गीता ज्ञानः भगवान श्रीकृष्ण को पूजने वालों को मिलता है यह लाभ
येऽप्यन्यदेवता भक्ता यजन्ते श्रद्धयान्विता:| तेऽपि मामेव कौन्तेय यजन्त्यविधिपूर्वकम् || गीता 9/23|| अर्थ: हे अर्जुन! श्रद्धा से युक्त जो भक्त अन्य...
येऽप्यन्यदेवता भक्ता यजन्ते श्रद्धयान्विता:| तेऽपि मामेव कौन्तेय यजन्त्यविधिपूर्वकम् || गीता 9/23|| अर्थ: हे अर्जुन! श्रद्धा से युक्त जो भक्त अन्य...
अहं हि सर्वयज्ञानां भोक्ता च प्रभुरेव च| न तु मामभिजानन्ति तत्वेनातश्च्यवन्ति ते|| गीता 9/24|| अर्थ: मैं ही सभी यज्ञों का...
यान्ति देवव्रता देवान् पितृन्यान्ति पितृव्रताः। भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोऽपि माम्।। गीता 9/25।। अर्थ: देवताओं को पूजने वाले देवताओं को...
महात्मानस्तु मां पार्थ दैवीं प्रकृतिमाश्रिता:। भजन्त्यनन्यमनसो ज्ञात्वा भूतादिमव्ययम्।। गीता 9/13।। अर्थ: हे अर्जुन! महान आत्माएं मेरी दैवीय प्रकृति के आश्रित...
अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जना: पर्युपासते। तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम् ।। गीता 9/22।। अर्थ : जो भक्तजन अनन्य भाव से मेरा...
ते तं भुक्त्वा स्वर्गलोकं विशालं क्षीणे पुण्ये मर्त्यलोकं विशन्ति | एवं त्रयीधर्ममनुप्रपन्ना गतागतं कामकामा लभन्ते || गीता 9/21|| अर्थ: वे...
त्रैविद्या मां सोमपा: पूतपापा यज्ञैरिष्ट्वा स्वर्गतिं प्रार्थयन्ते। ते पुण्यमासाद्य सुरेन्द्रलोक मश्र्नन्ति दिव्यान्दिवि देवभोगान्।।गीता 9/20|| अर्थ: तीनों वेदों के ज्ञाता, सोमरस...
तपाम्यहमहं वर्षं निगृह्णम्युत्सृजामि च | अमृतं चैव मृत्युश्च सदसच्चाहमर्जुन || गीता 9/19|| अर्थ: मैं ही सूर्य रूप से तपता हूं,...
गतिर्भर्ता प्रभु: साक्षी निवास: शरणं सुहृत्| प्रभव: प्रलय: स्थानं निधानं बीजमव्ययम्|| गीता 9/18|| अर्थ: सबकी परम गति, भरण-पोषण करने वाला,...
पिताहमस्य जगतो माता धाता पितामह:| वेद्यं पवित्रमोङ्कार ऋक्साम यजुरेव च|| गीता 9/17|| अर्थ: मैं इस जगत का पिता, माता, पितामह...
अहं क्रतुरहं यज्ञ: स्वधाहमहमौषधम् | मन्त्रोऽहमहमेवाज्यमहमग्निरहं हुतम् || गीता 9/16|| अर्थ: कर्मकाण्ड मैं हूं, यज्ञ मैं हूं, स्वधा मैं हूं,...
ज्ञानयज्ञेन चाप्यन्ये यजन्तो मामुपासते | एकत्वेन पृथक्त्वेन बहुधा विश्वतोमुखम् || गीता 9/15|| अर्थ : अन्य योगी ज्ञानयज्ञ द्वारा मुझे एकी...