Hazrat Musa In Hindi Biography | हज़रत मूसा का जीवन परिचय : इस्लाम के पांच सबसे प्रमुख पैगम्बरों में से एक माना जाता है

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हजरत मूसा अलैहि सलाम का जीवन परिचय, जीवनी, परिचय, इतिहास, जन्म, शासन, युद्ध, उपाधि, मृत्यु, प्रेमिका, जीवनसाथी (Hazrat Musa A S Ka Qissa History in Hindi, Biography, Introduction, History, Birth, Reign, War, Title, Death, Story, Jayanti)

मूसा (इस्लाम) (अंग्रेज़ी:Moses in Islam) क़ुरआन में वर्णित अरबी भाषा में नबी पैग़म्बर का नाम है। उनका नाम क़ुरआन में 136 बार उल्लेखित है। उनकी बातें क़ुरआन में नबियों में सबसे अधिक वर्णित है। मुसलमानों द्वारा उन्हें ईसा, इब्राहीम, नूह और मुहम्मद के साथ इस्लाम के पांच सबसे प्रमुख पैगम्बरों में से एक माना जाता है। इन पांच भविष्यवक्ताओं को उलूल आज़म नबी के नाम से जाना जाता है। तौरात ग्रंथ आपको ही दिया गया।

इस्लाम धर्म की महत्वपूर्ण पुस्तक क़िसासुल अंबिया और ऐतिहासिक पुस्तकों के अनुसार उस समय के फिरौन बादशाह से बचपन से ही बहुत सी कहानियां जुड़ी हैं। क़ुरआन में उनकी जादूई लाठी, समुद्र का उन्हें रास्ता देना, मछली और हजरत खिज्र अलैहिस्सलाम से मुलाकात,मन्न व सलवा, तूर पहाड़ जैसी कई बातों का विवरण दिया गया है।

हज़रत मूसा (अ०स०) –

हज़रत मूसा (अ०स०) अल्लाह के मुखलिस पैगंबर हैं | उनका लक़ब कलीमुल्लाह है, क्युकि वह अल्लाह तआला से हम-कलाम करते थे | आप (अ०स०) के वालिद का नाम इमरान (अ०स०) और भाई का नाम हारुन (अ०स०) था | आप में ताक़त और कुव्वत 10 आदमियों के बराबर थी |

हज़रत मूसा (अ०स०) के पैदाइश से पहले –

मूसा (अ०स०) के पैदाइश से पहले एक मगरूर और ज़ालिम बादशाह था जिसका नाम वलीद बिन मुश्अब (फिरौन) था, बनी इस्राईल के कौम पर ज़ुल्म व सितम करता था और उनकों गुलामों की तरह काम लेता था | फिरोन को मानने वाले खिब्ती कहलाते थे और वो एश व आराम की ज़िन्दगी गुज़ारा करते थे |

एक रोज़ फिरौन ने खवाब देखा के बैतूल मुक़द्दस से मिस्र के जानिब एक आग बढ़ता चला आ रहा है, वो आग तमाम मिस्र वालों को जला डालता है मगर इस आग से बनी इस्राईल के घर मज्फुज़ रहते हैं | फिरौन ने इस खवाब की ताबीर अपने पास मौजुद कहिनों से पूछी तो उन्होंने बताया के बनी इस्राईल में एक एसा बच्चा पैदा होने वाला है जिसकी वजह से मिस्रियों (खिब्तियों) की हलाकत होगी |

आप (अ०स०) की पैदाइश –

खवाब की ताबीर सुनकर फिरौन डर गया और एक खौफनाक हुक्म जारी किया के बनी इस्राईल में जो भी लड़का पैदा हो उसे क़त्ल कर दिया जाये चुनांचे बनी इस्राईल में जो भी औरत हामिला होती तो उसपर कड़ी निगरानी की जाती और अगर लड़का होता तो क़त्ल कर दिया जाता | उस दौर में तक़रीबन दो लाख बच्चे क़त्ल कर दिए गए |

हज़रत मूसा (अ०स०) की वालिदा जब हमल से हुईं तो इसकी खबर किसी को न हुई, उन्होंने सबसे छुपाये रखा और जब हज़रत मूसा (अ०स०) पैदा हुए तब भी सिवाए करीबी रिश्तेदारों को किसी को मालूम ना हुआ (जिन्हें अल्लाह जिंदा रखे,किसकी मजाल है के उसे मार सके)

