जब भगवान कृष्ण ने अर्जुन को दिया यह गोपनीय ज्ञान
इदं तु ते गुह्यतमं प्रवक्ष्याम्यनसूयवे|
ज्ञानं विज्ञानसहितं यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात्|| गीता 9/1
अर्थ: श्री भगवान बोले- तुझ दोषरहित के लिए इस अति गोपनीय ज्ञान को विज्ञानसहित कहता हूं, जिसको जानने से अशुभ से मोक्ष हो जाएगा।
व्याख्या: जब गुरु समझ जाता है कि शिष्य अब अध्यात्म की उंचाइयों के लिए तैयार है तब गुरु, शिष्य का शक्तिपात कर देते हैं। यहां भी जब श्रीकृष्ण को लगा कि अर्जुन अब श्रद्धा व भक्ति से भर गया है, चित्त दोष रहित हो गया है। अब इसका शक्तिपात हो सकता है, तब कृष्ण कहते हैं कि मैं तुझे इस गोपनीय ज्ञान को विज्ञान सहित दूंगा।
जिसके निरंतर अभ्यास से चित्त में पड़े संस्कार, वासना और विकार नष्ट हो जाएंगे और यह ज्ञान ही तुझे मुक्त कर देगा। यहां गोपनीय ज्ञान की चर्चा तो है, लेकिन उसकी विधि नहीं बताई, क्योंकि वह गोपनीय है और इसके लिए शब्द नहीं, बल्कि गुरु का दिव्य स्पर्श की आवश्यकता होती है और उस स्पर्श द्वारा ही शिष्य की सोयी हुई शक्ति जागती है। गुरु ज्ञान पर जब शिष्य चलता है उसे विज्ञान कहते हैं।