Gautama Buddha Autobiography | भगवान गौतम बुद्ध का जीवन परिचय Gautam Buddha ki Jivani

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भगवान गौतम बुद्ध को भगवान की उपाधि इसीलिए प्राप्त हुई थी क्योंकि यह बहुत ही उच्च विचार और महान दार्शनिक वैज्ञानिक धर्म गुरु और एक अच्छे समाज सुधारक भी थे।

इन सभी के अतिरिक्त यदि हम इन्हें भगवान की उपाधि प्राप्त होने का श्रेय दें तो यह कुछ हद तक सही होगा। क्योंकि गौतम बुद्ध को भगवान की उपाधि तभी प्राप्त हुई थी, जब उन्होंने बौद्ध धर्म की स्थापना की थी और इसका बहुत ही अच्छे तरीके से पालन इत्यादि किया था।

आज के इस लेख में हम आपको बताने वाले हैं भगवान गौतम बुद्ध जी के उच्च चरण के बारे में। साथ ही हम आपको उनकी शिक्षा-दीक्षा और उनकी निजी जीवन के इत्यादि भागों को दर्शाएंगे।

यदि आप भगवान गौतम बुद्ध के बारे में संपूर्ण जानकारी (Biography of Gautam Buddha in Hindi) प्राप्त करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही लेख पढ़ रहे हैं। भगवान गौतम बुद्ध जी के बारे में (Gautam Buddha ki Jivani) जानने के लिए कृपया आप हमारे द्वारा लिखा गया यह महत्वपूर्ण लेख अंत तक जरूर पढ़ें।

गौतम बुद्ध की जीवनी एक नजर में (Gautam Buddha ka Jivan Parichay)

नाम गौतम बुद्ध
जन्म ईसा मसीह के जन्म से लगभग 563 वर्ष पूर्व, लुंबिनी नामक गांव, कपिलवस्तु (नेपाल)
मृत्यु की तिथि ईसा मसीह के जन्म से लगभग 483 वर्ष पूर्व
शैक्षिक योग्यता वेद और उपनिषद
वैवाहिक स्थिति विवाहित
पत्नी का नाम यशोदा देवी
पुत्र राहुल
Biography of Gautam Buddha in Hindi

भगवान गौतम बुद्ध कौन थे?

भगवान गौतम बुद्ध जी के बचपन का नाम सिद्धार्थ गौतम बुध था। गौतम बुद्ध जी बहुत ही महान चरित्र वाले आदमी थे, जिन्होंने संपूर्ण विश्व को अपने विचारों से नई राह प्रदान की थी। भगवान गौतम बुद्ध लोगों को ज्ञान सीधी की बातें बताया करते थे।

भगवान गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की। ऐसे में हम कह सकते हैं कि बौद्ध धर्म की स्थापना का श्रेय केवल भगवान गौतम बुद्ध को ही जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आज के समय में संपूर्ण विश्व में लगभग 190 करोड़ बौद्ध धर्म के अनुयाई हैं और विश्व में लगभग 25% लोग बौद्ध धर्म के अनुयाई है।

एक बार हुए एक सर्वे के अनुसार जापान, थाईलैंड, चीन, कंबोडिया, मंगोलिया, वियतनाम, साउथ कोरिया, नेपाल मलेशिया, भूटान, भारत, हांगकांग, अमेरिका, सिंगापुर, इंडोनेशिया और श्रीलंका जैसे दूरस्थ स्थित देशों में बौद्ध धर्म के अनुयायियों की संख्या बहुत अधिक है।

भगवान गौतम बुद्ध का जन्म

भगवान गौतम बुद्ध का जन्म ईसा मसीह के जन्म से लगभग 563 वर्ष पूर्व के समय में नेपाल देश की कपिलवस्तु के निकट स्थित लुंबिनी नामक गांव में हुआ था। लोगों का ऐसा कहना है कि भगवान गौतम बुद्ध जी का जन्म तब हुआ था, जब एक समय कपिलवस्तु की महारानी महामाया देवी अपने देवहद जा रही थी और उन्हें रास्ते में ही प्रसव पीड़ा उत्पन्न हुई थी, जिसके कारण उन्हें ने एक बालक को जन्म दिया।