फिर अल्लाह तआला ने हज़रत मूसा (अ०स०) के वालिदा के दिल में ख्याल डाला के जब भी कोई डर और खौफ्फ़ महसूस करो तो बच्चे को दरिया में बहा देना | (तफ़सीर –सुरह क़सस,आयत -7 )

आप (अ०स०) के बचपन का हाल –

हज़रत मूसा (अ०स०) की वालिदा ने एक संदूक में रखकर दरिये नील में बहा दिया और मूसा (अ०स०) की बहन से कहा की तू पीछे –पीछे जा और अपने भाई की निगरानी करती जाना | चुनांचे वह संदूक दरिया के किनारे जा लगा (वहीँ फिरौन का महल था ), महल के दरबारियों ने संदूक को निकाल लिया |

फिरौन की बीवी (आसिया (रज़ी०) जो नेक खातून थीं ) मूसा (अ०स०) को देखा और फिरौन से कहा ये तेरी और मेरी आँखों की ठंडक है और इसे अपना बेटा बना लें |

जब मूसा (अ०स०) को भूख लगी और दूध के लिए रोने लगे तो दूध पिलाने वालीयां लाई गईं लेकिन आप (अ०स०) ने किसी का दूध नहीं पीया | करीब में ही मूसा (अ०स०) की बहन जो आप की निगरानी करते हुए पीछे आई थीं कहने लगी – मै एक घर जानती हूँ जो इस बच्चे को दूध पिला सकती है |  इस तरह अल्लाह तआला ने मूसा (अ०स०) को वापस उनकी माँ के पास लौटा दिया |

(तफ़सीर सुरह क़सस आयत -12 और 13)

दो शख्सों की लड़ाई  –

फिरौन के महल में आपने परवरिश पाई और जवान हुए | ताक़त व कुव्वत अल्लाह ने आपको बहुत अता की थी |

एक दिन आपने दो लोगों को आपस में लड़ते हुए देखा, उसमे से एक बनी इस्राईल से था और दूसरा खिब्ती था | बनी इस्राईल के शख्स ने आपसे मदद मांगी, आपने मदद का इरादा किया और खिब्ती को एक मुक्का मारा, जिससे उसकी मौत हो गई, आप (अ०स०) का मकसद क़त्ल का नहीं था | और आपने अल्लाह तआला से तौबा किया  (तफ़सीर – सुरह क़सस आयत 15 और 16)

अगले दिन जब मूसा (अ०स०) शहर के तरफ निकले तो देखा के वही बनी इस्राईल फिर  किसी से झगड़ रहा है और आपको देखकर फिर से आप से मदद तलब की, आपने फ़रमाया तू तो झगड़ालू आदमी है और उसके मुकाबले वाले खिब्ती के तरफ हो गए | बनी इस्राईल ने कहा के कल जैसे एक आदमी को मारा था क्या आज मुझे भी मार डालोगे | उसकी इस बात से आप समझ गए के कल वाली बात पुरे शहर में फ़ैल गई है |

वतन से निकलना –

हज़रत मूसा (अ०स०) को ये ख्याल आया  के खिब्ती के क़त्ल के बदले कहीं मेरा न क़त्ल कर दे | आप (अ०स०) अपने आप को छुपाना चाहते थे | फिरौन की कौम से एक एक शख्स आया और मूसा (अ०स०) से कहा के आप फ़ौरन यहाँ से कही दूसरी जगह निकल जाएं क्यूंकि कौम के सरदार आपकी क़त्ल के मनसूबे बना रहे हैं |

मदयन का पहुंचना और कयाम –

मिस्र से निकलकर भूखे प्यासे और लम्बे सफ़र से  आप मदयन पहुंचे | एक जगह पहुंचे तो देखा के एक चश्मे पर एक हौज़ है जहाँ कुछ लोग अपने जानवरों को पानी पिला रहे हैं, क़रीब ही आप ने देखा के दो औरतें हैं जिनके पास बकरियां थीं, वे पानी के क़रीब अपनी बकरियों को रोके हुए थीं |

