मंगला गौरी स्तोत्र || Mangla Gauri Stotra

1

मंगला गौरी स्तोत्रं का नित्य पाठ करने से साधक को मनवांछित फल प्राप्त होता है। माँ अपने भक्त की सदैव हर मुशकिल से रक्षा करती हैं।

सावन में मंगला गौरी व्रत के साथ मंगला गौरी स्तोत्रं का पाठ करने से साधक को माँ की विशेष कृपा प्राप्त होती है। उस पर माँ शीघ्र प्रसन्न होकर उसके सौभाग्य के द्वार खोल देती है। माँ की कृपा से साधना करने वाली स्त्री को सुख-शांति, धन-समृद्धि, उत्त्म संतान और अखण्ड़ सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

॥ अथ श्री मंगलागौरी स्तोत्रं ॥

ॐ रक्ष-रक्ष जगन्माते देवि मङ्गल चण्डिके।
हारिके विपदार्राशे हर्षमंगल कारिके॥

हर्षमंगल दक्षे च हर्षमंगल दायिके।
शुभेमंगल दक्षे च शुभेमंगल चंडिके॥

मंगले मंगलार्हे च सर्वमंगल मंगले।
सता मंगल दे देवि सर्वेषां मंगलालये॥

पूज्ये मंगलवारे च मंगलाभिष्ट देवते।
पूज्ये मंगल भूपस्य मनुवंशस्य संततम्॥

मंगला धिस्ठात देवि मंगलाञ्च मंगले।
संसार मंगलाधारे पारे च सर्वकर्मणाम्॥

देव्याश्च मंगलंस्तोत्रं यः श्रृणोति समाहितः।
प्रति मंगलवारे च पूज्ये मंगल सुख-प्रदे॥

तन्मंगलं भवेतस्य न भवेन्तद्-मंगलम्।
वर्धते पुत्र-पौत्रश्च मंगलञ्च दिने-दिने॥

मामरक्ष रक्ष-रक्ष ॐ मंगल मंगले।

॥इति मंगलागौरी स्तोत्रं सम्पूर्णं॥

1 thought on “मंगला गौरी स्तोत्र || Mangla Gauri Stotra

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *