भुजंगासन करने का सही तरीका लाभ और सावधानी Bhujangasan (Cobra Pose) Karne ka Sahi Tarika Labh aur Sawdhani

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वर्तमान जीवन शैली में योग व्यक्ति के लिए व उसके स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। इस भागदौड़ भरे जीवन में योग करना व्यक्ति के लिए जरूरी हो गया है। योगासन करने से व्यक्ति को शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य मिलता है व विभिन्न प्रकार की होने वाली बीमारियों से लड़ने की क्षमता प्राप्त होती है। इन्हीं योगासनों में एक आसन है भुजंगासन इस आसन को करने से व्यक्ति तंदुरुस्त जीवन जी सकता है, और गंभीर बीमारी कमर दर्द व रीढ़ की हड्डी से जुड़ी हुई जो समस्याएं होती हैं उनमें भी लाभ मिलता है।

 इस लेख में भुजंगासन क्या है, भुजंगासन करने का तरीका क्या है ,और उससे होने वाले कौन-कौन से लाभ हैं। इन सभी विषयों पर  विस्तारपूर्वक चर्चा करेंगे।

भुजंगासन क्या है? ( Cobra Pose in Hindi)

भुजंगासन को करते समय शरीर की आकृति या मुद्रा सांप के उठे हुए फन के समान होती है। इसलिए इस आसन को सर्प आसन और कोबरा पोज के नाम से भी जानते हैं।

इस आसन को करते समय पेट के बल जमीन पर लेट जाएं। दोनों हाथों के सहारे कमर से ऊपरी हिस्से को ऊपर की तरफ उठाएं। हथेलियां खुली रहें  और जमीन पर फैली होनी चाहिए। शरीर के बाकी हिस्से को हिलने से बचाते हुए चेहरे को ऊपर की ओर ताने और कुछ समय तक इसी स्थिति में रहे।

इस आसन को करने से रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है और फेफड़ों के स्वास्थ्य के लिए भी यह आसन उपयोगी माना जाता है। फेफड़े संबंधित बीमारी में यह आसन करने से लाभ मिलता है। पाचन तंत्र में मजबूती पित्ताशय की क्रियाशीलता बढ़ाने के लिए इस आसन को करने से लाभ होता है। सूर्य नमस्कार में भुजंगासन सातवें क्रम में आता है। इस आसन को करते समय कोई विशेष परेशानी नहीं होती है यह एक सरल आसन भी है

भुजंगासन करने का समय

जिस तरह से अन्य आसन हैं ,और उनको खाली पेट किया जाता है कोई भी आसन हो वह सुबह के समय यदि किया जाता है ,तो काफी अधिक लाभ मिलता है। इसी तरह भुजंगासन को भी खाली पेट सुबह के समय करना चाहिए।

भुजंगासन करने की विधि– Steps of Bujangasan (Cobra Pose)

1- किसी स्वच्छ और समतल स्थान पर मैट बिछा लें। फिर पेट के बल लेट जाएं और दोनों पैर को बिल्कुल सीधा कर ले।

2- दोनों पैरों के तलवे ऊपर की ओर रखते हुए अंगूठों को आपस में मिलाएं। हाथों को कोहनियों से मोड़कर हथेलियों को सीने के बगल में फर्श पर या जमीन पर टिका कर रखें।

3- गहरी सांस लेते हुए अपने सिर को ऊपर की तरफ उठाएं, अपनी गर्दन को ऊपर की ओर उठाएं सीने को और फिर पेट को ऊपर की तरफ उठाने का प्रयास करें।

4- ध्यान रहे सिर से कमर तक का हिस्सा ही ऊपर की ओर उठे तथा कमर के नीचे से पैरों की अंगुलियों तक का जो हिस्सा है वह जमीन पर समान रूप से लगा रहना चाहिए।

5- मस्तक को सामने की ओर उठाएं और दोनों हाथों को कंधों के समानांतर रखें जिससे शरीर का भार जो है वह आपके हाथों पर ही पड़े।

6- अब शरीर के अगले हिस्से को अपनी हाथों के सहारे उठाएं।

7- अब शरीर को खींचते हुए और लंबी सांस लेते रहें।

8- गर्दन को ऊपर की तरफ उठाते हुए अपने सिर को अधिक से अधिक पीछे की ओर ले जाने का प्रयास करें इस स्थिति में आपकी आंखें आसमान की तरफ होनी चाहिए।

9- जैसा इस आसन का नाम है भुजंगासन यह आसन करते समय कमर से ऊपर का हिस्सा सांप के फन के समान ऊपर की तरफ उठा होना चाहिए।

10- जब कमर और कूल्हे के जोड़ पर अधिक खिंचाव महसूस हो तो ऐसी स्थिति में ऊपर की तरफ देखते हुए कुछ सेकंड तक सांस को रोकने का प्रयास कीजिए।

11- सांस बाहर की ओर निकालते हुए कमर के ऊपर का हिस्सा और अपनी छाती को जमीन पर लगाए और शरीर को ढीला छोड़ दें।

12- कुछ समय तक इस स्थिति में रुक रुक कर पुनः इस आसन को करें। प्रारंभिक दौर में तीन से चार बार इस आसन को करें अभ्यास होने पर अपने शारीरिक सामर्थ्य के अनुसार आसन करें।

13- कमर के ऊपरी हिस्से को उठाते समय धीरे-धीरे सांस भरना चाहिए ,और वापस आते समय सांस को बाहर निकालना चाहिए।

14- आसन को करते समय ध्यान रखें कि कमर के ऊपरी हिस्से को उतना ही ऊपर की तरफ उठाएं जितने में आपकी कमर ऊपर की तरफ ना उठे कमर जमीन पर लगी रहे।

15- इस आसन करते समय जब भी ऊपर की तरफ जाएँ स्वांस को खींचे और जब भी नीचे की तरफ आए तो श्वास को बाहर निकाले।

 भुजंगासन के लाभ– Benefits of Bhujangasan (Cobra Pose)

वैसे तो इस आसन के बहुत सारे लाभ हैं लेकिन कुछ जो महत्वपूर्ण लाभ हैं उनके बारे में जानेंगे

1- पेट की चर्बी घटाने में

इस आसन को करने से पेट की मांसपेशियों में खिंचाव पैदा होता है। जिससे पेट की चर्बी कम होती है और मोटापा जिनका अधिक बढ़ जाता है ,उनके लिए यह आसन लाभदायक है । बढ़े हुए पेट को भी घटाने में यह आसन मददगार है।

2- फेफड़ों को मजबूत करता है यह आसन

फेफड़ों के स्वास्थ्य के लिए भुजंगासन लाभदायक आसान है। फेफड़ों से संबंधित बीमारियां इस आसन को करने से दूर होती हैं। इस आसन को करने से फेफड़े मजबूत होते हैं और सभी स्वास संबंधी रोगों में लाभ मिलता है।

3- गर्दन और कंधों के लिए

इस आसन को करने से शरीर में खिंचाव पैदा होता है इसी खिंचाव के कारण पीठ और गर्दन के साथ-साथ पूरे शरीर के लिए यह आसन उपयोगी है।

4- रीढ़ की हड्डी को मजबूत और लचीला बनाने में

इस आसन को करते समय सबसे ज्यादा इसका प्रभाव रीढ़ की हड्डी पर पड़ता है। इसलिए रीढ़ की हड्डी मजबूत और लचीली हो जाती है।

5- कूल्हे और मांस पेशी को मजबूत बनाने में

इस आसन का अभ्यास करने से कूल्हे और मांसपेशियां मजबूत होती हैं। क्योंकि इस आसन को करते समय कुल्हे पर भी प्रभाव पड़ता है और मांसपेशियों में भी खिंचाव उत्पन्न होता है।

6- किडनी और लिवर को स्वस्थ रखने में

इस आसन को करते समय शरीर में रक्त संचार की मात्रा बढ़ जाती है जिससे शरीर के कई अंग स्वस्थ हो जाते हैं। इन अंगों में लिवर और किडनी भी आती है। जब लीवर और किडनी स्वस्थ होती है तो पाचन संबंधित समस्त प्रकार के रोगों में लाभ होता है।

7- पाचन संबंधी विकारों को दूर करने में

जैसा कि ऊपर के लेख में बताया जा चुका है कि लिवर और किडनी को स्वस्थ रखने में यह आसन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए इस आसन को करने से पाचन संबंधित विकार भी नष्ट होते है। और पाचन प्रणाली मजबूत बनती है।

8- तनाव दूर करने में

इस आसन को करने वाला व्यक्ति शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से फिट रहता है। थकान, कमजोरी सरदर्द ,चिंता, मन की उदासी  ,घबराहट जो तनाव, के कारण ही होते हैं इन सब से मुक्ति मिलती है।

भुजंगासन के अन्य लाभ

1-इस आसन को करने से शारीरिक सुंदरता प्राप्त होती है।

2-यह आसन पित्ताशय की क्रियाशीलता को प्रबल बनाता है।

3-इस आसन को करने से कब्ज और बवासीर में भी आराम मिलता है

4-कमर दर्द दूर करने के लिए भी इस आसन का महत्वपूर्ण योगदान है।

5-माइग्रेन का दर्द भी कम होता है इस आसन को करने से।

6-इस आसन को करने से शरीर चुस्त और दुरुस्त रहता है।

7-इस आसन को करने से भूख बढ़ जाती है ।कब्ज ,वायु विकार दूर हो जाते हैं।

 भुजंगासन करते समय सावधानी

1-सिर दर्द और पेट दर्द  पीठ दर्द की समस्या में इस आसन को न करें।

2-यदि शरीर के किसी जगह पर भी कोई ऑपरेशन हुआ है तो उन लोगों को यह आसन नहीं करना चाहिए।

3-जो लोग हर्निया जैसी बीमारी से ग्रसित हैं उनको यह आसन नहीं करना चाहिए।

4-गर्भवती महिलाओं को भी यह आसन नहीं करना चाहिए।

5-इस आसन को खाली पेट ही करना चाहिए भरे हुए पेट में यह आसन कदापि न करें।

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