कपालभाती प्राणायाम के अद्भुत फायदे विधि और सावधानी Amazing Benefits Of Kapalbhati Pranayama Method And Precautions In Hindi
योग में प्राणायाम को स्वास् को नियंत्रण करने की विधि कहते हैं। प्राणायाम का अर्थ होता है जीवन रूपी उर्जा को नियंत्रित करना। योग शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखने का एक बेहतर विकल्प है।
योग का अभ्यास करने वाले लोगों में रोगों के होने की संभावनाएं कम हो जाती है। योग के अभ्यास से उनका इम्यून सिस्टम मजबूत हो जाता है, जिससे कोई भी बीमारी उनके शरीर पर इतनी जल्दी हावी नहीं हो पाती है।
कपालभाती प्राणायाम क्या है-What Is Kapalbhati Pranayam
कपालभाति प्राणायाम हठयोग की एक क्रिया है। यह प्राणायाम दो शब्दों से मिलकर बना है कपाल और भाती। कपाल का अर्थ होता है मस्तक या ललाट। भाती का अर्थ होता है मांजना या चमकाना।
कपालभाति प्राणायाम करने से मस्तक पर एक प्रकार का तेज उत्पन्न होता है। इस प्राणायाम को करने से मस्तिष्क पूरी तरह से स्वच्छ हो जाता है और मस्तिष्क की कार्य प्रणाली सुचारू रूप से संचालित होने लगती है।
कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास करने वाले लोगों के मस्तक पर एक विशेष प्रकार का तेज या चमक आ जाती है। शरीर के 80 परसेंट विषैले तत्वों को बाहर निकालने का काम करता है कपालभाति प्राणायाम।
लिवर किडनी और गैस से संबंधित बीमारियों को दूर करने के साथ-साथ 100 से भी अधिक बीमारियों को दूर करने का कार्य करता है कपालभाति प्राणायाम।
आइए जानते हैं इस उपयोगी प्राणायाम को करने की विधि क्या है और कैसे किया जाता है।
कपालभाति प्राणायाम करने की विधि-Steps Of Kapalbhati Pranayama
1-कपालभाति प्राणायाम करने के लिए सुखासन में बैठ जाए।
2-अपने हाथों को आकाश की तरफ रखते हुए आराम से घुटनों पर रखें।
3-कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास करने के लिए आपकी रीढ की हड्डी एकदम सीधी होनी चाहिए।
4-अब एक लंबी गहरी सांस अंदर भरे।
5-स्वास् को छोड़ते हुए अपने पेट को अंदर की तरफ खींचे। खिंचाव इस तरीके से हो कि वह आपकी रीढ की हड्डी को छू ले। लेकिन प्रारंभिक दौर में जितना आसानी से हो सके उतना ही करें।
6-जब आप अपनी पेट की मांसपेशियों को ढीला छोड़ते हैं तो स्वास अपने आप ही आपके फेफड़ों तक पहुंच जाती हैं।
7-कपालभाति प्राणायाम का एक चक्र पूरा करने के लिए 20 बार श्वास छोड़ें।
8-जब आपका एक चक्र पूरा हो जाए तो थोड़ा सा आराम करें अपनी आंखों को बंद करके अपने शरीर में जो आपको प्राणायाम के द्वारा ऊर्जा प्राप्त हुई है उसको महसूस करें।
9-कपालभाति प्राणायाम कि जब आप शुरुआत करें तो एक चक्र में 20 बार करें धीरे-धीरे दिन के हिसाब से इसकी संख्या बढ़ाते चले जाएं।
10-कपालभाति प्राणायाम करने के बाद ताली बजाना चाहिए क्योंकि ताली बजाने से इस प्राणायाम का फायदा और अधिक हो जाता है।
11-इसके बाद अपनी आंखों को बंद करें और अपने शरीर में वाइब्रेशन को महसूस करें ,जो इस प्राणायाम को करने के बाद आपको महसूस होने लगेगा।
कपालभाति प्राणायाम कब करना चाहिए
कपालभाति प्राणायाम सुबह के समय सूर्योदय से पहले स्वच्छ हवादार स्थान पर बैठ कर के खाली पेट करना चाहिए तब इसका अधिक लाभ मिलता है।
कपालभाति प्राणायाम कितने मिनट करना चाहिए।
कपालभाति प्राणायाम को शुरुआत में 3 मिनट करना चाहिए बाद में अभ्यास के साथ 5 मिनट तक कर सकते हैं।
कपालभाति प्राणायाम के फायदे-Benefits Of Kapalbhati Pranayama
1-कपालभाति प्राणायाम सैकड़ों मर्जों को दूर करने की क्षमता रखता है इस प्राणायाम को करने से बहुत सारे शारीरिक और मानसिक फायदे मिलते हैं।
2-नियमित रूप से कपालभाती का अभ्यास करने से लिवर और किडनी से जुड़ी हुई समस्याएं ठीक हो जाती हैं।
3-शरीर में ऊर्जा के स्तर को मेंटेन करने के लिए कपालभाति प्राणायाम बहुत अच्छा प्राणायाम।
4-आंखों के नीचे पडने वाले डार्क सर्कल या काले घेरों की समस्या इस प्राणायाम को करने से ठीक हो जाती है।
5-मेटाबॉलिज्म में सुधार और ब्लड सरकुलेशन को ठीक रखने में कपालभाति प्राणायाम बहुत ही फायदेमंद है।
6-मानसिक क्षमता का विकास करता है बुद्धि को तीव्र और प्रखर करता है।
7-चेहरे पर चमक पैदा होती है।
8-गैस और एसिडिटी से जुड़ी हुई सारी समस्याएं दूर होती हैं।
9-अनिद्रा के रोगियों के लिए यह प्राणायाम बहुत ही अच्छा प्राणायाम है इस प्राणायाम के अभ्यास के बाद बहुत अच्छी नींद आती है।
10-इस प्राणायाम के अभ्यास से शरीर की अतिरिक्त चर्बी निकल जाती है ।
11-पाचन तंत्र को ठीक रखता है यह प्राणायाम।
12-फेफड़ोंको मजबूत बनाकर कफ और स्वास् से संबंधित बीमारियों को दूर करता है कपालभाति प्राणायाम।
13-शरीर में एक विशेष प्रकार की सकारात्मक ऊर्जा भर जाती है।
14-अस्थमा और दमा जैसे रोगों को होने की संभावना दूर हो जाती है।
कपालभाति प्राणायाम में सावधानियां-Precautions Of Kapalbhati Pranayama
1-हार्ट के मरीज व हाई ब्लड प्रेशर के लोगों को इस प्राणायाम को बहुत ही धीमा करना चाहिए।
2-भोजन करने के 4 घंटे बाद ही इस प्राणायाम को करना चाहिए।
3-हर्निया के मरीजों को वह सर्जरी जिन लोगों के हुई है उन लोगों को इस प्राणायाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
4-हाइपरटेंशन के रोगियों को इस प्राणायाम को किसी योग प्रशिक्षक के नेतृत्व में ही करना चाहिए।
5-ध्यान रखें कि इस प्राणायाम को करते समय आपके कंधे नहीं हिलने चाहिए।