और इस तरह मुक्ति के मार्ग को लेकर अर्जुन की जिज्ञासा बढ़ी
किं तद्बह्य किमध्यात्मं किं कर्म पुरुषोत्तम।
अधिभूतं च किं प्रोक्तमधिदैवं किमुच्यते। 8/1
हे पुरुषोत्म! ब्रह्म क्या है, अध्यात्म क्या है, कर्म क्या है, अधिभूत कौन-सा कहा गया है और अधिदैव किसे कहते हैं? मुझे बताएं।
भगवान से अब अर्जुन, अध्यात्म की गहराईयों के सवाल करते हैं। अर्जुन कहते हैं, ‘हे पुरुषोत्म! यह ब्रह्म क्या है? अर्जुन में अब ब्रह्म को जानने की इच्छा पैदा हो गई है। अर्जुन ने दूसरा सवाल किया कि अध्यात्म क्या है? उनमें अब अध्यात्म के रास्ते पर बढ़ने की इच्छा भी जाग चुकी है। उन्होंने तीसरा सवाल किया कि कर्म क्या है? मतलब साफ है कि उनमें कर्मयोग का भाव भी पक्का हो गया है। इसी तरह उन्होंने चौथा सवाल किया कि आखिर अधिभूत और अधिदैव किसे कहते हैं? मतलब वह हर चीज का मूल कारण जानना चाहते हैं। इसी तरह आठवें अध्याय में अर्जुन ने भगवान से अध्यात्म के मुख्य प्रश्न पूछकर मुक्ति का मार्ग जाना।’