भगवान गौतम बुद्ध का पारिवारिक संबंध

उनके पुत्र का जन्म गौतम गोत्र में हुआ था, इसी कारण उनका नाम गौतम बुद्ध पड़ गया। भगवान गौतम बुद्ध जी के पिताजी का नाम शुद्धोधन था। भगवान गौतम बुद्ध जी के पिताजी एक राजा थे, इनकी माता का नाम माया देवी था। इनकी माता माया देवी कोली वंश की महिला थी। भगवान गौतम के जन्म के मात्र 7 दिन बाद ही इनकी माता माया देवी जी का देहांत हो गया।

माता की मृत्यु के बाद इनके पालन पोषण इनकी मौसी और राजा की दूसरी पत्नी रानी गौतमी ने की थी। भगवान गौतम बुद्ध का नाम बचपन में इन लोगों के द्वारा सिद्धार्थ रख दिया गया। भगवान गौतम बुद्ध जी के इस नाम का अर्थ यह था कि जो सिद्धि प्राप्ति के लिए जन्मा हो। भगवान गौतम बुध का नाम सिद्धार्थ रखने का अर्थ उन्होंने भली-भांति सिद्ध किया क्योंकि उन्हें बाद में सिद्धि प्राप्त हो गई।

भगवान गौतम बुद्ध की शिक्षा

जैसा कि आप सभी जानते हैं भगवान गौतम बुद्ध क्षत्रिय परिवार में जन्मे थे। ऐसे में भगवान गौतम बुद्ध जी ने एक क्षत्रिय की शिक्षा भी प्राप्त की थी। भगवान गौतम बुद्ध जी को शिक्षा गुरु विश्वामित्र जी के द्वारा प्राप्त कराई गई थी, गुरु विश्वामित्र जी ने इन्हें वेद और उपनिषद के साथ साथ युद्ध विद्या भी प्राप्त करवाई थी। गुरु विश्वामित्र जी ने इन्हें घुड़सवारी, धनुष बाण एवं रथ हांकने की भी शिक्षा प्रदान कराई थी।

लोगों का ऐसा कहना है कि भगवान बुद्ध को रथ हांकने में कोई अन्य व्यक्ति कभी भी नहीं हरा सकता क्योंकि भगवान गौतम बुद्ध ने सारथी के रूप में बहुत ही निपुण शिक्षा प्राप्त की थी। भगवान गौतम बुद्ध बहुत ही उच्च विचार वाले व्यक्ति थे, जिसके कारण आज भी संपूर्ण विश्व में विख्यात है।

भगवान गौतम बुद्ध का विवाह

भगवान गौतम बुद्ध जी का विवाह एक राजकुमारी से हुआ था, उस राजकुमारी का नाम यशोधरा था। जिस समय भगवान गौतम बुद्ध जी का विवाह हुआ था, उस समय वह केवल 16 वर्ष के ही थे। भगवान गौतम बुद्ध और यशोधरा के विवाह के कुछ वर्षों बाद उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई, जिसका नाम इन्होंने राहुल रखा था।

परंतु हम सभी जानते हैं कि भगवान गौतम बुद्ध का जन्म परिवार और मोह माया की दुनिया में नहीं लगता था, इसलिए वह अपने घर परिवार को त्यागकर जंगल में चले गए थे। भगवान गौतम बुद्ध जी के पिता राजा शुद्धोधन ने भगवान गौतम बुद्ध के लिए सभी भोग विलास इत्यादि की वस्तुओं का इंतजाम करके रखा था।

राजा शुद्धोधन अपने पुत्र को सिद्धार्थ से इतना प्रेम करते थे कि उन्होंने अपने पुत्र के लिए तीन ऋतु में रहने के लिए तीन महल बनवाए थे। इन महलों में भगवान गौतम बुद्ध के लिए नाच-गाना इत्यादि जय सियाराम की सभी व्यवस्थाओं की मौजूदगी थी।

परंतु भगवान गौतम बुद्ध का मन इन चीजों में नहीं लगता था और यहां पर कुछ ऐसी चीज से नहीं थी, जो कि भगवान गौतम को अपनी तरफ आकर्षित कर सकें। भगवान गौतम जी ने अपनी सुंदर पत्नी और बहुत ही सुंदर बच्चे को छोड़कर के जंगल में जाकर रहने का निश्चय कर लिया।

