Betiyaan kavita || बेटियाँ कविता -एक कवि नदी के किनारे खड़ा था
एक कवि नदी के किनारे खड़ा था ! तभी वहाँ से एक लड़की का शव नदी में तैरता हुआ जा...
एक कवि नदी के किनारे खड़ा था ! तभी वहाँ से एक लड़की का शव नदी में तैरता हुआ जा...
वह कहता था, वह सुनती थी, जारी था एक खेल कहने-सुनने का। खेल में थी दो पर्चियाँ। एक में लिखा...
हवा लगी पश्चिम की , सारे कुप्पा बनकर फूल गए । ईस्वी सन तो याद रहा , पर अपना संवत्सर...
जब गलियो मे बम फूटेंगे, सब तर्क धरे रह जाएंगे! जब तुर्की शत्रु टूटेंगे, धन दौलत जो जोडी, सब तुर्क...
एक से बढ़िके एक मक्कार, का करिहैं मोदी सरकार ? इधर अफसरी, उधर तस्करी, आमदनी है दोहरी-तेहरी । शिक्षा, स्वास्थ्य...
मन की हल्दीघाटी में, राणा के भाले डोले हैं, यूँ लगता है चीख चीख कर, वीर शिवाजी बोले हैं, पुरखों...
दर्द कागज़ पर, मेरा बिकता रहा, मैं बैचैन था, रातभर लिखता रहा.. छू रहे थे सब, बुलंदियाँ आसमान की, मैं...
मियां-बीबी दोनों मिल खूब कमाते हैं तीस लाख का पैकेज दोनों ही पाते हैं सुबह आठ बजे नौकरियों पर जाते...
सालों से मस्जिद में घुट रहा, मैं तुम्हारा भोलेनाथ हूँ हिन्दुओं मैं ही तुम्हारा, वाराणसी का काशी विश्वनाथ हूँ...!!! अयोध्या...
धरती से सीखा है हमने सबका बोझ उठाना और गगन से सीखा हमने ऊपर उठते जाना सूरज की लाली से...
आया वसंत आया वसंत छाई जग में शोभा अनंत सरसों खेतों में उठी फूल बौरें आमों में उठीं झूल बेलों...
अगर कहीं मैं घोड़ा होता वह भी लंबा चौड़ा होता तुम्हें पीठ पर बैठा कर के बहुत तेज मैं दौड़ा...