डायबिटीज के लिए योगासन- Yogasana for Diabetes With Pictures in Hindi

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क्या आप जानते हैं कि इस समय भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या लगभग 7 करोड़ के ऊपर है। अगर बात विदेश की की जाए तो चाइना पहले नंबर पर है और भारत दूसरे नंबर पर डायबिटीज की बीमारी दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। डायबिटीज को शुगर और मधुमेह के नाम से भी जाना जाता है। 

अब जानते हैं की डायबिटीज क्या होती है और इसके होने के कौन कौन से कारण है और डायबिटीज को कैसे नियंत्रित करें। इस लेख में हम कुछ ऐसे योगासन के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे जिनको नियमित अपनी दिनचर्या में प्रयोग करके डायबिटीज की बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है।

डायबिटीज क्या है– What is Diabetes in Hindi

हमारे शरीर की समस्त गतिविधियां और कार्य के लिए आवश्यकता होती है ऊर्जा की, यह ऊर्जा हमारे खान-पान से हमारे शरीर में पहुंचती है। शरीर जब भोजन के माध्यम से ऊर्जा को प्राप्त करता है तो शरीर की समस्त गतिविधियां संचालित होती हैं। जिस प्रकार एक मोटर गाड़ी को चलाने के लिए डीजल और पेट्रोल ईंधन के रूप में जरूरत होती है। ठीक उसी प्रकार हमारे शरीर को भी ऊर्जा प्राप्त करने के लिए पोषण की आवश्यकता होती है।

 शरीर की समस्त क्रियाएं उठना, बैठना, बोलना, चालना, दौड़ना यह कह सकते हैं कि शरीर की प्रत्येक गतिविधियां भोजन से प्राप्त ऊर्जा के परिणाम स्वरुप ही होती हैं। जिस प्रकार एक मशीन में मशीन को चलाने के लिए कई तरह के पार्ट लगाए जाते हैं 

उसी प्रकार हमारे शरीर को चलाने के लिए परमात्मा ने कई अंग बनाये हैं। और उन अंगों का अलग-अलग कार्य है, ऐसे में जब किसी एक खास अंग की कार्य करने की छमता काम या अधिक हो जाती है।कोई खास अंग प्रभावित हो जाता है ,तो शारीरिक संतुलन बिगड़ जाता है। और बीमारियों का जन्म होता है।

 क्योंकि शरीर जब भोजन प्राप्त करता है, तो उर्जा बनने से पहले हमारे शरीर में ग्लूकोस के रूप में इकट्ठा होता है। हमारे शरीर की कोशिकाएं ग्लूकोस का इस्तेमाल करके उसे ऊर्जा में परिवर्तित करती हैं। ग्लूकोस को कोशिका तक पहुंचाने का कार्य इंसुलिन के द्वारा ही होता है। 

इंसुलिन का स्राव करने वाला मुख्य अंग पैंक्रियाज होता है। इंसुलिन की मात्रा कम या ज्यादा स्रावित होने पर कोशिकाओं तक ग्लूकोज नहीं पहुंचता है। और वह हमारे ब्लड में इकट्ठा होता रहता है फिर भोजन के रूप में जो भी चीजें इस्तेमाल की जाती हैं उनसे और अतिरिक्त ग्लूकोज इकट्ठा होने लगता है।

 डायबिटीज के लिए योगासन– Yogasana for Diabetes With Pictures in Hindi

डायबीटीज के लिये योगासन से पहले जान  लेते है की डायबीटीज कितने प्रकार की होती है

Type 1 Diabetes

यदि शरीर में इंसुलिन की मात्रा बहुत कम स्रावित हो या बिल्कुल ना के बराबर स्रावित हो ऐसे में हमारे शरीर की कोशिकाएं ग्लूकोस का उपयोग नहीं कर पाती है इस प्रकार की बीमारी को डायबिटीज टाइप वन नाम दिया गया है।

डायबिटीज टाइप वन के मरीजों को इंसुलिन बाहर से इंजेक्शन के द्वारा दिया जाता है।

Type 2 Diabetes

यदि शरीर में इंसुलिन बनता है लेकिन हमारा शरीर जब उसका इस्तेमाल नहीं कर पाता है। इस प्रकार के डायबिटीज को डायबिटीज टाइप 2 कहा जाता है।

डायबिटीज टाइप टू होने का मुख्य कारण मोटापा और कोलेस्ट्रॉल

जब शरीर में अतिरिक्त फैट जमा होने लगता है जिसका इस्तेमाल हमारा शरीर नहीं कर पाता है य अतिरिक्त चर्बी जब बढ़ती है इसी को मोटापा कहा जाता है।

ब्लड में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है और यह हमारी रक्त वाहिकाओं में जमने लगती है यदि लंबे समय तक इसकी रोकथाम न की जाए तो यह शरीर के लिए बहुत ही नुकसानदायक होती है।

डायबिटीज से प्रभावित होने वाले अंग और शरीर को हानि

यदि लंबे समय तक डायबिटीज का नियंत्रण न किया जाए तो यह शरीर के कई अंगों को हानि पहुंचा सकते हैं। प्रभावित होने वाले अंग स्किन, आंख, तंत्रिका तंत्र,   ह्रदय, किडनी, मानसिक स्वास्थ्य

डायबिटीज के लिए योगासन– Asanas for Diabetes(Yoga Poses for Diabetes in Hindi)

जैसा कि हम उपरोक्त लेख में जान चुके हैं कि डायबिटीज हमारे शरीर के लिए कितनी हानिकारक है और हमें क्या नुकसान पहुंचा सकती है। ऐसे में जरूरत होती है कि हम अपने जीवन में भरपूर आनंद के साथ जीवन को जीये और स्वस्थ रहें। डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए कुछ खास योगासन है जिनको करने से डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है।