भगवान गौतम बुध की तपस्या

भगवान गौतम बुद्ध ने जंगल में जाकर के बहुत ही कठिन तपस्या की थी। ऐसा कहा जाता है पहले तो सिद्धार्थ ने शुरू में तीन चावल खाकर अपनी तपस्या को जारी रखा था, परंतु उन्होंने उसके बाद बिना खाए पिए ही अपनी तपस्या को करना शुरू कर दिया।

भगवान गौतम बुध कठोर तपस्या करने के कारण उनका शरीर सूख गया था। उन्होंने इतनी कठोर तपस्या की लगभग 6 वर्षों तक बिना खाए पिए ही अपने सब को जारी रखें।

एक दिन भगवान गौतम बुद्ध अपनी तपस्या कर रहे थे तभी अचानक कुछ महिलाएं किसी नगर से वापस लौट रही थी। वे महिलाएं उसी रास्ते से जा रही थी, जिस रास्ते में भगवान गौतम बुद्ध तपस्या कर रहे थे। वह महिलाएं गीत गा रही थी, भगवान गौतम बुद्ध के कानों तक एक गीत पहुंचा। उस गीत का शीर्षक था “वीणा के तारों को ढीला मत छोड़ दो तारों को इतना छोड़ो भी मत कि वे टूट जाए” भगवान गौतम बुद्ध के कानों में यह गीत पड़ा।

इस गीत को सुनने के बाद भगवान गौतम बुद्ध यह समझ गए कि नियमित आहार विहार से एक योग सिद्ध होता है। समझ गए कि किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मध्य मार्ग ही सबसे बढ़िया होता है। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए किसी भी व्यक्ति को बहुत ही कठिन परिश्रम करना पड़ता है, अपने कठिन परिश्रम के कारण ही कोई भी मनुष्य अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।

भगवान गौतम बुद्ध की ज्ञान प्राप्ति

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि भगवान गौतम बुद्ध सत्य और शांति की खोज के लिए बोधगया के पास के एक जंगल में पहुंचे। भगवान गौतम बुद्ध ने वहां पर लगभग 6 वर्षों तक कठिन तपस्या की, परंतु उसके पश्चात भी भगवान गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति नहीं हुई। भगवान गौतम बुद्ध तपस्या करने के दौरान भगवान गौतम बुध का तेजस्वी शरीर एक मानव कंकाल बन गया।

उन्हें देखकर ऐसा लगता था कि मानो मृत्यु उनके बहुत ही निकट आ गई है। उसके पश्चात जंगल के पास रहने वाले एक चरवाहे की बेटी ने जिसका नाम सुजाता था, उसने भगवान गौतम बुद्ध को खीर खिलाई, जिसके बाद उनके शरीर की खोई हुई शक्ति वापस आन पड़ी।

इसके पश्चात भगवान गौतम बुद्ध ने अपनी कठोर तपस्या को त्यागने का निश्चय कर लिया और उसके पश्चात उन्होंने लगभग ईसा मसीह के जन्म से 528 वर्ष पूर्व पूर्णिमा की रात को 35 वर्षीय सिद्धार्थ जी ने पीपल के वृक्ष के नीचे परम ज्ञान की प्राप्ति की।

पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर के भगवान गौतम बुद्ध ने ज्ञान की प्राप्ति की थी, उस वृक्ष को बोधि वृक्ष के नाम से जाना जाने लगा और वर्तमान समय में भी इस वृक्ष को बोधि वृक्ष के नाम से ही जाना जाता है। यह स्थान गया में स्थित था, इसलिए गया में स्थित इस स्थान को बोधगया के नाम से जाना जाता है।

भगवान गौतम बुद्ध जी का उपदेश

भगवान गौतम बुद्ध ने अपने जीवन में बहुत से उपदेश दिए, भगवान गौतम बुद्ध ने मानव हित के लिए ही अपने उद्देश्य को लोगों के समक्ष व्यक्त किया है। भगवान गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया था, वहां पर उन्होंने अपने उपदेश को देने के लिए अपने ही 5 मित्रों को अपना अनुयाई बनाया था। भगवान गौतम बुद्ध ने उन्हें उपदेश देने के पश्चात अपने धर्म के प्रचार प्रसार के लिए भेज दिया।

