श्री रूद्र सूक्तं | Shri Rudra Suktam | संस्कृत गीत
॥ अथ रूद्र-सूक्तम् ॥ नमस्ते रुद्र मन्यवऽ उतो तऽ इषवे नमः। बाहुभ्याम् उत ते नमः॥१॥ या ते रुद्र शिवा...
॥ अथ रूद्र-सूक्तम् ॥ नमस्ते रुद्र मन्यवऽ उतो तऽ इषवे नमः। बाहुभ्याम् उत ते नमः॥१॥ या ते रुद्र शिवा...
मेरी मातृभूमी मंदिर है ॥धृ॥ श्वेत हिमलय शृंग बना है शिव का तांडव बल अपना है भगवा-ध्वज यश गौरव वाला...
नाहं प्रकाश: सर्वस्य योगमायासमावृत:। मूढोऽयं नाभिजानाति लोको मामजमव्ययम्।। अपनी योगमाया से ढंका हुआ मैं सबको महसूस नहीं होता। इसलिए यह...
वेदाहं समतीतानि वर्तमानानि चार्जुन। भविष्याणि च भूतानि मां तु वेद न कश्चन।। 7/26 हे अर्जुन! मैं भूतकाल की हर घटना...
इच्छाद्वेषसमुत्थेन द्वन्द्वमोहेन भारत। सर्वभूतानि सम्मोहं सर्गे यान्ति परन्तप।। गीता 7/27।। अर्थ : हे भरतवंशी अर्जुन! इच्छा और द्वेष से उत्पन्न...
येषां त्वन्तगतं पापं जनानां पुण्यकर्मणाम्। ते द्वन्द्वमोहनिर्मुक्ता भजन्ते मां दृढव्रता:।। गीता 7/28।। अर्थ : परंतु, पुण्य कर्म करने वाले जिन...
जरामरणमोक्षाय मामाश्रित्य यतन्ति ये। ते ब्रह्म तद्विदु: कृत्स्नमध्यात्मं कर्म चाखिलम्।। गीता 7/29।। अर्थ : जो मेरी शरण होकर जरा-मृत्यु से...
साधिभूताधिदैवं मां साधियज्ञं च ये विदु:। प्रयाणकालेऽपि च मां ते विदुर्युक्तचेतस:।। गीता 7/30।। अर्थ : जो मुझे अधिभूत, अधिदैव और...
अधियज्ञ: कथं कोऽत्र देहेऽस्मिन्मधुसूदन। प्रयाणकाले च कथं ज्ञेयोऽसि नियतात्मभि: ।।गीता 8/2।। अर्थ : हे मधुसूदन ! अधियज्ञ कौन है और...
श्रीभगवानुवाच। अक्षरं ब्रह्म परमं स्वभावोऽध्यात्ममुच्यते। भूतभावोद्भवकरो विसर्ग: कर्मसञ्ज्ञित: ।। गीता 8/3।। अर्थ : श्री भगवान् बोले ! ब्रह्म, परम अक्षर...
अन्तकाले च मामेव स्मरन्मुक्त्वा कलेवरम्। य: प्रयाति स मद्भावं याति नास्त्यत्र संशय: ।। गीता 8/5।। अर्थ : जो देहाध्यास के...
तस्मात्सर्वेषु कालेषु मामनुस्मर युध्य च। मय्यर्पितमनोबुद्धिर्मामेवैष्यस्यसंशयम्।। गीता 8/7।। अर्थ: इसलिए सभी कालों में मेरा स्मरण कर और युद्ध कर! जब...