स्वामी रामतीर्थजी की जीवन चरित्र | Swami Ramtirthji Ka Jivan Charitra Book/Pustak Pdf Free Download

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राशीम उसी में, जिसमें वेरी रहा है।यो यो भी बाहना है, और वो भी बाहवा है॥ दोहा-जिन कानों में गाई थो, अब की करुण पुकार । उन फानों में राम की, पहुँची यह फनकार ।।

अब भी अपने भक्तों के दुख, जाकर भगवान मिटाते हैं। श्रद्धा से उनका ध्यान करो, तो नंगे पाँव धाते हैं ॥ जब राम ने म में गदगद हो, निज प्रश्न भेंट चढ़ाए हैं।

सब मोटूमल हलवाई ने, आ ऐसे वचन सुनाए हैं । हे नाथ, दास हम आपके हैं, बस इतनी कृपा कोजिएगा। प्रार्थना मेरी इस वर्ष आप मेरे यहाँ भोजन कीजिएगा ॥

दोहा-तीर्थ राम महराज को, गई बात यह भाय ।

मंडू के गृह जायकर, रोटी लेते खाय ॥ गर्ता-इस प्रकार रामतीर्थजी की प्रार्थना ईश्वर में सुन ली, और मंडूमन हलवाई के यहाँ रोटी खाने व रहने का प्रयंध हो गया ।………….

 

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