इसके पश्चात महात्मा बुद्ध ने सभी प्रकार के दुखों के कारण और निवारण याद के लिए अष्टांगिक मार्ग भी बताया। भगवान गौतम बुद्ध ने इच्छाओं और आकांक्षाओं को सभी दुखों का कारण बताया। भगवान गौतम बुध का यह मानना था कि मनुष्य को किसी भी प्रकार का दुख होता है तो वह सिर्फ और सिर्फ उसकी इच्छाओं के कारण ही होता है।

महात्मा गौतम बुद्ध ने अहिंसा का समर्थन किया और पशु हत्या का जमकर विरोध किया। भगवान गौतम बुद्ध के उपदेश निम्नलिखित है:

  • भगवान गौतम बुध का यह कहना था कि अभी होस्ट और गायत्री मंत्र का प्रचार किया जाना ही किसी भी मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति करवाता है।
  • भगवान गौतम बुद्ध ने यह कहा है कि किसी भी व्यक्ति के लक्ष्य को प्राप्त करने का सबसे सरल मार्ग मध्यम मार्ग का अनुसरण करना ही होता है।
  • महात्मा गौतम बुद्ध ने ध्यान को ही सफलता का मार्ग बताया है।
  • महात्मा गौतम बुद्ध ने चार आर्य सत्य कहा है।
  • महात्मा गौतम बुद्ध बहुत ही कठोर तप वाले व्यक्ति थे, उन्होंने अष्टांग मार्ग को लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया है।

भगवान गौतम बुध के जीवन का अंतिम पल

भगवान गौतम बुद्ध जी की मृत्यु लगभग ईसा मसीह के जन्म से लगभग 483 वर्ष पूर्व ही हो गया था। भगवान गौतम बुद्ध ने लगभग 80 वर्ष की उम्र में अपने शरीर को त्याग दिया और परमात्मा में विलीन हो गए।

जब भगवान गौतम बुद्ध को सत्य ज्ञान की प्राप्ति हो गई, तब से उन्होंने अपने संपूर्ण जीवन को केवल मानव कल्याण के लिए उपयोग किया।

भगवान गौतम बुद्ध का यह कहना था कि कोई भी व्यक्ति अपने ज्ञान को न केवल अपने तक ही सीमित रखें अभी तो वह अपने ज्ञान को अन्य व्यक्तियों तक भी पहुंचा है।

FAQ

भगवान गौतम बुद्ध कौन है?

भगवान गौतम बुद्ध एक राजकुमार थे, जो बाद में सिद्धि प्राप्त करके संत बने।

भगवान गौतम बुद्ध का जन्म कब हुआ था?

भगवान गौतम बुध का जन्म 563 ईसा पूर्व में नेपाल के कपिलवस्तु के निकट स्थित लुंबिनी गांव में हुआ था।

भगवान गौतम बुद्ध के बचपन का नाम क्या था?

भगवान गौतम बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ गौतम था।

भगवान गौतम बुद्ध के पिता का नाम क्या था?

भगवान गौतम बुद्ध के पिता महाराजा थे और उनका नाम नरेश शुद्धोधन था।

भगवान गौतम बुद्ध के माता का क्या नाम था?

भगवान गौतम बुद्ध की माता का नाम रानी महामाया था, जिन्हें महादेवी के नाम से जाना जाता है।

गौतम बुद्ध जी के पत्नी का क्या नाम था?

भगवान गौतम बुद्ध की पत्नी का नाम यशोधरा था।

निष्कर्ष

आज के इस लेख महात्मा बुद्ध का जीवन परिचय (Gautam Buddh ka Jivan Parichay) के माध्यम से हमने आपको भगवान गौतम बुद्ध जी के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त कराई है। साथ में हमने आपको भगवान गौतम बुद्ध का महत्वपूर्ण कथन कथन “इस सृष्टि का कोई भी व्यक्ति इस बुद्धत्व को प्राप्त कर सकता है” भी बताया है।

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