे थे। बात-बात में तेनालीराम महाराज से बोला- “महाराज! मनुष्यों में झूठ बोलने की बुरी आदत होती है। मौका पाते ही वे झूठ बोलने से नहीं चूकते।”

“अरे तेनाली! यह क्या कहते हो? क्या इस दुनिया में काई सच्चा इनसान नहीं है? मैं तुम्हारी बात नहीं मानता। अब मुझे ही देखो। मैं यहाँ का राजा हूँ। मुझे किसका डर है? मैं कभी झूठ नहीं बोलता। ऐसे अनेक लोग हैं, जो कभी झूठ नहीं बोलते” राजा कृष्णदेव राय बोले।

“महाराज! मैं अभी भी अपनी बात पर अडिग हूं कि इस दुनिया के हरेक इंसान ने कभी न कभी झूठ अवश्य बोला है।” तेनालीराम बड़े विश्वास से बोला।

“अच्छा, यदि तुम्हें अपनी बात पर इतना यकीन है तो साबित करके दिखाओ।” राजा ने तेनालीराम को चुनौती दी।

तेनालीराम मान गया और कुछ दिनों की मोहलत माँगी।

इसके बाद छः महीने गुजर गये। तेनालीराम राजमहल नहीं आ पाया, क्योंकि वह मुख्य शहर में अपने लिए एक बड़ा-सा घर बनवा रहा था। उसने बेहद खूबसूरत घर बनवाया, जिसकी मुख्य दीवार पर एक बड़ा-सा शीशा लगवा दिया।

जब उसका आलीशान घर तैयार हो गया, तो तेनालीराम राजा कृष्णदेव राय से मिलने दरबार में गया। उसने दरबार में एक साधु के रूप में प्रवेश किया और महाराज से बोला, “महाराज! मैं अपने लिए एक खूबसूरत घर बनवाया है। मैं वहाँ नित्यप्रति पूजा करता हूं। ईश्वर मुझसे अत्यन्त प्रसन्न हैं। वह लोगों को उस घर के एक कमरे में नजर आते हैं, जिन्होंने जीवन में कभी झूठ न बोला हो। मैं चाहता हूं, आप भी मेरे घर में पधारों और अपनी आँखों से ईश्वर के दर्शन करें।”

राजा कृष्णदेव राय उस साधु के घर जाने के लिए बेहद उत्सुक थे। परन्तु फिर भी उस साधु की बात की सच्चाई का पता लगाने के लिए पहले उन्होंने एक अष्टदिग्गज पेद्दन को साधु के घर भेजा। पेद्दन ने उस आलीशान घर की बहुत तारीफ की। वह शीश वाले कमरे में भी गया, पर वहाँ उसे ईश्वर के दर्शन नहीं हुए। झूठ सिद्ध होने के डर से वह महाराज को सत्य बताते हुए घबरा रहा था। इसलिए दरबार लौटकर उसने महाराज से कहा, ‘ओह, महाराज! मैंने वहाँ ईश्वर के दर्शन किये। उस साधु के घर की दीवार पर मैंने ईश्वर को देखा।’

महाराज का फिर मन ललचाया पर, अपनी तसल्ली के लिए इस बार उन्होंने एक अन्य अष्टदिग्गज नादी तिम्मन को साधु के घर भेजा, ताकि उन्हें पक्का यकीन हो जाये कि वह साधु झूठ बोल रहा था या सत्य। तिम्मन के साथ भी वही हुआ, पेद्दन के साथ हुआ था। पर झूठा कहलाने के डर उसने भी महाराज को यही बताया कि उसने भी दीवार में भगवान को देखा।

अब महाराज ने स्वयं उस साधु के घर जाने का विचार किया। महाराज ने सोचा, मेरे ख्याल से वह साधु सत्य ही बोल रहा होगा, जब मेरे दो अष्टदिग्गजों ने उसके घर में ईश्वर को देखा है, तो बात सच ही होगी।

