जीवन में व्यवहार और आदर्शों की सहजता हमें सबका प्रिय बनाती है

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हम जब भी किसी से पहली बार मिलने जाते हैं, तो बहुत सतर्कता से काम लेते हैं। मिलने वाले पर अपना अच्छा प्रभाव छोड़ने में कोई कसर बाकी नहीं रखते। सलीके से साफ-सुथरे कपड़े पहन कर जाते हैं। शिष्टाचार के पालन में किसी प्रकार की कमी नहीं छोड़ते। व्यक्ति विशेष से ही नहीं उस समय वहां उपस्थित अन्य सभी से भी अत्यंत विनम्रता से पेश आते हैं। आदर्शों की बात करते हैं। यथासंभव नैतिकता का दामन थामे रहते हैं। कहने का मतलब यह है कि हम स्वयं को एक बहुत अच्छे इंसान के रूप में पेश करने की पूरी कोशिश करते हैं। आखिर क्यों? इसलिए कि फर्स्ट इंप्रेशन इज द लास्ट इंप्रेशन। सामने वाले पर इसका अच्छा प्रभाव भी निश्चित रूप से पड़ता है।

लेकिन यदि हमारा व्यवहार बाद में बदल जाता है, तो पहले प्रभाव के आधार पर हम कितने दिनों तक लोगों को प्रभावित कर पाएंगे? जैसे ही हमारा व्यवहार बदलेगा न केवल लोगों का व्यवहार और प्रतिक्रिया बदल जाएगी, बल्कि उसका नकारात्मक प्रभाव भी लोगों पर पड़ेगा। इससे बचने के लिए अनिवार्य है कि हम अपनी छवि अच्छी बनाने के लिए जैसा व्यवहार उपयुक्त समझते हैं उसे अपनी आदत बना लें। उस व्यवहार को अपने स्वभाव से जोड़ लें, जैसा किसी से पहली बार मिलते समय दिखाया था। चिंता की बात यह है कि जैसे-जैसे हमारा मिलना-जुलना सामान्य होने लगता है, हम न केवल इन सब बातों की परवाह करना छोड़ देते हैं, बल्कि कई बार असहज तरीके से भी पेश भी आने लगते हैं।

हमें हर हाल में इस प्रकार के व्यवहार से बचना चाहिए। हमें सदैव अपने व्यवहार के बारे में अधिक सतर्क रहना चाहिए। हमें यह सोचना चाहिए कि हम दूसरे को भले अपना व्यवहार बदलने से रोक न सकें, लेकिन अपने व्यवहार को तो नियंत्रित रख ही सकते हैं। हो सकता है हमारे व्यवहार से दूसरे को बदलने का अवसर मिल जाए। दूसरों के व्यवहार के कारण हमारा व्यवहार बदल न जाए इसके लिए अनिवार्य है कि हम हर व्यक्ति से हर बार यह सोचकर व्यवहार करें कि आज पहली बार उससे मिल रहे हैं। वैसे भी जब हम किसी के साथ शिष्टतापूर्वक पेश आते हैं तो स्वाभाविक रूप से हमें प्रसन्नता होती है। यदि हम हर मिलने वाले का हर बार मन से स्वागत-सत्कार करेंगे तो हमारी प्रसन्नता में वृद्धि ही होगी। यही प्रसन्नता हमारे अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी होगी।जहां तक किसी से पहली बार मिलने का प्रश्न है, वास्तव में जब भी हम किसी से मिलते हैं वह एक नया क्षण ही होता है।

वैसे भी देखा जाए तो हर क्षण और हर व्यक्ति हमेशा नया ही होता है। क्षण तो बदलते ही रहते हैं व्यक्ति भी हर पल बदलता रहता है। यदि हर बार उस परिवर्तित नए व्यक्ति से मिलते समय हम उस पर अपना अच्छा प्रभाव छोड़ने का प्रयास करेंगे तो हमारे आपसी संबंध अधिक मधुर और सार्थक बने रहेंगे, इसमें संदेह नहीं। हर तरह से हमारा यह व्यवहार हमारे हित में होगा कि हम अपने फर्स्ट इंप्रेशन या प्रथम मिलन को स्थायी बनाने का प्रयास करें। इतना ही नहीं, हो सके तो इसमें और निखार लाने की कोशिश करें। जीवन में व्यवहार कुशल बनने, अपने में अच्छी बातों या आदतों को शामिल करने का इससे अच्छा और प्रभावशाली तरीका नहीं हो सकता है।

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