गीता के श्लोक का मतलब

जानें गीता में किसे त्याग कर्म कहा गया है

श्रीभगवानुवाच। अक्षरं ब्रह्म परमं स्वभावोऽध्यात्ममुच्यते। भूतभावोद्भवकरो विसर्ग: कर्मसञ्ज्ञित: ।। गीता 8/3।। अर्थ : श्री भगवान् बोले ! ब्रह्म, परम अक्षर...

इसलिए गीता में श्रीकृष्ण ने कहा दुख में ही नहीं सुख में भी याद करो

तस्मात्सर्वेषु कालेषु मामनुस्मर युध्य च। मय्यर्पितमनोबुद्धिर्मामेवैष्यस्यसंशयम्।। गीता 8/7।। अर्थ: इसलिए सभी कालों में मेरा स्मरण कर और युद्ध कर! जब...

गीता ज्ञानः श्रीकृष्ण ने कहा ऐसे परमात्मा का स्मरण करना चाहिए

कविं पुराणमनुशासितार मणोरणीयांसमनुस्मरेद्य:। सर्वस्य धातारमचिन्त्यरूप मादित्यवर्णं तमस: परस्तात् ।। गीता 8/9।। अर्थ : जो सर्वज्ञ, पुरातन, सबका शासक, सूक्ष्म से...

ऐसे व्यक्ति अपनी आत्मा से जुड़ जाते हैं

अभ्यासयोगयुक्तेन चेतसा नान्यगामिना। परमं पुरुषं दिव्यं याति पार्थानुचिन्तयन् ।। गीता 8/8।। अर्थ : हे पार्थ ! जो अभ्यास द्वारा योग...

ताकि ऊर्जा इंद्रियों के रास्ते से बाहर न बहे

सर्वद्वाराणि संयम्य मनो हृदि निरुध्य च। मूर्ध्न्याधायात्मन: प्राणमास्थितो योगधारणाम् ।। गीता 8/12।। अर्थ: सभी द्वारों को संयम कर, मन को...

गीता में बताया गया है ऐसे होता है सृष्टि का आरंभ और अंत

सर्वभूतानि कौन्तेय प्रकृतिं यान्ति मामिकाम्। कल्पक्षये पुनस्तानि कल्पादौ विसृजाम्यहम् गीता।।9/7।। अर्थ: हे कौन्तेय! सब भूत कल्पों के अंत में मेरी...

ब्रह्माण्ड में क्या व्याप्त है, इस तरह जानें

यथाकाशस्थितो नित्यं वायु: सर्वत्रगो महान् | तथा सर्वाणि भूतानि मत्स्थानीत्युपधारय || गीता 9/6|| अर्थ: जैसे सर्वत्र विचरण करने वाला महान्...

भगवान इस तरह संसार में स्थित हैं कभी गौर करके देखिए

मया ततमिदं सर्वं जगदव्यक्तमूर्तिना। मत्स्थानि सर्वभूतानि न चाहं तेष्ववस्थित:।। गीता 9/4।। अर्थ: मुझे अव्यक्त से यह संपूर्ण जगत व्याप्त है,...

बिना इस ज्ञान के नहीं पा सकते जन्म-मरण का चक्र से मुक्ति

अश्रद्दधाना: पुरुषा धर्मस्यास्य परन्तप | अप्राप्य मां निवर्तन्ते मृत्युसंसारवर्त्मनि || गीता 9/3|| अर्थ: हे परंतप! जो पुरुष इस धर्म (ज्ञान)...