षष्ठी स्तोत्रम्, Shahsthi Stotram स्तोत्रं शृणु मुनिश्रेष्ठ सर्वकामशुभावहम्
स्तोत्रं शृणु मुनिश्रेष्ठ सर्वकामशुभावहम् |
वाञ्छाप्रदञ्च सर्वेषां गूढं वेदेषु नारद || १ ||
प्रियव्रत उवाच
नमो देव्यै महादेव्यै सिद्ध्यै शान्त्यै नमो नमः |
शुभायै देवसेनायै षष्ठीदेव्यै नमो नमः || २ ||
वरदायै पुत्रदायै धनदायै नमो नमः |
सुखदायै मोक्षदायै षष्ठीदेव्यै नमो नमः || ३ ||
शक्तिषष्ठीस्वरुपायै सिद्धायै च नमो नमः |
मायायै सिद्धयोगिन्यै षष्ठीदेव्यै नमो नमः || ४ ||
सारायै सारदायै च परायै सर्वकर्मणाम् |
बालाधिष्ठातृदेव्यै च षष्ठीदेव्यै नमो नमः || ५ ||
कल्याणदायै कल्याण्यै षष्ठीदेव्यै नमो नमः |
फलदायै फ़लिन्यै च फलदायै च कर्मणाम् |
प्रत्यक्षायै च भक्तानां षष्ठीदेव्यै नमो नमः || ६ ||
पूज्यायै स्कंदकान्तायै सर्वेषु सर्वकर्मसु |
देवरक्षणकारिण्यै षष्ठीदेव्यै नमो नमः || ७ ||
शुद्ध सत्वस्वरूपायै वन्दितायै नमो नमः |
धनं देहि श्रियं देहि पुत्रं देहि सुरेश्वरि || ८ ||
धर्मं देहि यशो देहि षष्ठीदेव्यै नमो नमः |
देहि भूमिं प्रजां देहि राज्यं देहि सुपूजिते |
कल्याणञ्च जयं देहि षष्ठीदेव्यै नमो नमः || ९ ||
इति देवीञ्च संस्तूय लेभे पुत्रं प्रियव्रतः |
यशस्विनञ्च राजेन्द्रं षष्ठीदेवीप्रसादतः || १० ||
षष्ठीस्तोत्रमिदं ब्रह्मन यः श्रुणोति दिने दिने |
अपुत्रो लभते पुत्रं वरं सुचिरजीविनम् || ११ ||
वर्षमेकञ्च यो भक्त्या इदं स्तोत्रं श्रुणोति च |
सर्वपापद्विनिर्मुक्तो महावन्ध्या प्रसूयते || १२ ||
वीरपुत्रञ्च गुणिनं विद्यावन्तं यशस्विनम् |
सुचिरायुष्यमन्तमेव षष्ठीदेवी प्रसादतः || १३ ||
|| इति श्रीब्रह्मवैवर्त महापुराणे नारायणनारदसम्वादे
प्रकृतिखण्डे षष्ठीस्तोत्रं समाप्तं ||
षष्ठी स्तोत्र का माहात्म्य
संतान प्राप्ति का और पुत्र प्राप्ति का यह एक अद्भुत स्तोत्र है जो
श्रीब्रह्मवैवर्त महापुराण में भगवान् नारायण और
नारद के संवाद से उत्पन्न हुआ था यह स्तोत्र
भगवान् नारायण नेनारद को बताया था |
इस स्तोत्र में माँ षष्ठीदेवी की स्तुति की गयी है और उनसे प्रार्थना
की गयी है की हे सुरेश्वरि हमें धन दो, पुत्र दी, श्री दो, यश दो,
धर्म दो, हमें भूमि प्रदान करो, राज्य दो, कल्याण और जय दो |
यानी सिर्फ संतान प्राप्ति ही नहीं अपितु सबकुछ देने में समस्त है
यह स्तोत्र |
एयर इसी स्तुति के द्वारा षष्ठीदेवी को प्रसन्न कर प्रियव्रत ने
पुत्र को प्राप्त किया और वही पुत्र यशस्वी राजा बना |
इसकी महान बात ये है की इसे सुनने से भी उत्तम और
श्रेष्ठ संतान की प्राप्ति होती है |
इसके माहात्म्य में लिखा है एकवर्ष तक अगर कोई भी
इस स्तोत्र को केवल सुनता भी है तो उसे श्रेष्ठ चिरंजीवी
संतान की प्राप्ति होती है | जो कोई एक वर्ष तक प्रतिदिन इसका
केवल एक पाठ भी करता है वह सभी पापो से मुक्त होकर
उत्तम संतान को प्राप्त करता है |
महावन्ध्या को पुत्र प्राप्त होता है |
वह पुत्र वीर, गुणवान, यशस्वी, दीर्घायु होता है |
जो कोई भी स्त्री या पुरुष बच्चे की षष्ठी के समय
इस स्तोत्र को पढ़ता है या सुनता है वो पुत्र या पुत्री यशस्वी बनते है |
|| अस्तु ||