रुद्रयामल तंत्र पटल २२ , Rudrayamal Tantra Patal 22, रुद्रयामल तंत्र चौबीसवाँ पटल
रुद्रयामल तंत्र पटल २२ में षट्चक्र का फलोदय कहा गया है। (१ ) प्रथम मूलाधार चक्र चार दलों का महापद्म...
रुद्रयामल तंत्र पटल २२ में षट्चक्र का फलोदय कहा गया है। (१ ) प्रथम मूलाधार चक्र चार दलों का महापद्म...
अग्निपुराण अध्याय ३५ पवित्राधिवासन विधि का वर्णन है। अग्निपुराणम् अध्यायः ३५- पवित्राधिवासनादिविधिः अग्निरुवाच सम्पाताहुतिनासिच्य पवित्राण्याधिवासयेत्। तृसिंहमन्त्रजप्तानि गुप्तान्यस्त्रेण तानि तु ।।...
रुद्रयामल तंत्र पटल २४ में बहुत से अन्य आसनों का वर्णन है। पृथ्वी पर सौ लाख हजार आसन कहे गए...
अग्निपुराण अध्याय ३६ भगवान् विष्णु के लिये पवित्रारोपण की विधि का वर्णन है। अग्निपुराणम् अध्यायः ३६- पवित्रारोपणविधानम् अग्निरुवाच प्रातः स्नानं...
रुद्रयामल तंत्र पटल २५ में सृष्टि की प्रक्रिया में उत्पत्ति, पालन एवं संहार का निरूपण है । अव्यक्त रूप प्रणव...
रुद्रयामल तंत्र पटल २६ में जप एवं ध्यानान्तर- गर्भित प्राणायाम का निरूपण है। जप भी व्यक्त, अव्यक्त एवं अतिसुक्ष्म भेद...
अग्निपुराण अध्याय ३९ विष्णु आदि देवताओं की स्थापना के लिये भूपरिग्रह का विधान का वर्णन है। अग्निपुराणम् अध्यायः ३९ -...
अग्निपुराण अध्याय ४० वास्तुमण्डलवर्ती देवताओं के स्थापन, पूजन, अर्घ्यदान तथा बलिदान आदि की विधि का वर्णन है। अग्निपुराणम् अध्यायः ४०...
अग्निपुराण अध्याय ४१ शिलान्यास की विधि का वर्णन है। अग्निपुराणम् अध्यायः ४१ - शिलादिन्यासविधानम् भगवानुवाच पादप्रतिष्ठां वक्ष्यामि शिलाविन्यासलक्षणम्। अग्रतो मण्डपः...
अग्निपुराण अध्याय ४२ प्रासाद- लक्षण – वर्णन है। अग्निपुराणम् अध्यायः ४२ - प्रासादलक्षणकथनम् हयग्रीव उवाच प्रासादं सम्प्रवक्ष्यामि सर्वसाधारण श्रृण। चतुरस्त्रीकृतं...
अग्निपुराण अध्याय ४३ मन्दिर के देवता की स्थापना और भूतशान्ति आदि का कथन का वर्णन है। अग्निपुराणम् अध्यायः ४३ -...
अग्निपुराण अध्याय ३८ देवालय निर्माण से प्राप्त होनेवाले फल आदि का वर्णन है। अग्निपुराणम् अध्यायः ३८- देवालयनिर्म्माणफलम् अग्निरुवाच वासुदेवाद्यालयस्य कृतौ...