Lala Har Dayal Mathur In Hindi Biography | लाला हरदयाल का जीवन परिचय : भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी क्रान्तिकारियों में थे।

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लाला हरदयाल का जीवन परिचय, जीवनी, परिचय, इतिहास, जन्म, शासन, युद्ध, उपाधि, मृत्यु, प्रेमिका, जीवनसाथी (Lala Har Dayal Mathur History in Hindi, Biography, Introduction, History, Birth, Reign, War, Title, Death, Story, Jayanti)

लाला हरदयाल,  भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के उन अग्रणी क्रान्तिकारियों में थे जिन्होंने विदेश में रहने वाले भारतीयों को देश की आजादी की लडाई में योगदान के लिये प्रेरित व प्रोत्साहित किया। इसके लिये उन्होंने अमरीका में जाकर गदर पार्टी की स्थापना की। वहाँ उन्होंने प्रवासी भारतीयों के बीच देशभक्ति की भावना जागृत की। काकोरी काण्ड का ऐतिहासिक फैसला आने के बाद मई, सन् 1927 में लाला हरदयाल को भारत लाने का प्रयास किया गया किन्तु ब्रिटिश सरकार ने अनुमति नहीं दी। इसके बाद सन् 1938 में पुन: प्रयास करने पर अनुमति भी मिली परन्तु भारत लौटते हुए रास्ते में ही 4 मार्च 1939 को अमेरिका के महानगर फिलाडेल्फिया में उनकी रहस्यमय मृत्यु हो गयी। उनके सरल जीवन और बौद्धिक कौशल ने प्रथम विश्व युद्ध के समय ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध लड़ने के लिए कनाडा और अमेरिका में रहने वाले कई प्रवासी भारतीयों को प्रेरित किया।

जीवन परिचय
वास्तविक नाम हरदयाल सिंह माथुर
व्यवसाय भारतीय स्वतंत्रता सेनानी
शारीरिक संरचना
आँखों का रंग काला
बालों का रंग काला
व्यक्तिगत जीवन
जन्मतिथि 14 अक्टूबर 1884 (मंगलवार)
जन्म स्थान दिल्ली डिवीजन, पंजाब प्रांत, ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य (वर्तमान भारत)
मृत्यु तिथि 4 मार्च 1939 (शनिवार)
मृत्यु स्थान फिलाडेल्फिया, पेंसिल्वेनिया, यू.एस.
मौत का कारण प्राकृतिक मृत्यु
आयु (मृत्यु के समय) 54 वर्ष
राशि तुला (Libra)
राष्ट्रीयता ब्रिटिश भारत
गृहनगर दिल्ली डिवीजन, पंजाब प्रांत, ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य (वर्तमान भारत)
कॉलेज/विश्वविद्यालय • सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली
• पंजाब विश्वविद्यालय
शैक्षिक योग्यता • सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली से संस्कृत में बीए
• पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से संस्कृत में एमए
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां
वैवाहिक स्थिति (मृत्यु के समय) विवाहित
साथी • फ्राइड हॉसविर्थ (अमेरिका में)
• अगदा एरिक्सन (स्वीडन में)
विवाह तिथि वर्ष 1905
परिवार
पत्नी सुंदर रानी
बच्चे बेटी– शांति (जन्म 1908)
माता/पिता पिता– गौरी दयाल माथुर (जिला अदालत में पाठक)
माता– भोली रानी

लाला हरदयाल (जन्म- 14 अक्टूबर, 1884, दिल्ली; मृत्यु- 4 मार्च, 1939 ई., फिलाडेलफिया) प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे। लाला हरदयाल जी ने ‘ग़दर पार्टी’ की स्थापना की थी। विदेशों में भटकते हुए अनेक कष्ट सहकर लाला हरदयाल जी ने देशभक्तों को भारत की आज़ादी के लिए प्रेरित व प्रोत्साहित किया।

शिक्षा

लाला हरदयाल जी ने दिल्ली और लाहौर में उच्च शिक्षा प्राप्त की। देशभक्ति की भावना उनके अन्दर छात्र जीवन से ही भरी थी। मास्टर अमीर चन्द, भाई बाल मुकुन्द आदि के साथ उन्होंने दिल्ली में भी युवकों के एक दल का गठन किया था। लाहौर में उनके दल में लाला लाजपत राय जैसे युवक सम्मिलित थे। एम. ए. की परीक्षा में सम्मानपूर्ण स्थान पाने के कारण उन्हें पंजाब सरकार की छात्रवृत्ति मिली और वे अध्ययन के लिए लंदन चले गए।

