गीता ज्ञानः इस काल में देह त्याग से जन्म-मरण के चक्र से होते हैं मुक्त
यत्र काले त्वनावृत्तिमावृत्तिं चैव योगिन:| प्रयाता यान्ति तं कालं वक्ष्यामि भरतर्षभ|| गीता 8/23|| अर्थ: हे भरत श्रेष्ठ! जिस काल में...
यत्र काले त्वनावृत्तिमावृत्तिं चैव योगिन:| प्रयाता यान्ति तं कालं वक्ष्यामि भरतर्षभ|| गीता 8/23|| अर्थ: हे भरत श्रेष्ठ! जिस काल में...
अव्यक्ताद्व्यक्तय: सर्वा: प्रभवन्त्यहरागमे | रात्र्यागमे प्रलीयन्ते तत्रैवाव्यक्तसञ्ज्ञके || गीता 8/18|| अर्थ: ब्रह्मा का दिन होने पर अव्यक्त से व्यक्त सृष्टि...
भूतग्राम: स एवायं भूत्वा भूत्वा प्रलीयते। रात्र्यागमेऽवश: पार्थ प्रभवत्यहरागमे।। गीता 8/19|| अर्थ : हे अर्जुन! वही यह भूतसमुदाय परवश हुआ...
परस्तस्मात्तु भावोऽन्योऽव्यक्तोऽव्यक्तात्सनातन: | य: स सर्वेषु भूतेषु नश्यत्सु न विनश्यति || गीता 8/20|| अर्थ: निश्चित रूप से इस अव्यक्त से...
आब्रह्मभुवनाल्लोका: पुनरावर्तिनोऽर्जुन। मामुपेत्य तु कौन्तेय पुनर्जन्म न विद्यते।। गीता 8/16।। अर्थ : हे अर्जुन! ब्रह्म लोक सहित सभी लोक पुनरावृति...
चरण कमल पर माता तेरे प्राणों का संगीत निछावर अनगिन गुण-सम्पन्न सुतों की जनम-जनम की प्रीति निछावर बलिहारी माँ पंचतत्व...
एक संस्कृति एक धर्म है एक हमारा नारा। एक भारती की संतति हम भारत एक हमारा॥ दैनिक शाखा संस्कारों से...
दिव्य ध्येय की ओर तपस्वी जीवन भर अविचल चलता है ॥ सज धज कर आए आकर्षण पग पग पर झूमते...
मत कर माया को अहंकार मत कर काया को अभिमान काया गार से काची मत कर माया को अहंकार मत...
देवता तुम राष्ट्र के क्या भेंट चरणों में चढाऊँ हम अभी तक सो रहे थे आत्म गौरव खो रहे थे...
ॐ सह नाववतु । सह नौ भुनक्तु । सह वीर्यं करवावहै । तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै । ॐ शान्तिः शान्तिः...
नमः शिवाभ्यां नवयौवनाभ्याम्, परस्पराश्लिष्टवपुर्धराभ्याम् । नागेन्द्रकन्यावृषकेतनाभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ १॥ नमः शिवाभ्यां सरसोत्सवाभ्याम्, नमस्कृताभीष्टवरप्रदाभ्याम् । नारायणेनार्चितपादुकाभ्यां, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम्...