मूसा (अ०स०) के पूछा क्या मामला है, अपनी बकरियों को पानी क्यों नहीं पिलातीं | वो बोलीं के जब तक ये चरवाहे अपने जानवरों को पानी नहीं पिलाते हम नहीं पिला सकतीं और हमारे वालिद बहुत बूढ़े हैं | ये सुनकर मूसा (अ०स०) ने आगे बढ़कर उनसब को हटाया और बकरियों को पानी पिलाया | दोनों औरतें वापस गईं और सारा क़िस्सा अपने वालिद को सुनाया |

दोनों औरतें में से एक हज़रत मूसा (अ०स०) के पास शरमाते हुए आईं और कहा के मेरे वालिद आप को बुला रहे हैं क्यूंकि आपने जो हमारे बकरियों को पानी पिलाया उसकी उजरत दे सके | हालांके मूसा (अ०स०) ने ये अमल कोई उजरत के लिए नहीं किया लेकिन उनको शख्त हाजत थी इसलिए आप उनके साथ चल पड़े |

घर पहुँचकर हज़रत मूसा (अ०स०) और शोएब (अ०स०) से मुलाक़ात हुई | हज़रत शोएब (अ०स०) की बेटी ने कहा के आप उनको मजदूरी पर रख लें क्यूंकि ये ताक़तवर भी हैं और इमानदार भी |फिर हज़रत शोएब (अ०स०) ने अपने एक बेटी से उनका निकाह कर दिया और मेहर के एवज़ 8 साल मजदूरी को कहा और ये भी कहा के अगर 10 साल करें तो ये बेहतर और अहसान है, चुनांचे हज़रत मूसा (अ०स०) ने 10 साल पुरे किये | (तफ़सीर –सुरह क़सस आयत 16 से 27)

अल्लाह तआला के तरफ से दो इनाम (मोजज़ा) –

दस साल पुरे करने के बाद मूसा (अ०स०) ने अपने वतन मिस्र जाने का इरादा किया और अपने बीवी को साथ लिए वापस चले | सफ़र के दौरान सर्दी काफी थी, अँधेरी रात थी, मूसा (अ०स०) को दूर पहाड़ी पर एक आग दिखाई दिया वह अपनी बीवी को बोले मैं आग ले आता हु ताके सर्दी से बचा जा सके |

हज़रत मूसा (अ०स०) आग के पास पहुंचे तो देखा वो कोई आग नहीं थी बलके एक दरख़्त से नूर निकल रहा था | मूसा (अ०स०) बहुत हैरान हुए जब और क़रीब हुए तो उसमे से आवाज़ सुनाई दी |

ये आवाज़ अल्लाह रब्बुल इज्ज़त की अपने बन्दे हज़रत मूसा (अ०स०) के दरमियान थी | अल्लाह तआला ने फ़रमाया – ए मूसा ! मैं तुम्हारा परवरदिगार बोल रहा हूँ | (मजीद तफ़सीर के लिए सुरह ताहा माअनी के साथ देखें)

फिर आवाज़ आई – ये तुम्हारे हाथ में क्या है | मूसा (अ०स०) ने जवाब दिया ये मेरी लाठी है जिससे टेक लगाता हूँ और अपने बकरियों के लिए पत्ते झाड़ता हूँ और भी फायदे हैं |

फिर हुक्म हुआ – इसे निचे ज़मीन में डाल दे, जूं ही मूसा (अ०स०)  ने लाठी निचे गिराई वह सांप बनकर दोड़ने लगा  ये देख आप (अ०स०) पीठ फेरकर भागे, पीछे मुड़कर भी ना देखा |

फिर अल्लाह तआला ने इरशाद फ़रमाया – मूसा ! डर मत और इस लाठी को पकड़, हम दोबारा लाठी बना देंगे | आप (अ०स०) ने सांप को पकड़ा तो वह लाठी बन गया |

अल्लाह तआला ने फिर फ़रमाया – अपने हाथ को अपने गरेबान में डाल, मूसा (अ०स०) एसा ही किया जब हाथ बाहर निकाला तो आपका हाथ सूरज की तरह चमने लगा |

