SURAKSHIT GOSWAMI

गीता ज्ञानः इस काल में देह त्याग से जन्म-मरण के चक्र से होते हैं मुक्त

यत्र काले त्वनावृत्तिमावृत्तिं चैव योगिन:| प्रयाता यान्ति तं कालं वक्ष्यामि भरतर्षभ|| गीता 8/23|| अर्थ: हे भरत श्रेष्ठ! जिस काल में...

जानें, ब्रह्मा की इस सृष्टि में दिन-रात का क्या है असल अर्थ

अव्यक्ताद्व्यक्तय: सर्वा: प्रभवन्त्यहरागमे | रात्र्यागमे प्रलीयन्ते तत्रैवाव्यक्तसञ्ज्ञके || गीता 8/18|| अर्थ: ब्रह्मा का दिन होने पर अव्यक्त से व्यक्त सृष्टि...

इसलिए ही मनुष्य को बार-बार जन्म लेकर मरना पड़ता है

भूतग्राम: स एवायं भूत्वा भूत्वा प्रलीयते। रात्र्यागमेऽवश: पार्थ प्रभवत्यहरागमे।। गीता 8/19|| अर्थ : हे अर्जुन! वही यह भूतसमुदाय परवश हुआ...

सनातन भाव में बने रहने से इस तरह मिलती है मुक्ति

परस्तस्मात्तु भावोऽन्योऽव्यक्तोऽव्यक्तात्सनातन: | य: स सर्वेषु भूतेषु नश्यत्सु न विनश्यति || गीता 8/20|| अर्थ: निश्चित रूप से इस अव्यक्त से...

मृत्यु के बाद जीवात्मा कुछ समय तक यहां रहती है

आब्रह्मभुवनाल्लोका: पुनरावर्तिनोऽर्जुन। मामुपेत्य तु कौन्तेय पुनर्जन्म न विद्यते।। गीता 8/16।। अर्थ : हे अर्जुन! ब्रह्म लोक सहित सभी लोक पुनरावृति...