भगवान कृष्ण ने बताया मरने के बाद इस तरह मुझे कर सकते हैं प्राप्त

0

यान्ति देवव्रता देवान् पितृन्यान्ति पितृव्रताः।
भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोऽपि माम्।। गीता 9/25।।

अर्थ: देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं, पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होते हैं, भूतों को पूजने वाले भूतों को प्राप्त होते हैं और मेरा पूजन करने वाले मुझको ही प्राप्त होते हैं।

व्याख्या: हम जो भाव पक्का करते हैं, वही मन में तैरने लगता है और हम उसी के अनुसार हो जाते हैं। भगवान कह हैं कि इस जन्म में जो देवताओं के पूजन में लगे रहते हैं तथा दिन रात उनके बारे में ही विचारते हैं, मरने के बाद वो देवताओं को प्राप्त हो जाते हैं। ऐसे ही जो पितरों का पूजन करते हैं और उनके बारे में ही सोचते रहते हैं।

वो मरने के बाद वो पितर बन जाते हैं और जो इस जन्म में भूतों के पूजन में लगे रहते हैं और केवल भूतों के बारे में सोचते रहते हैं वो मृत्यु के उपरांत भूतों को ही प्राप्त हो जाते हैं, लेकिन जो इस जन्म में मुझ परमात्मा का पूजन करते हैं और मेरे ही भाव में बने रहते हैं वो मरने के बाद मुझे ही प्राप्त हो जाते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *