GEETA GYAN

धन के लिए नहीं मुक्ति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए

जरामरणमोक्षाय मामाश्रित्य यतन्ति ये। ते ब्रह्म तद्विदु: कृत्स्नमध्यात्मं कर्म चाखिलम्।। गीता 7/29।। अर्थ : जो मेरी शरण होकर जरा-मृत्यु से...

ऐसा व्यक्ति अंतकाल में परमात्मा में लीन हो जाता है

साधिभूताधिदैवं मां साधियज्ञं च ये विदु:। प्रयाणकालेऽपि च मां ते विदुर्युक्तचेतस:।। गीता 7/30।। अर्थ : जो मुझे अधिभूत, अधिदैव और...

जो मृत्यु के समय भी आत्मा के बारे में सोचते हैं

अधियज्ञ: कथं कोऽत्र देहेऽस्मिन्मधुसूदन। प्रयाणकाले च कथं ज्ञेयोऽसि नियतात्मभि: ।।गीता 8/2।। अर्थ : हे मधुसूदन ! अधियज्ञ कौन है और...

जानें गीता में किसे त्याग कर्म कहा गया है

श्रीभगवानुवाच। अक्षरं ब्रह्म परमं स्वभावोऽध्यात्ममुच्यते। भूतभावोद्भवकरो विसर्ग: कर्मसञ्ज्ञित: ।। गीता 8/3।। अर्थ : श्री भगवान् बोले ! ब्रह्म, परम अक्षर...

इसलिए गीता में श्रीकृष्ण ने कहा दुख में ही नहीं सुख में भी याद करो

तस्मात्सर्वेषु कालेषु मामनुस्मर युध्य च। मय्यर्पितमनोबुद्धिर्मामेवैष्यस्यसंशयम्।। गीता 8/7।। अर्थ: इसलिए सभी कालों में मेरा स्मरण कर और युद्ध कर! जब...

गीता ज्ञानः श्रीकृष्ण ने कहा ऐसे परमात्मा का स्मरण करना चाहिए

कविं पुराणमनुशासितार मणोरणीयांसमनुस्मरेद्य:। सर्वस्य धातारमचिन्त्यरूप मादित्यवर्णं तमस: परस्तात् ।। गीता 8/9।। अर्थ : जो सर्वज्ञ, पुरातन, सबका शासक, सूक्ष्म से...

ऐसे व्यक्ति अपनी आत्मा से जुड़ जाते हैं

अभ्यासयोगयुक्तेन चेतसा नान्यगामिना। परमं पुरुषं दिव्यं याति पार्थानुचिन्तयन् ।। गीता 8/8।। अर्थ : हे पार्थ ! जो अभ्यास द्वारा योग...

ताकि ऊर्जा इंद्रियों के रास्ते से बाहर न बहे

सर्वद्वाराणि संयम्य मनो हृदि निरुध्य च। मूर्ध्न्याधायात्मन: प्राणमास्थितो योगधारणाम् ।। गीता 8/12।। अर्थ: सभी द्वारों को संयम कर, मन को...

भगवान कृष्ण ने बताया किसी को भी पूजें, यहां जाती है आपकी प्रार्थना

येऽप्यन्यदेवता भक्ता यजन्ते श्रद्धयान्विता:| तेऽपि मामेव कौन्तेय यजन्त्यविधिपूर्वकम्||9/23|| अर्थ: हे अर्जुन! जो भक्त दूसरे देवताओं को श्रद्धापूर्वक पूजते हैं, वे...