महाराज की सवारी उस साधु के घर पर पहुंची। रथ से उतर कर महाराज घर के भीतर गये। शीशे वाले कमरे में पहुंच कर उन्होंने शीशे में अपना अक्स देखा।

अब महाराज ने स्वयं उस साधु के घर जाने का विचार किया। महाराज ने सोचा, मेरे ख्याल से वह साधु सत्य ही बोल रहा होगा, जब मेरे दो अष्टदिग्गजों ने उसके घर में ईश्वर को देखा है, तो बात सच ही होगी।

महाराज की सवारी उस साधु के घर पर पहुंची। रथ से उतर कर महाराज घर के भीतर गये। शीशे कमरे में पहुंच कर उन्होंने शीशे में अपना अक्स देखा। ईश्वर कहीं नहीं नजर आये। तब महाराज ने सोचा, वह साधु कह रहा था कि जिस व्यक्ति ने पूरा जीवन कभी झूठ न बोला हो, उसे ही ईश्वर दिखते हैं। मेरे दो अष्टदिग्गजों ने यहाँ ईश्वर को देखा। अब अगर मैं कहूँगा कि मुझे ईश्वर नहीं दिखे हैं, तो सबलोग मुझे झूठा करार देंगे।

राजा कृष्णदेव राय उस साधु के पास गये और बोले, साधु बाबा! आप सही कह रहे थे। मैंने भी दीवार में ईश्वर को देखा है।

“महाराज, क्या आपने वास्तव में ईश्वर को देखा है?” साधु ने महाराज से पूछा।

“हाँ, पक्का, मैंने ईश्वर को देखा है।” महाराज ने उत्तर दिया।

महाराज ने हामी भरी।

साधु ने एक बार फिर अपना प्रश्न दोहराया। अब तो राजा कृष्णदेव राय को गुस्सा आ गया। वे चिल्ला कर बोले, अगर तुम साधु न होते, तो अब तक मैं तुम्हें सजा दे चुका होता।

यह सुनकर साधु मुस्कुराया और नकली दाढ़ी उतार डाली। यह तो तेनालीराम था। वह कृष्णदेव राय से बोला, “महाराज! आपने कहा था कि आप कभी झूठ नहीं बोलते। पर आपके दरबारियों ने आपसे झूठ कहा और आपने भी उनके कहे से प्रभावित होकर झूठ बोल दिया। अब तो मानेंगे न महाराज कि हर व्यक्ति कभी न कभी झूठ बोलता है।”

राजा कृष्णदेव राय ने सिर झुका लिया। वे अपनी भूल समझ गये थे और साथ ही इस घटना से उन्हें सबक भी मिल गया था कि बड़बोलापन कभी-कभी मुसीबत में डाल देता है।

शिक्षा: (Tenali Raman’s Moral): सत्य और असत्य हमारे भीतर ही हैं। जिस प्रकार मनुष्य कमजोरियों और ताकत का सम्मिश्रण है, उसी प्रकार सत्य और असत्य भी हमारे जीवन का ही भाग हैं। कमजोरी छिपा कर या झूठ बोलकर हम इस सत्य से नहीं भाग सकते।

अगर आप तेनालीराम की संपूर्ण कहानियाँ पीडीएफ में डाउनलोड करना चाहते है तो आप इसे नीचे डाउनलोड भी कर सकते हैं। तेनालीराम की इन कहानियों को ‘गंगा प्रसाद शर्मा’ द्वारा लिखा गया हैं। इस पुस्तक में कुल 60 कहानियाँ हैं। हर कहानी हास्य के साथ-साथ शिक्षा भी समेटे हुए हैं। ये कहानियां विशेषकर बड़ों के लिए हैं।

Free Tenalirama (तेनालीराम) ebooks Download by Ganga Prasad Sharma PDF

1 thought on “शीशे में भगवान Sise Me Bhagwan Tenalirama Stories

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *