Yah Bhagwa Rashtra Nishan | यह भगवा राष्ट्र निशान फहरता प्यारा

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यह भगवा राष्ट्र निशान फहरता प्यारा
बरसता तेज पावित्र्य स्नेह की धारा

श्री विष्णु का ध्वज दंड
दानवता जो उदण्ड
कर उसका खंड खंड
गरुड़ के साथ जो नभ में विहरा प्यारा
बरसता तेज पावित्र्य स्नेह की धारा
यह भगवा राष्ट्र निशान

रक्तिमा अरुण संध्या का
दीप्तवर्ण अग्निशिखा का
यह तिलक भरतभूमि का
रिपु रुधिर रंग से रंजित है यह न्यारा
बरसता तेज पावित्र्य स्नेह की धारा
यह भगवा राष्ट्र निशान

यह असुरों का अन्तक है
यह सृजनों का पालक है
यह विनतों का तारक है
श्रीराम कृष्ण रणचंडी दुर्गा कालि का फिर न्यारा
बरसता तेज पावित्र्य स्नेह की धारा
यह भगवा राष्ट्र निशान

विक्रम ने इसे चढ़ाया
चन्द्रगुप्तने भी बढाया
श्री अशोक ने फहराया
शक हुण ग्रीक और म्लेच्छ हटाकर भरतभूमि को तारा
बरसता तेज पावित्र्य स्नेह की धारा
यह भगवा राष्ट्र निशान

सम्मान समर्थ शिवा का
रजपूत जैन सिक्खों का
अभिमान ये मराठो का
दिल्ली के तख्त पर खड़ा हाथ पर अटक नदी तक लहरा
बरसता तेज पावित्र्य स्नेह की धारा
यह भगवा राष्ट्र निशान

चारित्र्य हमें सिखलाता
त्याग का मार्ग दिखलाता
संदेश शौर्य का देता
प्राण की बाजी से लड़ना रण में मोह त्याग कर सारा
बरसता तेज पावित्र्य स्नेह की धारा
यह भगवा राष्ट्र निशान

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