पश्चिमोत्तानासन

पश्चिमोत्तानासन को बैठकर किया जाता है इसके लिए सबसे पहले आपको जमीन पर दंडासन में बैठना होता है।

ध्यान रहे आपके दोनों अंगूठे आपकी तरफ होने चाहिए इस आसन में दोनों हाथ ऊपर उठाते हुए सांस को भरना होता है, और नीचे झुकते समय सांस को छोड़ना होता है।

अब अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाते हुए लंबी स्वास को खींचे

फिर ,स्वास छोड़ते हुए आगे की और झुकते हुए अपने दोनों अंगूठे को पकड़े और अपनी नासिका को अपने टखनों से स्पर्श करने की कोशिश करें।

इस स्थिति में थोड़ी देर रुके पुना प्रारंभिक स्थिति में वापस आए

अब इस प्रक्रिया को चार पांच बार करें।

लाभ

पैरों की सूजन को दूर करता है। पैंक्रियास को एक्टिवेट करता है। अतिरिक्त जमा हुई चर्बी को घटाता है।

 अर्धमत्स्येंद्रासन

इस आसन को करने के लिए दंडासन में बैठ कर के अपने दाहिने पैर को मोड़ कर एड़ी को उठाते हुए बाएं पैर की तरफ रक्खे ।

अब अपने बाएं हांथ को ऊपर की तरफ मुड़ते हुए उठे हुए पैर को धक्का दें उस पर दबाव बनाएं

अब दाहिने हाथ को पीछे की तरफ टेक ले और कमर से ऊपर के शरीर को पीछे की तरफ मोड़ते हुए जितना मोड़ सके उतना मोड़े और गर्दन को मोड़ते हुए पीछे की तरफ देखने का प्रयास करें।

अब आपको अपने ठीक पीछे देखना है और धीरे-धीरे सांस को लेते रहना है। जितनी देर तक इस स्थिति में रोक सकें रुके।

इसी तरह दूसरे पैर को बाएं पैर को मोड़कर उठाते हुए दाहिने पैर की तरफ लाना है। और दाहिने हाथ को मोड़कर पैर के ऊपर दबाव बनाते हुए पीछे की तरफ मुड़ना है गर्दन को मोड़ते हुए पीछे की तरफ देखने का प्रयास करना है।

जो प्रक्रिया हमने पहले की थी एक पैर के साथ वही प्रक्रिया और दूसरे पैर के साथ करते हुए यह आवृत्ति करनी है।

मंडूकासन

सबसे पहले आप वज्रासन में बैठ जाएं

अपने दोनों हाथों की उंगलियों को मोड़ कर मुट्ठी बना ले।

अब दोनों हाथों की मूर्तियों को अपनी नाभि से थोड़ा नीचे लगाते हुए श्वास भरें।

अब धीरे-धीरे श्वास को छोड़ते हुए नीचे की तरफ झुकना है और अपनी गर्दन को ऊपर की तरफ उठाने का प्रयत्न करना है।

अपनी सुविधा अनुसार जितनी देर तक इस स्थिति में आप रोक सके रुके।

पुनः प्रारंभिक स्थिति में वापस आ जाएं।

इस आसन को चार पांच बार करिए।

जठर परिवर्तनआसन

इस आसन को करने के लिए सबसे पहले आप जमीन पर लेट जाएं और अपने दोनों हाथों को आपस में फंसाते हुए सर के नीचे तकिए की तरह रखें।

दोनों पैरों को मोड़े फिर श्वास भरते हुए दोनों पैरों को ऊपर की तरफ उठाएं।

अव श्वास को छोड़ते हुए एक साइड की तरफ पैरों को दोनों पैरों को साथ में मोड़ना है।

इस स्थिति में कमर के नीचे के हिस्से को ही एक तरफ मोड़ करते हुए जमीन पर लगाना है।

इस आसन को करते समय पेट पर असर महसूस होता है।

सांस अंदर की ओर भरते हुए बीच में आ जाएं और फिर दूसरी तरफ दोनों पैरों को मोड़ना है जमीन पर स्पर्श करना है।

इस स्थिति में अपनी सुविधानुसार जितनी देर तक हो सके रुके।

स्वास को छोड़ते हुए प्रारंभिक स्थिति में पुनः वापस आ जाए।

सुप्त बद्धकोणासन

इस आसन को करने के लिए सबसे पहले आप सामान्य रूप से बैठ जाएं।

फिर एक तकिया को अपने कूल्हों के पीछे रख ले।

अब उसी तकिया के ऊपर लेट जाएं।

अब दोनों पैरों को हल्का मोड़कर दोनों पैर के तलवो को आपस में मिलाते हुए दोनों पैरो की जांघो को बाहर की तरफ दबाव दे।

अब दोनों हाथो को फैलाते हुए हथेलियां ऊपर की तरफ करें।

अब गहरी श्वास खींचने और छोड़ने का प्रयास करें।

पुनः पैरों को सामान्य स्थिति में लाते हुए बाई करवट की तरफ से प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।

कपालभाति प्राणायाम

इस प्राणायाम को करने के लिए सांस को झटके के साथ बाहर निकालना होता है जिससे पेट पर दबाव पड़ता है।

डायबिटीज में कपालभाति प्राणायाम बहुत ही गुणकारी प्राणायाम है।उपरोक्त आसन करने के बाद कपालभाति प्राणायाम अवश्य करना चाहिए।

डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए यदि ये आसन अपने नियमित दिनचर्या में शामिल किया जाए तो काफी हद तक लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

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