अल्लाह तआला ने दो मोजज़े मूसा (अ०स०) को दिए और फ़रमाया – फरौन और उसके कौम  के तरफ जा यकीनन वो बहुत सरकश और नाफरमान है | फिर मूसा (अ०स०) ने कहा ए मेरे परवरदिगार ! मेरी जुबान की गिराह खोल दे और मेरे काम में आसानी फरमा  और मेरे भाई हारुन (अ०स०) को मेरे साथ कर दे | अल्लाह तआला ने आपकी दुआ कुबूल फरमाई |इस तरह हज़रत मूसा (अ०स०)  और हज़रत हारुन (अ०स०) को अल्लाह तआला ने नबूवत से सरफ़राज़ फ़रमाया |

फिरौन को दीन की दावत –

हज़रत मूसा (अ०स०) वापस हुए और अपने भाई हज़रत हारुन (अ०स०) को साथ लिया और फिरौन के महल पहुंचे | महल के दरबानो ने आप को अन्दर जाने नहीं दिया, मूसा (अ०स०) ने कहा मैं कासिद हूँ यानी पैग़ाम लेकर आया हूँ तो दरबानो ने अन्दर जाने दिया |

मूसा (अ०स०) ने फिरौन को दीन की दावत दी तो फिरौन ने कहा के तेरा रब कौन है, जवाब में मूसा (अ०स०) ने कहा – वो असमानों और जमीन के तमाम चीजों का रब है | ये बात मूसा (अ०स०) ने तमाम दरबारियों से मुखातिब होकर की थी |

फिर फिरौन बोला अगर तू अपने वादे में सच्चा है तो निशानियाँ पेश कर | अब मौक़ा आ गया था के वह दोनों मोज़ज़े पेश किये जाएं | फिर मूसा (अ०स०) ने अपनी लाठी ज़मीन पर रख दिया तो वह अजदहा बन गया और अपने गिरेबान से हाथ निकला तो वह चमकने लगा | फिरौन ने कहा ये तो सिवाये जादू के और कुछ नहीं है और कहा के तुम्हारे मुकाबले में मैं भी मशहूर जादूगरों को लाऊंगा | मूसा (अ०स०) को इसी वक़्त का इंतज़ार था के सबसे सामने दावत पेश की जाये |

जादूगरों का ईमान लाना –

मुकाबले का दिन मुक़रर हुआ | फिरौन ने माहिर जादूगरों को मुतखब किया और ये भी एलान कराया के जो मूसा (अ०स०) को अपने जादू से पस्त करेगा तो उसे मालामाल कर देगा |

मुकाबले का दिन आ पहुंचा, लोग एक मैदान में जमा हुए | 40 जादूगरों की जमात मैदान में हाज़िर हुई |

जादूगरों ने मूसा  (अ०स०) से कहा के पहले तुम डालों फिर अल्लाह तआल़ा ने मूसा (अ०स०) को वही की के पहले वो डाले, चुनांचे जादूगरों ने अपने पास जो रस्सी और लकड़ी थी उसे ज़मीन पर डाल दिया

देखते ही देखते वो रस्सियाँ हरकत करने लगीं | लोगों के नज़रों पर जादू कर दिया गोया वो रस्सियाँ सांप दिखने लगीं | मूसा (अ०स०) ने वहशत महसूस की तो अल्लाह तआला ने वही की के यकीनन तू ही ग़ालिब आएगा और तेरे हाथ में जो चीज़ है उसे ज़मीन पर डाल दे, चुनांचे मूसा (अ०स०) ने जैसे ही अपनी लाठी ज़मीन पर डाला तो एक अजदहा बनकर कर तमाम जदूगरों की रस्सियों को नगल शुरू कर दिया |

जब जादूगरों के ये मंज़र देखा तो समझ गए के ये जादू नहीं हो सकता बलके एक अल्लाह के तरफ से है | सारे जादूगर सजदे में गिर गए और बोले मैं तो मूसा और हारुन (अ०स०) के रब पर ईमान लाता हूँ | (तफ़सीर सुरह ताहा )