पोलिटिकल मिशनरी

लंदन में लाला हरदयाल जी भाई परमानन्द, श्याम कृष्ण वर्मा आदि के सम्पर्क में आए। उन्हें अंग्रेज़ सरकार की छात्रवृत्ति पर शिक्षा प्राप्त करना स्वीकार नहीं था। उन्होंने श्याम कृष्ण वर्मा के सहयोग से ‘पॉलिटिकल मिशनरी’ नाम की एक संस्था बनाई। इसके द्वारा भारतीय विद्यार्थियों को राष्ट्र की मुख्यधारा में लाने का प्रयत्न करते रहे। दो वर्ष उन्होंने लंदन के सेंट जोंस कॉलेज में बिताए और फिर भारत वापस आ गए।

सम्पादक

हरदयाल जी अपनी ससुराल पटियाला, दिल्ली होते हुए लाहौर पहुँचे और ‘पंजाब’ नामक अंग्रेज़ी पत्र के सम्पादक बन गए। उनका प्रभाव बढ़ता देखकर सरकारी हल्कों में जब उनकी गिरफ़्तारी की चर्चा होने लगी तो लाला लाजपत राय ने आग्रह करके उन्हें विदेश भेज दिया। वे पेरिस पहुँचे। श्याम कृष्णा वर्मा और भीकाजी कामा वहाँ पहले से ही थे। लाला हरदयाल ने वहाँ जाकर ‘वन्दे मातरम्’ और ‘तलवार’ नामक पत्रों का सम्पादन किया। 1910 ई. में हरदयाल सेनफ़्राँसिस्को, अमेरिका पहुँचे। वहाँ उन्होंने भारत से गए मज़दूरों को संगठित किया। ‘ग़दर’ नामक पत्र निकाला।

रचनाएँ

  • Thoughts on Education
  • युगान्तर सरकुलर
  • राजद्रोही प्रतिबन्धित साहित्य(गदर,ऐलाने-जंग,जंग-दा-हांका)
  • Social Conquest of Hindu Race
  • Writings of Hardayal
  • Forty Four Months in Germany & Turkey
  • स्वाधीन विचार
  • लाला हरदयाल जी के स्वाधीन विचार
  • अमृत में विष
  • Hints For Self Culture
  • Twelve Religions & Modern Life
  • Glimpses of World Religions
  • Bodhisatva Doctrines
  • व्यक्तित्व विकास (संघर्ष और सफलता)

ग़दर पार्टी

ग़दर पार्टी की स्थापना 25 जून, 1913 ई. में की गई थी। पार्टी का जन्म अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के ‘एस्टोरिया’ में अंग्रेजी साम्राज्य को जड़ से उखाड़ फेंकने के उद्देश्य से हुआ। ग़दर पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष सोहन सिंह भकना थे। इसके अतिरिक्त केसर सिंह थथगढ (उपाध्यक्ष), लाला हरदयाल (महामंत्री), लाला ठाकुरदास धुरी (संयुक्त सचिव) और पण्डित कांशीराम मदरोली (कोषाध्यक्ष) थे। ‘ग़दर’ नामक पत्र के आधार पर ही पार्टी का नाम भी ‘ग़दर पार्टी’ रखा गया था। ‘ग़दर’ पत्र ने संसार का ध्यान भारत में अंग्रेज़ों के द्वारा किए जा रहे अत्याचार की ओर दिलाया। नई पार्टी की कनाडा, चीन, जापान आदि में शाखाएँ खोली गईं। लाला हरदयाल इसके महासचिव थे।

सशस्त्र क्रान्ति

प्रथम विश्वयुद्ध आरम्भ होने पर लाला हरदयाल ने भारत में सशस्त्र क्रान्ति को प्रोत्साहित करने के लिए क़दम उठाए। जून, 1915 ई. में जर्मनी से दो जहाज़ों में भरकर बन्दूक़ें बंगाल भेजी गईं, परन्तु मुखबिरों के सूचना पर दोनों जहाज़ जब्त कर लिए गए। हरदयाल ने भारत का पक्ष प्रचार करने के लिए स्विट्ज़रलैण्ड, तुर्की आदि देशों की भी यात्रा की। जर्मनी में उन्हें कुछ समय तक नज़रबन्द कर लिया गया था। वहाँ से वे स्वीडन चले गए, जहाँ उन्होंने अपने जीवन के 15 वर्ष बिताए।

मृत्यु

हरदयाल जी अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए कहीं से सहयोग न मिलने पर शान्तिवाद का प्रचार करने लगे। इस विषय पर व्याख्यान देने के लिए वे फिलाडेलफिया गए थे। 1939 ई. में वे भारत आने के लिए उत्सुक थे। उन्होंने अपनी पुत्री का मुँह भी नहीं देखा था, जो उनके भारत छोड़ने के बाद पैदा हुई थी, लेकिन यह न हो सका, वे अपनी पुत्री को एक बार भी नहीं देख सके। भारत में उनके आवास की व्यवस्था हो चुकी थी, पर देश की आज़ादी का यह फ़कीर 4 मार्च, 1939 ई. को कुर्सी पर बैठा-बैठा विदेश में ही सदा के लिए पंचतत्त्व में विलीन हो गया।

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