ऐसे चार तरह के भक्त भगवान को प्रिय हैं
उदारा: सर्व एवैते ज्ञानी त्वात्मैव मे मतम्। आस्थित: स हि युक्तात्मा मामेवानुत्तमां गतिम्|| 7/18 ये सभी निश्चित रूप से उदार...
उदारा: सर्व एवैते ज्ञानी त्वात्मैव मे मतम्। आस्थित: स हि युक्तात्मा मामेवानुत्तमां गतिम्|| 7/18 ये सभी निश्चित रूप से उदार...
बहूनां जन्मनामन्ते ज्ञानवान्मां प्रपद्यते। वासुदेव: सर्वमिति स महात्मा सुदुर्लभ:।। गीता 7/19।। अर्थ : अनेक जन्मों के अंत में जो ज्ञानवान...
रसोऽहमप्सु कौन्तेय प्रभास्मि शशिसूर्ययो: | प्रणव: सर्ववेदेषु शब्द: खे पौरुषं नृषु || गीता 7/8|| अर्थ : हे अर्जुन ! मैं...
कामैस्तैस्तैर्हृतज्ञाना: प्रपद्यन्तेऽन्यदेवता:। तं तं नियममास्थाय प्रकृत्या नियता: स्वया।। 7/20 जिन लोगों का ज्ञान कामनाओं की वजह से समाप्त जा चुका...
पुण्यो गन्ध: पृथिव्यां च तेजश्चास्मि विभावसौ। जीवनं सर्वभूतेषु तपश्चास्मि तपस्विषु।।7/9 मैं पृथ्वी में पवित्र गंध हूं, अग्नि में तेज हूं,...
बीजं मां सर्वभूतानां विद्धि पार्थ सनातनम् | बुद्धिर्बुद्धिमतामस्मि तेजस्तेजस्विनामहम्||7/10 हे अर्जुन! सब प्राणियों का सनातन बीज मुझे जानो। मैं बुद्धिमानों...
बलं बलवतां चाहं कामरागविवर्जितम्। धर्माविरुद्धो भूतेषु कामोऽस्मि भरतर्षभ || गीता 7/11|| अर्थ : हे भरतश्रेष्ठ ! बलवानों का काम व...
स तया श्रद्धया युक्तस्तस्याराधनमीहते | लभते च तत: कामान्मयैव विहितान्हि तान् || गीता 7/22|| अर्थ : प्रभु कहते हैं कि...
त्रिभिर्गुणमयैर्भावैरेभि: सर्वमिदं जगत् | मोहितं नाभिजानाति मामभ्य: परमव्ययम् || गीता 7/13|| अर्थ : इन तीनों गुणों के भावों से यह...
प्रबल झंझावात में तू बन अचल हिमवान रे मन॥ हो बनी गंभीर रजनी सूझती हो नहीं अवनी। ढल न अस्ताचल...
अव्यक्तं व्यक्तिमापन्नं मन्यन्ते मामबुद्धय: | परं भावमजानन्तो ममाव्ययमनुत्तमम् || गीता 7/24|| अर्थ : बुद्धिहीन लोग मेरे अविनाशी और सर्वश्रेष्ठ परम...
॥ अथ रूद्र-सूक्तम् ॥ नमस्ते रुद्र मन्यवऽ उतो तऽ इषवे नमः। बाहुभ्याम् उत ते नमः॥१॥ या ते रुद्र शिवा...