फिरौन और जादूगरों की गुफ्तुगू –

जब फिरौन ने देखा के सारे जादूगर ईमान ले आये हैं तो बोला के मेरे से बिना पूछे तूने मूसा (अ०स०) पर ईमान कैसे ला सकते हो और कहा मूसा (अ०स०) ने तुम सबके उपर भी जादू कर दिया है | फिर बोला मैं तुम्हारे हाथ पाउ मुखालिफ सिम्तों में कटवा कर खज़ूर के तनो पर लटकवा दूंगा | इसपर जादूगरों ने जवाब दिया तुझे जो करना है कर डाल हम तुम्हे कोई तरजीह नहीं देते और तू सिवा दुनिया में हमें सज़ा देने के अलावा और कर भी क्या सकता है | चुनांचे फिरौन ने उन्हें सज़ा देने का हुक्म दिया |

फिरौन और उसके कौम की हलाकत –

अल्लाह तआला ने फिरौन और उसके कौम पर 9 मोजज़े अज़ाब के नाजिल किये जैसे के टिड्डियों का अज़ाब, खून का अज़ाब और मेडकों का अज़ाब वगैरह | फरौन और उसकी कौम मूसा (अ०स०) से दुआ के लिए कहती तो मूसा (अ०स०) दुआ फरमाते तो वह अज़ाब टल जाता लेकिन फिर वे सरकशी और नाफ़रमानी करने लगते |

आखिरकार अल्लाह तआला ने मूसा (अ०स०)  को वही की के रातों रात तू मेरे बन्दों को लेकर निकल जा | बनी इस्राईल की कुल तादात 6 लाख थी |

सुबह जब फिरौन को ये मालूम हुआ तो उसने उनका पीछा करने का हुक्म दिया | मूसा (अ०स०) अपने लश्कर को लिए बहरे अहमर के किनारे पहुंचे, जब वह पीछे मुड़कर देखा तो फिरौन और उसका लश्कर पीछा करते हुए चला आ रहा है |

बनी इस्राईल परेशान हो गए के अब क्या होगा पीछे फिरौन और उसका लश्कर और आगे समंदर की ऊँची लहरें | फिर मूसा (अ०स०) को वही की गई के पानी पर अपनी लाठी मारो जूं ही आप ने लाठी मारी तो समंदर में रास्ता बन गया और पानी पहाड़ों की तरह खडी हो गई | सब के सब उस रस्ते से बहार निकल गए | अब जैसे ही फिरौन और उसका लश्कर पानी के पास पहुंचे तो देखा के समंदर में रास्ता बना हुआ है | पहले तो फिरौन डरा के ये क्या माजरा है लेकिन फिर उसने अपने घोड़े और लश्कर को लेकर उस रस्ते पर दाखिल हुआ | इधर बनी इस्राईल का आखिरी आदमी समादर से निकल रहा था और दूसरी तरफ फिरौन का आखिरी आदमी समंदर में दाखिल हो रहा था |

अल्लाह तआला के हुक्म से पानी जा मिला और फिरौन और उसका लश्कर पानी में गर्क़ हो गए | जब फिरौन डूब रहा तो कहने लगा के मैं मूसा (अ०स०) के रब पर ईमान लाता हूँ | उस वक़्त तौबा कुबूल नहीं हुई क्युकि मौत के आखिरी वक़्त में जब फ़रिश्ते देखने लगते हैं तो तौबा कबूल नहीं होती |

अल्लाह तआला ने फिरौन की लाश को लोगों के इबरत का नमूना बना दिय और आज भी सही सलीम मिस्र के अज़येब घर में मौजूद है |

आखिर में –

फिरौन से निजात के बाद बनी इस्राईल को आराम और सुकून हासिल हुआ |

हज़रत मूसा (अ०स०)  कोहे तुर पर अल्लाह तआला से हम कलाम हुए करते थे और आप (अ०स०)  को तौरात (किताब ) दी गई | एक बार आप (अ०स०)  ने अल्लाह के दीदार की खवाइश की थी, बहुत इसरार के बाद अल्लाह तआला ने अपने नूर की एक छोटी से तजल्ली डाली जिसकी वजह से पहाड़ रेज़ा – रेज़ा हो गया और आप (अ०स०)  बेहोश हो गए  और बाद में अल्लाह रब्बुल इज्ज़त के बारगाह में माफ़ी मांगी और सजदा रेज़ हुए |

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