परमपुरुष ही हमें बनाता है, संभालता है और वही बिगाड़ता भी है
ब्रह्मांड में जो कुछ घट रहा है, उसे परमपुरुष मन ही मन ही सोच रहे हैं। आकाश, पवन, पर्वत, समुद्र...
ब्रह्मांड में जो कुछ घट रहा है, उसे परमपुरुष मन ही मन ही सोच रहे हैं। आकाश, पवन, पर्वत, समुद्र...
सार्थकता और विलासिता से भरी की जिंदगी की चाह में आपने अचानक भागना आरंभ कर दिया। भागते-भागते थोड़ा ही आगे...
उठो जवान देश की वसुंधरा पुकारती देश है पुकारता पुकारती मा भारती ॥धृ॥ रगो मे तेरे बह रहा खून राम...
एक देश सन्देश एक है. एक हमारा नारा है संताने हम भारत माँ की भारत देश हमारा है. हमने भारत...
ऐसा माना जाता है कि गौतम बुद्ध का जन्म, ज्ञान की प्राप्ति और निर्वाण तीनों ही पूर्णिमा के दिन हुए...
संसार के सभी धर्मों में एक बात समान है, वह है ईश प्रार्थना। प्रार्थना किसी भी मनुष्य के जीवन के...
कई बार, दुआ ही दवा बन जाती है। जहां दवा काम नहीं करती, वहां दुआ काम कर जाती है। बिगड़ी...
छोटी-छोटी घटनाओं का समूह ही जीवन है। यहां सब धीरे-धीरे होता है। जैसे एक-एक सांस जीवन बनाती है, एक-एक पल...
किसी भी व्यक्ति के जीवन में झांक कर देखिए, तो पता चलेगा कि उसका जीवन कभी खुशी तो कभी गम,...
न मां दुष्कृतिनो मूढा: प्रपद्यन्ते नराधमा: | माययापहृतज्ञाना आसुरं भावमाश्रिता: ||गीता 7/15|| अर्थ: माया ने जिनका ज्ञान हर लिया है...
चतुर्विधा भजन्ते मां जना: सुकृतिनोऽर्जुन। आर्तो जिज्ञासुरर्थार्थी ज्ञानी च भरतर्षभ || गीता 7/16|| अर्थ: हे भरतश्रेष्ठ अर्जुन ! चार प्रकार...
तेषां ज्ञानी नित्ययुक्त एक भक्ति र्विशिष्यते| प्रियो हि ज्ञानिनोऽत्यर्थमहं स च मम प्रिय || गीता 7/17 || अर्थ: उनमें से...