ऐसा व्यक्ति अंतकाल में परमात्मा में लीन हो जाता है
साधिभूताधिदैवं मां साधियज्ञं च ये विदु:। प्रयाणकालेऽपि च मां ते विदुर्युक्तचेतस:।। गीता 7/30।। अर्थ : जो मुझे अधिभूत, अधिदैव और...
साधिभूताधिदैवं मां साधियज्ञं च ये विदु:। प्रयाणकालेऽपि च मां ते विदुर्युक्तचेतस:।। गीता 7/30।। अर्थ : जो मुझे अधिभूत, अधिदैव और...
अधियज्ञ: कथं कोऽत्र देहेऽस्मिन्मधुसूदन। प्रयाणकाले च कथं ज्ञेयोऽसि नियतात्मभि: ।।गीता 8/2।। अर्थ : हे मधुसूदन ! अधियज्ञ कौन है और...
श्रीभगवानुवाच। अक्षरं ब्रह्म परमं स्वभावोऽध्यात्ममुच्यते। भूतभावोद्भवकरो विसर्ग: कर्मसञ्ज्ञित: ।। गीता 8/3।। अर्थ : श्री भगवान् बोले ! ब्रह्म, परम अक्षर...
अन्तकाले च मामेव स्मरन्मुक्त्वा कलेवरम्। य: प्रयाति स मद्भावं याति नास्त्यत्र संशय: ।। गीता 8/5।। अर्थ : जो देहाध्यास के...
तस्मात्सर्वेषु कालेषु मामनुस्मर युध्य च। मय्यर्पितमनोबुद्धिर्मामेवैष्यस्यसंशयम्।। गीता 8/7।। अर्थ: इसलिए सभी कालों में मेरा स्मरण कर और युद्ध कर! जब...
कविं पुराणमनुशासितार मणोरणीयांसमनुस्मरेद्य:। सर्वस्य धातारमचिन्त्यरूप मादित्यवर्णं तमस: परस्तात् ।। गीता 8/9।। अर्थ : जो सर्वज्ञ, पुरातन, सबका शासक, सूक्ष्म से...
अभ्यासयोगयुक्तेन चेतसा नान्यगामिना। परमं पुरुषं दिव्यं याति पार्थानुचिन्तयन् ।। गीता 8/8।। अर्थ : हे पार्थ ! जो अभ्यास द्वारा योग...
प्रयाणकाले मनसाचलेन भक्त्या युक्तो योगबलेन चैव। भ्रुवोर्मध्ये प्राणमावेश्य सम्यक् स तं परं पुरुषमुपैति दिव्यम् ।। गीता 8/10।। अर्थ : वह...
सर्वद्वाराणि संयम्य मनो हृदि निरुध्य च। मूर्ध्न्याधायात्मन: प्राणमास्थितो योगधारणाम् ।। गीता 8/12।। अर्थ: सभी द्वारों को संयम कर, मन को...
अनन्यचेता: सततं यो मां स्मरति नित्यश:। तस्याहं सुलभ: पार्थ नित्ययुक्तस्य योगिन: ।। गीता 8/14।। अर्थ : हे पार्थ ! जो...
येऽप्यन्यदेवता भक्ता यजन्ते श्रद्धयान्विता:| तेऽपि मामेव कौन्तेय यजन्त्यविधिपूर्वकम्||9/23|| अर्थ: हे अर्जुन! जो भक्त दूसरे देवताओं को श्रद्धापूर्वक पूजते हैं, वे...
येऽप्यन्यदेवता भक्ता यजन्ते श्रद्धयान्विता:| तेऽपि मामेव कौन्तेय यजन्त्यविधिपूर्वकम् || गीता 9/23|| अर्थ: हे अर्जुन! श्रद्धा से युक्त जो भक्त अन्य...